-रमेश बिधूड़ी, सतीश उपाध्याय, पवन शर्मा के नाम चर्चा में
-मार्च तक दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बदलने की उम्मीद
हीरेन्द्र राठौड़/ नई दिल्ली। 21 फरवरी, 2020
भारतीय जनता पार्टी में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि मार्च के महीने में पार्टी को दिल्ली का नया अध्यक्ष मिल सकता है। सूत्रों की मानें तो इस पद के लिए सांसद रमेश बिधूड़ी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और पूर्व विधायक पवन शर्मा के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। वैसे भी वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है और बीजेपी संगठन में चुनाव प्रक्रिया करीब-करीब पूरी हो चुकी है।
बीजेपी से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए गहन मंथन किया जा रहा है। प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और आशीष सूद के नाम भी प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में बताए जा रहे हैं। हालांकि पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है जो संगठन के कार्यकर्ताटों और स्वयं सेवकों के बीच तालमेल बनाकर चल सके। इसके साथ ही उस व्यक्ति के ऊपर संघ और पार्टी के नेताओं को भरोसा हो।
सूत्रों की मानें तो रमेश बिधूड़ी इस मामले में कुछ हद तक खरे उतरते हैं। वह गूजर समुदाय से आते हैं और दिल्ली में गूजर समुदाय हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ जुड़ा रहा है। वह पुराने भाजपाई हैं और पार्टी के विभिन्न पदों पर रहकर सेवाएं देते रहे हैं। दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी दोबारा सांसद बने हैं और इससे पहले विधायक भी रह चुके हैं। वह छात्र जीवन से संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी की जिम्मेदारी भी दे रखी है। लेकिन बिधूड़ी के खिलाफ उनकी खुलकर बोल देने की आदत जा सकती है।
वहीं पवन शर्मा भी पुराने समय से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। लंबे समय तक दिल्ली बीजेपी के संगठन मंत्री रहे हैं। 2013 में संगम उत्तम नगर सीट से वह विधायक चुने गए थे। फिलहाल मिजोरम के प्रभारी हैं और बिहार के सह प्रभारी भी हैं। पवन शर्मा दिल्ली बीजेपी में भी कई पदों पर रहे हैं।
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय मिलनसार स्वभाव के हैं। उपाध्याय को 2014 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इससे पहले वह पार्टी के कई पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सतीश उपाध्याय भी छात्र जीवन से संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। वह मालवीय नगर वार्ड से निगम पार्षद रहे हैं और निगम में कई पदों पर रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में बीजेपी 2015 का विधानसभा चुनाव हार गई थी। लेकिन 2020 में पार्टी को मिली हार ने उनके कार्यकाल के प्रभाव को कुछ कम कर दिया है।
इस पद के लिए एक नाम प्रवेश वर्मा का भी चलाया जा रहा है। लेकिन जाट बिरादरी में उनकी पकड़ कमजोर पड़ने की वजह से उन्हें इसका नुकसान हो सकता है। 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय ने बीजेपी का विरोध किया था। वहीं हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह दिल्ली के जाट समुदाय को पार्टी की ओर आकर्षित कर पाने में नाकाम रहे हैं।
गोयल व हर्षवर्धन पर नहीं विचार!
बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अगले प्रदेश अध्यक्ष के लिए पूर्व अध्यक्ष विजय गोयल और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के नामों पर विचार नहीं किया जा रहा। बताया जा रहा है कि पार्टी में विजय गोयल की छवि अख्खड़ मिजाज की बन गई है। पिछली बार जब उन्हें पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, तब भी कई बवाल उठ खड़े हुए थे। तब गोयल को बिना उनका कार्यकाल पूरा किए ही हटा दिया गया था। वहीं डॉक्टर हर्षवर्धन के अध्यक्ष रहते भी पार्टी कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी।