MCD चुनाव पर संकटः सियासी दलों को करना होगा इंतजार… दिसंबर में चुनाव कराने पर भी अप्रैल से पहले नहीं हो सकेगा नगर निगम का गठन

-तकनीकी कारणों से अप्रैल महीने में ही हो पायेगा नगर निगम का गठन

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 29 सितंबर, 2022।
दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग एवं एवं वार्ड डी-लिमिटेशन कमेटी की ओर से सरगर्मियां बढ़ने के साथ राजधानी दिल्ली के सियासतदानों में दिल्ली नगर निगम के चुनाव दिसंबर में कराये जाने के प्रति भारोसा बढ़ गया है। लेकिन नगर निगम के गठन में तकनीकी पेंच फंसा हुआ है। यदि सभी स्थितियां सामान्य रहीं और इसी साम दिसंबर महीने में नगर निगम के चुनाव हो गये, तब भी निगम का गठन अप्रैल महीने से पूर्व नहीं हो सकेगा।
दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के अनुसार हर साल अप्रैल महीने की निगम सदन की पहली बैठक में महापौर का चुनाव कराया जाता है। इसी के साथ स्थायी समिति व दूसरी समितियों के सदस्यों, अध्यक्ष, उपाध्यक्षों के चुनाव के साथ निगम का गठन माना जाता है। यह प्रक्रिया हर वर्ष अपनाई जाती है। यदि नगर निगम के चुनाव दिसंबर महीने में हो जाते हैं तो पहली बैठक में महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराना होगा और इसके पश्चात 2023 के अप्रैल महीने में फिर से महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराना होगा। ऐसे में दो महापौरों को अपना एक वर्ष का पूरा कार्यकाल पूरा करने का मौका ही नहीं मिल पायेगा। क्योंकि फिर अगले निगम चुनाव दिसंबर 2027 में करो जायेंगे तो निगम के एक कार्यकाल में 6 महापौर मिल जायेंगे। जो कि तकनीकी रूप से गलत है।
अब माना जा रहा है कि मोदी सरकार दिल्ली नगर निगम के चुनाव मार्च या अप्रैल 2023 में करवा सकती है। इससे तकनीकी परेशानियों का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। हालांकि प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में अब सियासी नेताओं का एक धड़ा मानने लगा है कि नगर निगम के चुनाव दिसंबर महीने से आगे जा सकते हैं। कारण है कि भारतीय जनता पार्टी का पूरा ध्यान अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर केंद्रित है। विधानसभा चुनाव वाले दोनों राज्यों में पार्टी के दूसरे राज्यों के कार्यकर्ताओं ने डेरा जमाना शुरू कर दिया है।
1997 में भी करना पड़ा था दो महीने का इंतजार
वर्तमान दिल्ली नगर निगम का पुनर्गठन इससे पहले 1996 में हुआ था। तब भी दिसंबर महीने में ही चुनाव कराये जाने थे। लेकिन वार्डां के परिसीमन को लेकर विसंगतियों के चलते मामला कोर्ट में चला गया, इसके पश्चात फरवरी 1997 में निगम चुनाव कराये गये थे। तब भी इसी तरह की तकनीकी परेशानी आई थी, ऐसे में दो महीने इंतजार के पश्चात अप्रैल 1997 में शकुंतला आर्य को दिल्ली का महापौर चुना गया, उनके साथ उपमहापौर के चुनाव के साथ निगम सदन का गठन किया गया था। उस समय दिल्ली नगर निगम के कुल 134 वार्ड के लिए चुनाव कराये गये थे। जबकि 2007 के नगर निगम चुनाव से पहले वार्डों की संख्या बढ़ाकर 272 कर दी गई थी। वहीं अब 2022 में 272 से घटाकर दिल्ली नगर निगम के वार्डों की संख्या घटाकर 250 कर दी गई है।