-हुड़्डा को महत्व मिलने से कुमारी सैलजा नाराज, हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को भारी न पड़ जाएं ये विवाद
एसएस ब्यूरो/ चंडीगढ़ः 19 सितंबर।
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Harayana Assembly Elections) के दौरान कांग्रेस (Congress) की अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। एक बार फिर राज्य में कांग्रेसी दिग्गज आमने-सामने आ गये हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद सिरसा लोकसभा सीट से सांसद कुमारी सैलजा (Kumari Sailaja) काफी एक्टिव दिखाई दे रही थी। लेकिन अब उन्होंने इस चुनाव से दूरी सी बना ली है। सैलजा न तो कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी करने के समय दिखाई दीं और न ही वो अब चुनाव प्रचार कर रही हैं। सैलजा की इस नाजगी का कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल टिकट बंटवारे से लेकर अबतक जो घटनाक्रम हुए हैं उन सब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupender Singh Hudda) को तवज्जो मिली है। पहले सैलजा अपने ज्यादातर समर्थकों को टिकट दिला पाने में नाकाम रहीं और अब हुड्डा गुट के समर्थकों की ओर की गईं टिप्पणियों से वह आहत हैं। गौरतलब है कि कुमारी सैलजा हरियाणा में कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा हैं। वो अनुसूचित जाति से आती हैं। हरियाणा की 21 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां कुमारी सैलजा का प्रभाव माना जाता है। लेकिन कांग्रेस समर्थकों की टिप्पणियों के बाद से उन्होंने चुनावी कैंपेन से दूरी बना ली है। उन्होंने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी या बयान भी नहीं दिया है। सैलजा की इस खामोशी ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है।
आखिर पार्टी नेतृत्व से क्यों नाराज है सैलजा?
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि टिकट बंटवारे के समय कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा समर्थकों को तवज्जो देते हुए 90 में से 72 सीटों पर उनके समर्थकों को टिकट दी है। सैलजा ने 35 सीटें मांगी थी, लेकिन उनके सिर्फ 10 समर्थकों को टिकट दिये गये हैं। इस बात से वह पहले से ही आहत थीं। इसके बाद नारनौंद में कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ के नामांकन कार्यक्रम में एक समर्थक ने कुमारी सैलजा पर जातिगत टिप्पणी कर दी थी। इस मामले ने तूल पकड़ा और जगह-जगह विरोध भी हुआ। बताया जा रहा है कि सैलजा इस बात से और ज्यादा आहत हो गई हैं।
हुड्डा गुट से रही है पहले से अदावत
हरियाणा कांग्रेस में दो बड़े गुट हैं। एक गुट भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है और दूसरा ‘एसआरके’ गुट था। एसआरके गुट में कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी हुआ करते थे। लेकिन किरण चौधरी के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस गुट में सिर्फ दो नेता रह गए हैं। चुनाव कैंपेन में पोस्टर से लेकर बयानबाजी तक में दोनों खेमों में साफ तौर पर तनातनी देखने को मिलती है। सीएम उम्मीदवार को लेकर भी दोनों गुटों में अक्सर बयानबाजी होती रहती है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के मौके पर सैलजा की चुप्पी कांग्रेस के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।