कांग्रेस में उठा सियासी तूफान… हो रहा राहुल गांधी का विरोध!

-राहुल और सोनिया गुट में बंटी कांग्रेस पार्टी
-राहुल-प्रियंका पर लग रहे मनमानी का आरोप
-नये बनाम पुराने, नेताओं के बीच खिंची तलवारें

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
साल 2014 में केंद्र की सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस अब टूट के कगार पर पहुंच गई है। पार्टी में एक बार फिर युवा तुर्क और वरिष्ठ नेताओं के बीच तलवारें खिंच गई हैं। पार्टी में राहुल ब्रिगेड और सोनिया समर्थकों के रूप में दो अलग अलग गुट बन गए हैं। दोनों ही गुट अब एक-दूसरे पर पार्टी को खत्म करने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। एक गुट राहुल का विरोध करते हुए किसी को कांग्रेस का स्थायी अध्यक्ष बनवाना चाहता है तो दूसरो राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाना चाहता है। कांग्रेस में चल रहे अंदरूनी सियासी तूफान से पार्टी में दो-फाड़ होने की आशंका बनने लगी है।

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31 जुलाई को हुई राज्यसभा सांसदों की बैठक में कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी की गैर-मौजूदगी में दोनों गुटों के बीच तीखी बहस छिड़ गई। बात यहां तक पहुंच गई है कि वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान छेड़ दिया है। इन नेताओं ने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति और केंद्रीय पदाधिकारियों का पारदर्शी ढंग से चुनाव कराने की मांग की है। कांग्रेस राज्यसभा सांसदों की यह बैठक 31 जुलाई को बुलाई गई थी।

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वहीं राहुल ब्रिगेड में शामिल नेताओं ने राहुल गांधी को दोबारा पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग उठाई है। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पीएल पुनिया, राजीव सातव, रिपुन बोरा और छाया वर्मा ने राहुल गांधी की समर्थन में झंडा उठा लिया है। इस बैठक में इन नेताओं ने राहुल को दोबारा अध्यक्ष बनाने की मांग की। उनका कहना था कि वर्तमान समय में केवल राहुल गांधी ही एक विश्वसनीय विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। वह हर जरूरी विषय पर सरकार से तीखे सवाल कर उसे कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।

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खास बात है कि कांग्रेस में अब राहुल गांधी के फैसलों पर भी तीखे सवाल उठने लगे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा ने राहुल गांधी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। बैठक में आनंद शर्मा ने पूछा कि केसी वेणुगोपाल और राजीव सातव को राज्यसभा में भेजने का फैसला राहुल गांधी ने किसकी सलाह पर किया और किस हैसियत से?

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दूसरी ओर कपिल सिब्बल ने राहुल द्वारा ट्विटर पर सरकार से सवाल पूछने की शैली की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता राहुल को यह सवाल पूछने की सलाह कौन देता है? और उसे विदेश और रक्षा नीति का कितना ज्ञान है। लेकिन इतना अवश्य है कि इन सवालों से पार्टी की साख तेजी से घट रही है। सिब्बल ने तो बैठक में कांग्रेसियों को आत्ममंथन की सलाह भी दे डाली। वहीं पी चिदंबरम ने लगातार कमजोर होती पार्टी और बिखरते संगठन पर गंभीर चिंता जाहिर की।
ऐसे में राहुल गांधी को एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने का अभियान चला रहे नेताओं को झटका लगा है। कांग्रेस के एक सांसद ने तो यहां तक कह दिया कि राहुल गांधी के सबसे करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे नेता ही पार्टी की पीठ में छुरा भोंक रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया तो पार्टी कैसे चल पाएगी? हंगामेदार बैठक की खास बात यह भी रही कि वरिष्ठ नेताओं के इन तेवरों से तिलमिलाए राहुल ब्रिगेड के सांसदों ने अपने ही वरिष्ठ नेताओं पर यूपीए-2 के दौरान खराब प्रशासन के चलते सरकार गंवाने का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि तब वरिष्ठ मंत्री रहे इन सांसदों की वजह से ही पार्टी को जो नुकसान हुआ उसका खामियाजा अभी तक भुगतना पड़ रहा है।
कांग्रेस में हो सकती है 1967 जैसी फूट
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी में पुराने और नए नेताओं के दो गुट बन गए हैं। एक गुट राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनवाना चाहता है, जबकि दूसरा राहुल गांधी की कार्यप्रणाली का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में एक बार फिर 1967 जैसी परिस्थितियां बन गई हैं। तब के कामराज के नेतृत्व में बुजुर्ग नेताओं ने इंदिरा गांधी को पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने अपनी अलग पार्टी (कांग्रेस आई) बना ली थी। हालांकि वह ज्यादा सफल नहीं हो पाईं और 1971 के पाकिस्तान युद्ध में जीत के बाद इंदिरा कांग्रेस ने धमाकेदार जीत दर्ज की थी। अब यह देखना होगा कि क्या सोनिया गांधी पार्टी में चल रही इस खींचतान को किस तरह रोक पाती हैं।
राहुल-प्रियंका पर लगे मनमानी के आरोप
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक वरिष्ठ नेता कई बार अलग अलग बैठकों में राहुल गांधी और प्रियंका बढेरा पर मनमानी का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने बताया कि दोनों भाई-बहन पार्टी के फैसलों में अपनी मनमानी करते हैं। इसकी वजह से पार्टी के नेताओं में लगातार नाराजगी बढ़ती जा रही है। राहुल-प्रियंका के सहायक पार्टी कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने ही नहीं देते। यहां तक कि दोनों भाई-बहन अब पार्टी के मामले में सोनिया गांधी की भी नहीं सुनते हैं।
कांग्रेस में बवाल पर तीसरे गुट की चुप्पी
कांग्रेस सांसदों की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल भी मौजूद थे। लेकिन इन नेताओं ने बहस में भाग नहीं लिया और लगातार किसी का पक्ष लिये बिना मौन साधे रहे। हालांकि राहुल ब्रिगेड द्वारा यूपीए-2 की सरकार पर उठाये गए सवालों से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह असहज दिखे।