-दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया आदेश, जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 29 जनवरी।
आम आदमी पार्टी (AAP) और इसके नेताओं की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। आप की सरकार नहीं बनने पर ‘मुफ्त की योजनाएं खत्म करने’ वाली कॉल्स के मामले की जांच अब चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा की जायेगी और इसकी रिपोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट में पेश की जायेगी। इसके बाद कोर्ट आम आदमी पार्टी के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को चुनाव आयोग को उन आरोपों की जांच करने की मंजूरी दे दी है जिनमें कहा गया है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोट मांगने के लिए स्पैम कॉल्स किए थे। इनमें चेतावनी दी गई थी कि यदि आप सत्ता में नहीं आई तो मुफ्त की योजनाएं खत्म कर दी जाएंगी।
दिलली हाई कोर्ट ने निर्देश में कहा है कि मुख्य चुनाव अधिकारी जांच पूरी करके निष्कर्षों के आधार पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ कार्रवाई करे। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार गेडेला की पीठ ने उपरोक्त आदेश तब जारी किया जब निर्वाचन आयोग ने बताया कि उसने इन कॉल्स के संबंध में अधिवक्ता ध्रान दीवान की शिकायत पर संज्ञान लिया है। अदालत ने मुख्य चुनाव अधिकारी से आरोपों की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने को कह है।
आयोग के वकील सिद्धांत कुमार ने अदालत को यह भी बताया कि आयोग रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद मुकदमा शुरू करने सहित अन्य उचित कार्रवाई करेगा। आयोग का कर्त्तव्य है ि कवह चुनाव के संचालन को प्रभावित करने की क्षमता वाले संदेशों के प्रसार के खिलाफ ठोस कदम उठाए। आयोग का यह भी दायित्व है ि कवह ऐसे संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए, जिनसे माहौल खराब होने की संभावना है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि हम निदेश देते हैं कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग उचित कार्रवाई करे।
याचिका में दलील दी गई है कि इस तरह की कॉल्स लोगों को आप के पक्ष में वोट करने के लिए विवश करके लोकतांत्रिक तरीके से अपने प्रतिनिधियों को चुनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। इस तरह की सामग्री के प्रसार ने राजनीतिक दलों और जनता के अधिकार को नुकसान पहुंचाया है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत संरक्षित समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। पक्षपात करके नागरिक के अधिकारों को नुसान पहुंचाना कानून का उल्लंघन है।
दीवान ने अपनी याचिका में चुनाव स्थगित करने की भी मांग की है। अदालत ने कहा कि चुनाव के बीच में ऐसा नहीं किया जा सकता है। अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि पार्टियों और उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी अपमानजनक सामग्री का इस्तेमाल नहीं करने पाएं।