कोई नया टैक्स नहीं, पार्षद फंड का प्रावधान नहीं, फैक्ट्री लाइसेंस और जनरल ट्रेड लाइसेंस खत्म… MCD आयुक्त ने पेश किया 16,530 करोड़ का बजट!

-एमसीडी के ऊपर है 15,791 करोड़ की देनदारी, कर्मचारियों को देने हैं करीब 7 हजार करोड़
-एमसीडी पर है 8 हजार करोड़ का लोन, ठेकेदारों को करना है 520 करोड़ का भुगतान

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 05 दिसंबर।
निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम के लिए वर्ष 2025-26 का संशोधित बजट और 2026-27 के बजट प्रस्ताव पेश किये। साल 2026-27 के लिए पेश किये गये 16,530 करोड़ के बजट प्रस्तावों में सफाई के लिए 4,795 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। वहीं शिक्षा के मद में बजट का 15 फीसदी और स्वास्थ्य के मद में बजट का 12 फीसदी खर्च करने का प्रस्ताव रखा गया है। खास बात है कि आगामी वित्त वर्ष का बजट 2025-26 के बजट से कुछ कम रखा गया है। बता दें कि वर्ष 2025-26 का बजट कुल 17,002.66 करोड़ का पेश किया गया था।
निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने बताया कि एमसीडी के ऊपर वर्तमान में 15,791 करोड़ रूपये की देनदारी बकाया है। इनमें से करीब 7 हजार करोड़ रूपये की देनदारी तो एमसीडी के कर्मचारियो ंकी ही है। इसके अतिरिक्त करीब 520 करो़ड़ रूपये विभिन्न काम करने वाले ठेकेदारों को भुगतान किया जाना है। उन्होंने बताया कि एमसीडी के ऊपर करीब 8 हजार करोड़ रूपये का लोन बकाया है। हालांकि ठोस प्रयासों के बाद फिलहाल कर्मचारियों को हर महीने समय पर सेलरी दी जा रही है और रिटायरमेंट के लाभ भी साथ के साथ दिये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
व्यापारियों को नहीं करना होगा जनरल ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन
बजट प्रस्ताव पेश किये जाने के पश्चात निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने बताया कि आने वाले दिनों में लोगों को जनरल ट्रेड लाइसेंस के लिए अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस लाइसेंस के लिए सभी तरह की श्रेणियां भी खत्म करने पर भी काम चल रहा है। अब जनरल ट्रेड लाइसेंस को संपत्ति कर के साथ जोड़ दिया जायेगा। व्यापारी या दुकानदार अपने संपत्ति कर के साथ उसका 15 फीसदी टैक्स जमा करायेंगे तो स्वतः ही उनका जनरल ट्रेड लाइसेंस डाउनलोड हो जायेगा। अब इसके लिए अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी।
कारोबारियों को नहीं लेने होंगे अलग जनरल ट्रेड और हैल्थ ट्रेड लाइसेंस
निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने बताया कि कुछ कारोबारी जनरल ट्रेड लाइसेंस और हैल्थ ट्रेड लाइसेंस दोनों ही लेते हैं। इनके लिए अलग अलग आवेदन और अलग अलग शुल्क जमा करते हैं। परंतु एमसीडी द्वारा इस तरह की व्यवस्था लागू की जा रही है कि अब अलग अलग लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। अब हैल्थ ट्रेड लाइसेंस को भी संपत्ति कर के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके पश्चात जो कारोबारी जनरल ट्रेड लाइसेंस ले लेंगे उन्हें अलग से हैल्थ ट्रेड लाइसेंस नहीं लेना होगा।
आयुक्त ने नहीं किया पार्षद फंड का प्रावधान
निगम पार्षदों की सबसे ज्यादा रूचि उनके लिए क्षेत्रीय विकास के लिए मिलने वाले पार्षद फंड के प्रति होती है। परंतु निगम आयुक्त ने अपने बजट भाषण में पार्षद फंड की कोई चर्चा नहीं की है। इसको लेकर सभी दलों के पार्षदों में मायूसी है। हालांकि अभी निगम आयुक्त बजट प्रस्तावों पर स्थायी समिति और सदन की बैठकों में गंभीर चर्चा होनी है। इसके अलावा वार्ड समितियों एवं विभिन्न कमेटियों के बजट प्रस्तावों को भी शामिल किया जाना है। इसके पश्चात ही पार्षद फंड की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।