-स्थायी समिति अध्यक्ष जय प्रकाश ने किया उद्घाटन
-निर्माण और रखरखाव मार्केट एसोसिएशन के जिम्मे
टीम एटूजैड/पुरानी दिल्ली
पुरानी दिल्ली के सदर बाजार आने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के लिए अच्छी खबर है। सदर बाजार के डिप्टी गंज इलाके में बुधवार से आदर्श जनसुविधा केंद्र यानी आधुनिक शौचालय शुरू हो गया है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति अध्यक्ष जय प्रकाश ने इस जनसुविधा परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके पर निगमायुक्त वर्शा जोशी, मार्केट एसोसिएशन के सदस्य, स्थानीय नागरिक और निगम के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
स्थायी समिति अध्यक्ष जय प्रकाश के मुताबिक शौचालय के निर्माण पर नगर निगम का कोई पैसा खर्च नहीं हुआ है। नगर निगम ने इस शौचालय का निर्माण मार्केट एसोसिएशन की सहायता से किया है और इस शौचालय का रख-रखाव भी मार्केट एसोसिएशन ही करेगी। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में एक उदाहरण है कि इस तरह से भी विकास कार्यों को पूरा किया जा सकता है।
जय प्रकाश ने कहा कि नगर निगम के पास फंड की कमी है। लगातार कोशिश की जा रही है कि निगम को आर्थिक रूप से दुरूस्त किया जा सके। नगर निगम अपने सीमित संसाधनो में भी नागरिकों के लिए विकास के कार्य कर रहा है। निगमायुक्त वर्शा जोशी ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा आगे भी इस तरह की परियोजनाओं के लिए नागरिकों का सहयोग लेकर किया जाएगा।
शौचालयों की किल्लत झेल रहे पुरानी दिल्ली के थो बाजार
पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों में शौचालयों और मूत्रालयों की भारी कमी है। निगम ने कई जगह मूत्रालय बनाए हैं लेकिन उनकी साफ-सफाई सही ढंग से नहीं हो पाती। इसकी वजह से इनमें लोग शौच के लिए जाने से कतराते हैं। पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों में रोजाना लाखों महिलाएं व पुरूष खरीदारी करने के लिए आते हैं। स्थायी समिति अध्यक्ष द्वारा शुरू की गई इस नई पहल से सदर बाजार के डिप्टीगंज में आने वाले हजारों लोगों को सुविधा होगी।
निजी कंपनी ने कमाई तो की लेकिन नहीं दी सुविधाः
पुरानी दिल्ली के सभी थोक बाजार शौचालयों की किल्लत झेल रहे हैं। कुछ साल पूर्व उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने शौचालय एक निजी कंपनी को रखरखाव के लिए दिए थे। उस निजी कंपनी को शौचालयों पर विज्ञापन लगाकर कमाई करने का अधिकार भी दिया गया था। लेकिन निजी कंपनी ने शौचालयों पर विज्ञापन लगाकर कमाई तो की पर उनका रखरखाव नहीं किया। इसकी वजह से शौचालयों और मूत्रालयों की हालत खस्ता होती चली गई। निगम के ज्यादातर मूत्रालयों की देखरेख के अभाव में खस्ता हालत है। वहीं निजी कंपनियां हर साल निगम के पास नए-नए प्रस्ताव तो लेकर आती हैं, लेकिन हालात सुधारने पर काम नहीं कर रहीं।