-तत्कालीन सीएम वसंत दादा पाटिल के साथ की थी बगावत
एसएस ब्यूरो/ मुंबईः 5 जुलाई, 2023।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया रहे शरद पवार के लिए अजित पावर की बगावत कोई नई नहीं है। साल 1978 में शरद पवार ने भी इसी तरह की बगावत अपने साथी नेताओं के साथ की थी। उसी बगावत के चलते पवार महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने थे।
दरअसल वर्ष 198 में शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे, उस समय उनकी उम्र महज 38 वर्ष की थी। दरअसल आपातकाल के बाद कांग्रेस की हालत खराब हो चुकी थी। कांग्रेस में दो गुट बन चुक थे। उनमें से एक रेड्डी काग्रेस थी जिसे शंकर राव चव्हाण और ब्राह्मानंद रेड्डी ने बताया था। शरद पवार भी इसी पार्टी का हिस्सा थे। कांग्रेस का दूसरा गुट इंदिरा कांग्रेस था, जिसमें नाशिकराव तरिपुडे जैसे लोग थे। विधानसभा चुनाव में इंदिरा कांग्रेस को 62 और रेड्डी कांग्रेस को 69 सीट मिली थीं, जबकि जनता दल सबसे ज्यादा 99 सीटों पर विजयी हुआ था।
जनता पार्टी को रोकने के लिए कांग्रेस के दोनों गुटों ने मिलकर इंदिरा गांधी की सहमति से सरकार बनाई थी। 7 मार्च 1978 को वसंत दादा पाटिल ने सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन कुछ ही समय में इंदिरा कांग्रेस के विधायक और उपमुख्यमंत्री नासिक राव सरकार के काम में अड़ंगेबाजी करने लगे। जोकि शरद पवार को पसंद नहीं था। इसके बाद उन्होंने पार्टी में तोड़फोड़ करते हुए 40 विधायकों के साथ अलग होने का फैसला कर लिया। उस समय सुशील कुमार शिंदे जैसे नेता भी पवार के साथ थे।
इस घटनाक्रम से कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और चार महीने के दौरान ही सरकार गिर गई।
वसंत दादा पाटिल की सरकार से अलग होने के बाद शरद पवार ने समाजवादी कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बनाई और जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी और शेतकरी कामगार पक्ष को मिलाकर गठबंधन शरकार बना ली। इस गठबंधन का नाम प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फंट रखा गया और मा. 38 साल की उम्र में शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गये। हालांकि उस समय शरद पवार की सरकार महज 18 महीने ही चल सकी। क्योंकि इंदिरा गांधी दोबारा केंद्र की सत्ता में आई और उन्होंने 17 फरवरी 1980 को शरद पवार की सरकार को बर्खास्त कर दिया।