कहता है फराशखाना… यहां नहीं आना!

हालात-ए-शाहजहानाबाद

‘इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी कद्र-ए-सुखन… कौन जाए जौक पर दिल्ली की गलियां छोड़कर’।। यह शेर उर्दू के मशहूर शायर शेख इब्राहिम ‘जौक’ का है। उन्होंने यह षेर दिल्ली की शान में लिखा था। उस समय की दिल्ली यानी शाहजहानाबाद का कुछ इसी तरह का रूतबा था। लेकिन अब शाहजहानाबाद यानी पुरानी दिल्ली की सूरत कुछ और है। यहां की तंग गलियां, जगह जगह गंदगी और अजीब तरह की गंध आपका स्वागत करती है। पेश है पुरानी दिल्ली यानी शाहजहानाबाद के कुछ इलाकों पर सन्नी सिंह की रिपोर्टः-

-खस्ताहाल शाहजहानाबाद, टूटी गलियां… गंदगी आबाद

पुरानी दिल्ली में अब मिर्जा गालिब और शेख इब्राहिम जौक जैसे शायरों की

मो अनीस साबरी

दिल्ली जैसा कुछ नहीं दिखता। लालकुआं के पास स्थित फराशखाना इलाका ऐसे ही इलाकों में गिना जाता है, जहां स्थानीय लोग जनसुविधाओं के अभाव में अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं। पीने के पानी की शिकायत तो पूरी पुरानी दिल्ली की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जहां पानी आता भी है वहां बदबूदार और गंदे पानी की सप्लाई आती है। लोगों का कहना है कि यहां सफाई के नाम पर सफाई तो की जाती है, लेकिन जगह जगह कूड़े के ढेर अपने आप इषारा कर देते हैं कि यहां की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है। थोड़ी सी बारिश में ही सड़कों पर भारी कीचड़ हो जाती है। जिसकी वजह से लोग गिरते रहते हैं। यही कारण है कि अब बाहर के लोग यहां आने से कतराने लगे हैं।

सचिन कुमार

स्थानीय निवासी सचिन कुमार का कहना है कि दिल्ली जल बोर्ड ने यहां की गलियों में जो सीवर की पाइप लाइन डालने का काम शुरू किया है वह बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। इसकी वजह से यहां रहने वालों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। मो. अनीस साबरी का कहना है कि अपने घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। कई कई दिन सड़कें खुदी पड़ी रहती हैं। इसके बाद भरी जाती हैं तो उन्हें अधभरा ही छोड़ दिया गया है। खोदी गई सड़कों को पूरी तरह से नहीं भरा गया है। जिसकी वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।