-कांग्रेस हुई दिशाहीन, नहीं सूझ रहा रास्ता
-सीएजी रिपोर्ट के खुलासे पर बीजेपी को घेरा
-नगर निगमों घोटाले की सीबीआई जांच की मांग
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में दिशाहीन कांग्रेस को सियासी मैदान में टिकने का रास्ता नहीं सूझ रहा है। दिल्ली कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व दिल्ली सरकार पर हमलावर नहीं हो पा रहा है। पार्टी नेताओं को यह भी समझ नहीं आ रहा है कि वह बीजेपी पर सियासी हमला करें या आम आदमी पार्टी पर। दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेस नेता आम आदमी पार्टी की तरह नगर निगमों की बात कर रहे हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने रविवार को बीजेपी पर हमला तो किया, लेकिन इसमें भी वह कमजोर साबित हुए। प्रदेश कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी शासित नगर निगमों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि दिल्ली नगर निगम का नाम देश के 205 निगमों में सबसे भ्रष्टतम निगमों में पहले स्थान पर है। कांग्रेस की ओर से रविवार को तीनों निगमों के भ्रष्टाचार पर एक रिपोर्ट भी जारी की।
सुभाष चोपड़ा व मुकेश शर्मा ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम ने महा लेखा परीक्षक की रिपोर्ट को तीनों सदनों में आज तक रखा ही नही है। उन्होंने कहा कि इससे यह साबित होता है कि गृह कर, भवन विभाग, पेंशन व अन्य मदों में 5000 करोड़ से भी अधिक का घोटाला हुआ है। जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
मुकेश गोयल, अभिषेक दत व रिंकू ने निगम के घोटालों से पर्दा उठाते हुए कहा कि 1472 मामालों में से सिर्फ 77 मामलों का ही आंतरिक ऑडिट करवाया गया जिसमें लगभग 33 लाख रुपये का घोटाला पाया गया और बाकी मामलों को छिपा लिया गया। 1472 मामलों का खुलासा हो जाता तो यह राशि 2000 करोड़ रुपये से अधिक की होती। शीला सरकार के समय 14 प्रतिशत का शार्ट फॉल था, जो आज बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि एन्ड्रयूज गंज में नाला बनाने के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है।
रिंकू ने पूर्वी दिल्ली में कूडा उठाने के नाम पर 215 करोड़ के घोटाले का खुलासा करते हुए कहा कि बिना सदन की मंजूरी के अग्रिम मंजूरी देकर ऐसी गाडियों को अनुबंधित किया गया, जो प्रदूषण फैलाती हैं और अर्न्तराष्ट्रीय मानको के खिलाफ हैं। गोयल ने पार्किग घोटले की जांच की मांग की।
भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस के समय से अव्वल रहा निगम
भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस के शासनकाल से ही दिल्ली नगर निगम अव्वल रहा है। दिल्ली वालों के सामने चर्चा होते ही नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार बात होने लगती है। जिस सीलिंग की बात को रविवार को कांग्रेस नेताओं ने उठाया, उसी सीलिंग की वजह से 2007 में नगर निगम से कांग्रेस का सफाया हो गया था। आश्चर्य की बात यह है कि दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने उसी दुखती रग पर हाथ रखा है जो कांग्रेस के लिए खतरा साबित हुई थी। कांग्रेस के शासनकाल में ही आयुष विभाग में आयुर्वेदिक दवाओं की सप्लाई के मामले में एक दवा निर्माता कंपनी को ब्लैक आउट किया गया था और इस घोटाले में शामिल होने के आरोप तत्कालीन कांग्रेस नेताओं पर लगे थे। उस दवा निर्माता कंपनी ने बहुमूल्य भष्मों के नाम पर नगर निगम अस्पतालों में केवल राख की सप्लाई की थी।