-अस्पताल प्रशासन ने जबरन रिटायरमेंट के लिए भेजी करीब 300 की सूची
-अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों पर निजी खुन्नस निकालने का आरोप
पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के अस्पतालों में कोरोना से बचाव की विशेष व्यवस्था की जा रही है। लेकिन नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कर्मचारियों को नौकरी से जबरन निकालने की तैयारी की गई है। अस्पताल प्रशासन ने धारा 56 जे के तहत करीब विभिन्न श्रेणी के करीब 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए संबंधित अथॉरिटी को सूची भेजी गई है। आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अस्पताल के कर्मियों के साथ निजी खुन्नस निकालने के लिए बहुत से कर्मियों के नाम इस सूची में शामिल कराए हैं।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के एस्टेब्लिशमेंट सेक्शन ने ‘पीरियोडिक रिव्यू ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलॉयीज अंडर एफआर 56 (जे) (आई) एंड रूल्स 48 ऑफ सीसीएस पेंसन रूल्स 1972 के तहत कंपल्सरी रिटायरमेंट के लिए यह सूची तैयार की गई है। इस सूची में क्लेरिकल के 17, गु्प डी के 140, टेक्निकल के 23 और नर्सिंग के 76 कर्मचारी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक तैयार की गई सूची में से ज्यादातर को कभी कारण बताओ नोटिस या मेमो तक नहीं दिया गया है।
पीड़ितों का कहना है कि यह स्थिति तो तब है जब पूरा देश कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है। पिछले लंबे समय से सरकार ने किसी भी पद पर नई भर्ती नहीं की है। अस्पताल में कर्मचारियों की पहले से ही कमी है।
बता दें कि नियमानुसार निर्धारित अवधि के दौरान सरकारी विभागों में ऐसे कर्मचारियों की छटनी की जाती है जो जिम्मेदारी से अपना काम पूरा नहीं करते, लापरवाही करते हैं या जिनके खिलाफ ज्यादा शिकायतें होती हैं। ऐसे सरकारी कर्मचारियों को 30 साल की सेवा या फिर 55 साल की उम्र पूरी होने पर कंपल्सरी सेवानिवृति दी जाती है। खास बात है कि एक ओर जहां राज्य, केंद्र और स्थानीय निकायों के अस्पतालों में डाक्टर्स को 5 साल का सेवा विस्तार दिया जा रहा है। वहीं दूसरे कर्मचारियों को रिटायरमेंट से पहले ही कम्पल्सरी रिटायरमेंट दिया जा रहा है।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल की पीआरओ स्मृति ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। वहीं एमएस मीनाक्षी भारद्वाज ने एटूजैड न्यूज से कहा कि वह इसकी जानकारी मीडिया के साथ शेयर नहीं कर सकतीं।