-दीक्षा का सपना ओलंपिक में महिलाओं की कुश्ती का पहला गोल्ड जीतना
-अंतराष्टृय धर्मेन्द्र पहलवान व कोच से सीख रही है कुश्ती की बारीकियां
विजय कुमार नई दिल्ली,31 जुलाई।
दिल्ली हरियाणा के नजदीकी गांव मांडौठी का नाम अब कुश्ती जगत में अंतराष्टृय स्तर पर लिखा जा चुका है। हाल ही में इस गांव मांडौठी की दीक्षा ने अंडर 15 एशिया कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर यह इतिहास लिखा है। हालांकि गांव के कई पहलवान पहले भी पदक जीत चुके है, लेकिन किसी ने भी गोल्ड को अपने गले में नहीं पहना था। दीक्षा ने यह काम कर सभी गांववासियों का सिर गर्व से उंचा कर दिया।
अंतराष्टृय पहलवान धर्मेन्द्र और सुधीर से कुश्ती के गुर सीखने वाली दीक्षा पहलवान ने एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में जापान, ताजाकिस्तान, क्रिकिस्तान के पहलवानों को एक तरफा 10-0 से हराकर आने वाले सालों के अपने इरादे जता दिए हैं। हालांकि दीक्षा का भी सपना वही है, जो हर कोई पालता है, ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना, इसके लिए वह मेहनत करने से पीछे नहीं है।
दीक्षा अपनी दो बहनों व एक भाई की लाडली है। वह पहलवानी में ही नहीं, बल्कि पढाई में भी हमेशा अव्वल रहती है। वर्तमान में वह बीएसएम स्कूल की कक्षा आठवीं पढती है। पिता सीआरपीएफ में और मां गृहणी है। दादा लाजपत राय के साथ खेलने के लिए जाते-जाते कुश्ती की तरफ रूझाने रखना शुरू करने वाली दीक्षा को परिवार से पुरा सहयोग मिल रहा है। जिसको निखारने का काम गांव के ही अंतराष्टृय पहलवान तथा रेलवे कुश्ती टीम के कोच धर्मेन्द्र ने शुरू किया।
धर्मेन्द्र ने बताया दीक्षा अपनी उम्र से पांच साल अधिक के पहलवानों के साथ जोर करती हैं उसकी मेहतन को देखकर हर कोई वाहवाह करने लगता है। उन्होंने बताया कि वह मिटटी से अधिक मैट पर मेहनत करती है। मैच पर उसकी चपलता काफी मजबूत है। दीक्षा ने स्कूल स्तर पर भी तीन गोल्ड मेडल जीते है। दूसरा बहालगढ में हुई ओपन चयन टृयल में भी उसने पहला स्थान प्राप्त किया था।
उसके वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए उसके कोच ही नहीं, बल्कि मांडौठी गांव का प्रत्येक निवासी ओलंपिक एशियाई और राष्टृमंडल जैसी बडी प्रतियोगिताओं में गोल्ड की उम्मीद लगाए हुए हैं, जिसके लिए वह दीक्षा को हमेशा ही प्रेरित करते रहते है। इसके अलावा मांडौठी गांव के लिए एशिया चैंपियनशिप निशांत ने प्री स्टाइल के 52 किलो में, रजत ने 125 किलोभार में कांस्य पदक जीते है। सबजूनियर में रोहित ने 51 किलोभार में,तुषार ने 60 किलोभार में रजत और कांस्य पदक जीतने में सफलता पाई। ऐसे में देखना यह होगा कि अब गांव का कौन सा पहलवान पहले ओलंपिक जैसा पदक जीत कर आता है।