-प्रेस वक्तव्यों और होर्डिंग-पोस्टर तक सीमित है अभियान, नहीं हो रहा घर-घर संपर्क
-केजरीवाल के पीए विभव के ऊपर लगाये जा रहे कार्यकर्ताओं से काटने का आरोप
-प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय लपेटे में, सांगठनिक स्तर को शून्य करने का आरोप
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 13 दिसंबर।
‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) के द्वारा अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए चला गया सियासी दांव फिलहाल सफल होता नजर नहीं आ रहा है। एक दिसंबर से आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा शुरू किया गया ‘‘मै भी केजरीवाल’’ अभियान फ्लॉप साबित हो रहा है। संगठन के नाम पर दिल्ली में पार्टी शून्य पर है और जिसके हाथ में पार्टी की कमान है, उसकी कार्यशैली और क्षमता की ऑडिट भी की जानी चाहिए। प्रदेश नेतृत्व की क्षमता पर सवाल खड़े होना लाजिमी है। मुख्यमंत्री के पीए ने पार्टी मुखिया को 99 फीसदी समर्पित कार्यकर्ताओं से अलग कर दिया है।’ यह हम नहीं कह रहे बल्कि आम आदमी पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता कह रहे हैं।
खास बात है कि अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके पीए विभव और प्रदेश में पार्टी का नेतृत्व संभाल रहे गोपाल राय के ऊपर लगे यह आरोप खुलकर सामने आने लगे हैं। 2013 में रिठाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके पूर्व निगम पार्षद हरीश अवस्थी (Harish Awasthi) ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की नीतियों पर खुलकर सवाल उठाये हैं। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि ‘‘मैं भी केजरीवाल’’ अभियान को शुरू हुए एक सप्ताह से ज्यादा हो गया है, परंतु आप पार्टी का सांगठनिक स्तर लगभग शून्य है। जिनके हाथों में संगठन की कमान सोंप रखी है, कभी उनकी कार्यशैली की परीक्षा भी होनी चाहिए। पार्टी का कोई कार्यकर्ता या पदाधिकारी इतने दिनों में जब मेरे घर तक नहीं आ पाया तो दिल्ली में क्या खाक संपर्क कर रहे होंगे?’
उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि निगम चुनाव का एक साल बीत जाने के बावजूद दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) का 99 प्रतिशत गठन नहीं हो पाया है। केजरीवाल की नीतियों के अनुसार नगर निगम में भ्रष्ट और बिना अनुभव वालो लोगों की संख्या बढाने का प्रतिफल दिल्ली झेल रही है। दूसरी ओर केजरीवाल के पीए विभव ने पार्टी के 99 फीसदी कार्यकर्ताओं से पार्टी नेतृत्व के अलग कर रखा है।’ हरीश अवस्थी केवल एक उदाहरण हैं, जबकि आम आदमी पार्टी के ज्यादातर नेता दबी जुबान में इसी तरह की बातें करने लगे हैं। गौरतलब है कि हरीश अवस्थी 2007 से 2012 तक बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर निगम पार्षद रह चुके हैं। बीजेपी ने 2012 में उन्हें नगर निगम चुनाव में टिकट नहीं दिया था, इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गये थे।