ओपी शर्मा, अमन सिन्हा और अभय वर्मा दौड़ में शामिल
टीम एटूजैड/नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में दावेदारी को लेकर दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में उठापटक तेजी से बढ़ रही है। स्थिति यह है कि जो नेता अब तक निगम पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग रहे थे, वही अब लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। दूसरी ओर पूर्वी दिल्ली से भाजपा में टिकट मांगने की फेहरिश्त यों तो बहुत लंबी है। लेकिन प्रमुख तौर पर वर्तमान सांसद महेश गिरी के अलावा
विधायक ओम प्रकाश शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष अभय वर्मा, प्रदेश प्रवक्ता अमन वर्मा और दुष्यंत गौतम के नाम
प्रमुख रूप से लिए जा रहे हैं। इनके अलावा प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल भी टिकट की दावेदारी में शामिल हैं। यदि पार्टी महेश गिरी को बदलने पर विचार करती है तो इनमें से किसी एक को टिकट मिल सकता है। विधायक ओपी शर्मा केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली के खास माने जाते हैं। इसलिए उनकी स्थिति भी दावेदारी के मामले में मजबूत है। उनके अलावा प्रदेश भाजपा के दो पदाधिकारी अभय वर्मा और अमन सिन्हा की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। अभय वर्मा विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हाल ही में रामलीला मैदान में आयोजित खिचडी के कार्यक्रम की जिम्मेदारी उन्हीं के पास थी, खास बात यह रही कि उन्होंने
कुलजीत सिंह चहल की तरह बूथ संयोजकों के
सम्मेलन जैसी गलती नहीं दोहराई और अनुसूचित जाति मोर्चा के पदाधिकारियों को मंच पर पूरा सथान दिया। जबकि पेशे से वकील अमन सिन्हा भी टिकट की दावेदारी में शामिल हैं। दुष्यंत गौतम पूर्वी दिल्ली के अलावा उत्तर पश्चिमी दिल्ली से भी दावेदारी में शामिल हैं। क्योंकि वह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भी है। हालांकि सांसद महेश गिरी ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ानी शुरू कर दी है।
पार्षद-विधायक की दावेदारी के बाद लोकसभा
भाजपा में ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं है
जो निगम के चुनाव के समय पार्षद, विधानसभा चुनाव के समय विधायक और लोकसभा चुनाव के समय सांसद का टिकट मांगने में आगे रहते हैं। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों जब दिल्ली के विधायकों की विधानसभा की सदस्यता कोर्ट से रद्द होने की उम्मीद जगी थी। तब भी कुलजीत चहल ने पूरे इलाके में अपने होर्डिंग-पोस्टर लगाए थे। अब लोकसभा चुनाव की आहटशुरू होने पर भी ऐसा ही हो रहा है।
पीछा नहीं छोड़ रहा बूथ संयोजक सम्मेलन का भूत
लोकसभा टिकट के दावेदार कुलजीत चहल के साथ बूथ संयोजक सम्मेलन का विवाद जुड़ा हुआ है। इसकी शिकायत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ पार्टी के दूसरी पदाधिकारियों तक की गई थी। चहल ने बूथ प्रबंधन से जुड़े प्रदेश पदाधिकारियों को काय्रक्रम के दौरान मंच पर भी नहीं चढ़ने दिया था। इसके बाद से पार्टी में उनका विरोध तेजी से उभरा है। पिछले दिनों चहल ने एक और बैठक प्रदेश कार्यालय में बुलाई थी। जिसमें पार्टी के करीब 350 प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया था। लेकिन इस बैठक में चार दर्जन के करीब लोग ही पहुंचे थे।