-फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि को हुआ था भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह
आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्लीः 02 फरवरी।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखकर विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष शिव रात्रि का महापर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है।
आप भी जानिये कि इस वर्ष यानी 2024 में महाशिवरात्रि की सही तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि क्या है?
8 मार्च को मनायें महाशिवरात्रि पर्व
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को संध्याकाल में 09 बजकर 57 मिनट पर होगी। इसका समापन अगले दिन 09 मार्च को संध्याकाल में ही 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, अतः उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है। ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च 2024 को रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि पूजा का मुहूर्त
8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम के समय 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इसके अलावा चार प्रहर का मुहूर्त में से प्रथम प्रहर पूजा समय सांय 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक। रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय रात्रि 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक।
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय रात्रि 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक और रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 9 मार्च को प्रातः 03 बजकर 34 मिनट से प्रातः 06 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
निशिता काल मुहूर्तः
9 मार्च 2024 को रात्रि में 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
व्रत पारण समयः
9 मार्च 2024 को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधिः
महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव के आगे व्रत का संकल्प लें। संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिए शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी संकल्प लें।
इस तरह करें शुभ मुहूर्त में पूजाः
सबसे पहले भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं। 8 लोटा केसर युक्त जल के चढ़ायें और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। इसके अलावा भोलेनाथ को चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है। अतः तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में भगवान भोलेनाथ को केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।
(यह आलेख भारतीय सनातन परंपरा एवं ज्योतिषीय सिद्धांतों पर आधारित है और जनरूचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसके लिए कोई विशेष दावा नहीं है। अपने समाचार, लेख एवं विज्ञापन छपवाने हेतु संपर्क करेंः- ईमेलः newsa2z786@gmail.com मोबाइलः 9810103181)