MCD (SNZ) मेंटेनेंस डिवीजन-I में अनपढ़ इंजीनियर उड़ा रहे सीएम केजरीवाल और मेयर शैली ओबरॉय के आदेशों की धज्जियां

-एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एससी मीणा की क्षत्रछाया में चल रहा घालमेल
-मेंटेनेंस के कामों की नहीं होती समीक्षा, नहीं बनाई जाती कोई प्रोग्रेस रिपोर्ट
-1 EE, 3 AE और 4 JE तैनात, फिर भी साबित हो रहे अनपढ़ों की जमात

एसएस ब्यूरो/ नई पूर्वी दिल्लीः 10 अगस्त, 2023।
दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) के शाहदरा नॉर्थ जोन (Shahdara North Zone) के अंतर्गत मेंटेनेंस डिवीजन-1 (Maintenance Division M-I) के इंजीनियर जमकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) और मेयर शैली ओबरॉय (Mayor Shelly Obroi) के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मेयर ने पिछले दिनों ही घोषणा की है कि मुख्यमंत्री के आदेशों के अनुसार नगर निगम का पूरा काम परदर्शी तरीके से किया जायेगा। इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वयं ये घोषणा की है कि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी विभागों का काम पारदर्शी रखा जायेगा और जनता को सभी सूचनाएं बिना देरी किये मुहैया कराई जायेंगी। लेकिन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एससी मीणा के दिशानिर्देशन में चल रहे मेंटेनेंस डिवीजन-1 में इन सभी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
ताजा मामला एक आरटीआई से संबंधित है। एक आवेदक ने शाहदरा नॉर्थ जोन के मेंटेनेंस डिवीजन संख्या एम-1 से संबंधित सूचना प्राप्त करने के लिए एक आरटीआई आवेदन 16.06.2023 को स्पीड पोस्ट के जरिये एग्जीक्यूटिव इंजीनियर/ जनसूचना अधिकारी के नाम भेजा था। जो कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एससी मीणा के कार्यालय में 17.06.2023 को 4ः26 बजे डिलीवर हो गया था। लेकिन जनसूचना अधिकारी एससी मीणा इस आरटीआई आवेदन को दबाये रहे। उन्होंने साथ के साथ अपने स्टाफ से इसके लिए आरटीआई आईडी संख्या जारी नहीं करवाई।
इसके पश्चात 08.08.2023 को उस आरटीआई आवेदन के बारे में रिप्लाई जारी किया गया। इस रिप्लाई में प्रश्न संख्या 01 के उत्तर में कहा गया कि इस डिवीजन में किसी भी कार्य की प्रोग्रेस रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। यानी कि सीधे तौर पर यह कहा गया कि डिवीजन संख्या एम-1 के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, 3 असिस्टेंट इंजीनियर और 4 जूनियर इंजीनियर डिवीजन में चल रहे कामों की कोई समीक्षा नहीं करते और नाही किसी तरह की प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार की जाती है। ताकि यह पता चल सके कि डिवीजन में चल रहे मेंटेनेंस के कामों में कितनी प्रगति हुई है।
आरटीआई में प्रश्न संख्या 02 के तहत मांगी गई सूचना के उत्तर से तो डिवीजन में तैनात इंजीनियरों की और भी बड़ी कामचोरी, लापरवाही, अपने काम के प्रति उदासीनता, अपने पद का खुलकर दुरूपयोग और भ्रष्टाचार दिखता है। इस उत्तर में 274 पेज की सूचना उपलब्ध कराने के लिए 5 रूपये प्रति पेज का शुल्क मांगा गया है। यहां उल्लेखनीय है कि आवेदक को यह नहीं बताया गया है कि यह सूचना किस साइज के पेजों में उपलब्ध कराई जायेगी। जबकि सूचना का अधिकार कानून के तहत दिल्ली में इस तरह की सूचना उपलब्ध कराने के लिए 2 रूपये प्रति पेज का शुल्क तय है।
गणित में कमजोर इंजीनियरों के कंधों पर डिवीजन का भार
प्रश्न संख्या 02 के उत्तर से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली नगर निगम के शाहदरा नॉर्थ जोन के मेंटेनेंस डिवीजन एम-1 सभी इंजीनियर गणित में एकदम शून्य हैं। 274 पेजों के लिए 5 रूपये प्रति पेज के हिसाब से 3170 रूपये की मांग की गई है। खास बात यह है कि इस पर एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एससी मीणा के साथ असिस्टेंट इंजीनियर गिरीश प्रकाश, गजनफर अली व बंपली श्रीनिवास सहित जूनियर इंजीनियर अभिषेक पांडे, संतोष जायसवाल, अजय मित्तल और रवि प्रकाश के हस्ताक्षर किये गये हैं।
समय से सूचना देने के बजाय मनमाने ढंग से बढ़ाई आवेदन की तारीख
यह आरटीआई आवेदन 16.06.2023 को स्पीड पोस्ट के जरिये एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (एम)-1 को भेजा गया था जो कि स्पीड पोस्ट की ट्रैक रिपोर्ट के मुताबिक जनसूचना अधिकारी एससी मीणा के कार्यालय में 17.06.2023 को डिलीवर हो गया था। फिर भी रिप्लाई के सब्जेक्ट में इसे ट्रांसफर आईडी- निल/पीआईओ/एओ/एसएनजेड डेटेड 01.06.2023 और आईडी नंबर 30 (एम)-1/एसएनजेड दिनांकः 10.07.2023 बताया गया है। इस सब्जेक्ट में पीआईओ ने 2 तारीखों का उल्लेख किया है। पहली तारीख ट्रांसफर आईडी के साथ 01.06.2023 लिखी गई है। जबकि आरटीआई आवेदन 16.06.2023 को स्पीड पोस्ट किया गया। तो फिर यह 01.06.2023 की तारीख कहां से आई? दूसरी तारीख आईडी संख्या 30 के साथ 10.07.2023 का उल्लेख किया गया है, जबकि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर/ जनसूचना अधिकारी के कार्यालय में जब आरटीआई आवेदन की डिलीवरी 17.06.2023 को ही हो गई थी तो 24 दिन तक इस आवेदन को आरटीआई रजिस्टर में दर्ज क्यों नहीं किया गया?
डिवीजन के इंजीनियरों की डिग्रियों पर सवालिय निशान
इस मामले के बाद दिल्ली नगर निगम के शाहदरा नॉर्थ जोन के मेंटेनेंस डिवीजन एम-1 में तैनात इंजीनियरों की शिक्षा पर सवालिया निशान लग गये हैं। यह जांच का विषय है कि कही फर्जी डिग्रियों के आधार पर तो यह लोग नगर निगम में इंजीनियरों की नौकरी पाकर सरकारी धन की लूट में शामिल तो नहीं हैं। अब यह दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय और मुख्यमंत्री अरविंदी केजरीवाल को तय करना है कि ऐसे अशिक्षित इंजीनियरों के दम पर कब तक नगर निगम को चलायेगे? या फिर कोई कार्रवाई की जायेगी?