-विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बागी विधायक
टीम एटूजैड/नई दिल्ली-बेंगलुरू
कर्नाटक में सत्ता पर काबिज होने का नाटक जारी है। सियासी उठापटक के बीच 11 से 14 जुलाई तक राज्य विधानसभा में धारा 144 लागू कर दी गई है। इसके तहत विधानसभा में चार से ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठे नहीं हो सकते। इसके साथ ही कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है। बागी विधायकों का आरोप है कि विधानसभा स्पीकर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे। वह जानबूझकर उनके इस्तीफे को स्वीकार करने में समय ले रहे हैं।
बागी विधायकों ने यह कदम उस समय उठाया, जब मंगलवार को विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कहा कि 13 बागी विधायकों के इस्तीफ के मामले के लिए उन्हें कम से कम 6 दिन की जरूरत है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस दौरान कांग्रेस-जेडीएस को रणनीति बनाने का समय मिल सकता है। 224 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत के लिए 113 विधायकों की जरूरत है।
संकट में सरकार… भाजपा जिम्मेदार!
कर्नाटक में चल रही सियासी उठापटक पर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का हाथ है। भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हुए सिद्धारमैया ने पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं को गुंडा भी कहा है। खास बात यह रही कि बुधवार को ही गठबंधन सरकार को ताजा झटका देते हुए कांग्रेस के दो विधायकों एम टी बी नागराज और के. सुधाकर ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया जिससे असंतुष्ट विधायकों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कर्नाटक का नाटकः
एक ओर कर्नाटक में सियासी संकट जारी है दूसरी ओर यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। कांग्रेस और जेडीएस के 10 बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ याचिका दाखिल की है। मामले की सुनवाई के दौरान बागी विधायकों की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं कर रहे। कर्नाटक में अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है, जबकि विधायकों को दोबारा जनता के बीच जाना है।
कांग्रेस में उठी बागियों को अयोग्य करने की मांगः
सियासी खींचतान के बीच कांग्रेस ने बेंगलुरु में मंगलवार को पार्टी के उन 10 बागी विधायकों में से नौ को अयोग्य घोषित करने की मांग की, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि हमने अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार को दलबदल विरोधी कानून के तहत 9 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए आवेदन दिया है।
दूसरी ओर पार्टी ने वरिष्ठ विधायक रामलिंगा रेड्डी को अयोग्य घोषित करने की मांग नहीं की है। माना जा रहा है कि वह जल्द ही अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं। जनता दल-सेकुलर (जेडीएस) के तीन विधायकों सहित 13 बागियों में से 12 ने 6 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, जबकि कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने 1 जुलाई को इस्तीफा दिया था। सिद्धारमैया ने राज्य सचिवालय में दो घंटे की लंबी बैठक के बाद कहा कि हम बागियों से आग्रह करते हैं कि वे अपना इस्तीफा वापस लें और पार्टी में रहें।
दरअसल सभी बागी विधायकों को बैठक् में शामिल होने की सूचना दी गई थी। लेकिन कोई भी बागी विधायक पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हुआ था। इसके बाद सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि वे विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से दिए गए लालच में फंसे हुए हैं और उन्हें पैसे के साथ मंत्री पद की पेशकश की गई है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि उनकी वापसी होगी। सिद्धारमैया ने आगे कहा कि पार्टी 12 जुलाई से विधानसभा के 10 दिवसीय मानसून सत्र में भाग लेने के लिए गुरुवार को उन्हें व्हिप जारी कर दिया गया है। बागी विधायकों को कहा गया है कि 2019-20 के लिए पेश होने वाले बजट में वह शामिल रहें।
भाजपा ने 5 बार की सरकार गिराने की कोशिशः
कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि बीजेपी हमारी सरकार को उखाड़ फेंकने और सत्ता में लौटने के लिए एक साल में 5 बार कोशिश कर चुकी है। लेकिन भाजपा अपनी साजिश में हर बार विफल रही है। अब भाजपा छठी बार फिर से विफल हो जाएगी। हमारे अधिकांश विधायक पार्टी के प्रति वफादार हैं और वे धोखा नहीं देंगे। सिद्धरमैया ने कहा कि कांग्रेस के बागी विधायकों को गुरूवार 11 जुलाई और जेडीएस के बागियों को 12, 15 और 21 जुलाई को सुनवाई के लिए बुलाया गया है।