कांग्रेसः पंजाब में दोहराया दिल्ली में फेल हो चुका प्रयोग… सिद्धू के साथ बनाये चार कार्यकारी अध्यक्ष

-संगत सिंह, सुखविंदर सिंह, पवन गोयल व कुलजीत नागरा को बनाया कार्यकारी अध्यक्ष

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
पंजाब कांग्रेस में छिड़े अंदरूनी घमासान को को रोकने के लिए पार्टी आलाकमान ने दिल्ली वाले फार्मूले को अपनया है। नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं। बताया जा रहा है कि ऐसा मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की मांग पर किया गया है। बता दें कि पंजाब कांग्रेस का यह हालिया प्रयोग इससे पहले दिल्ली में फेल हो चुका है। पंजाब में पहले ही सियासी घमासान मचा हुआ है, ऐसे में संदेश तो यही है कि कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू पर पूरा भरोसा नहीं कर पायी है। खास बात है कि शीला दीक्षित को 2019 में जब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, तब उनकी उम्र 80 वर्ष थी, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू की उम्र फिलहाल केवल 57 साल की है और उन्हें इसी उम्र में चार कार्यकारी अध्यक्ष दिये गये हैं।

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश पर रविवार को रात्रि करीब साढ़े नौ बजे कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बतौर नवजोत सिंह सिद्धू के नाम का ऐलान कर दिया। हालांकि उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं। कार्यकारी अध्यक्षों में संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा के नाम शामिल हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ने कुलजीत सिंह नागरा का सिक्किम, त्रिपुरा और नागालैंड के प्रभार से मुक्त कर दिया है।

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बता दें कि इससे पहले 2019 में लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने इसी तरह का प्रयोग दिल्ली में भी किया था। जनवरी 2019 में अजय माकन के इस्तीफा देने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके साथ भी तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये थे। जिनमें हारून यूसुफ, देवेंद्र यादव और राजेश लिलोठिया को उनके सहयोग के लिए कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन यह प्रयोग दिल्ली में सफल नहीं रहा था और कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से असफल रही थी।

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कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फैसला कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी को दरकिनार करते हुए लिया है। कांग्रेस में एक गुट का मानना है कि सूबे में सरकार बनने के बाद पिछले करीब साढ़े चार साल में पार्टी कार्यकर्ताओं में नीरसता आ गई है। कैप्टन पार्टी कार्यकर्ताओं में सिद्ध जैसा जोश नहीं जगा पायेंगे। इसलिए सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि पार्टी ने कैप्टन को तवज्जो देते हुए सिद्धू के अधिकारों में कटौती करते हुए उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्हें भी संदेश देने की कोशिश की है कि वह मनमानी नहीं कर सकते।
कैप्टन की नजर चुनावी परिस्थितियों पर
पंजाब कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि फिलहाल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आने वाले विधानसभा चुनाव और राज्य की सियासी परिस्थितियों पर गहरी नजर बनाये हुए हैं। 79 वर्षीय कैप्टन ने ने अभी अपने सारे पत्ते नहीं खोले हैं। कैप्टन गुट का मानना है कि सिद्धू खुद ही ऐसी गलतियां करेंगे जिससे कांग्रेस आलाकमान को अपनी गलती का अहसास हो जायेगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि कैप्टन विधानसभा चुनाव के मौके पर भी कोई निर्णय ले सकते हैं या फिर चुनावी नतीजे आने के बाद भी किसी के भी साथ हाथ मिला सकते हैं। फिलहाल कांग्रेस द्वारा पंजाब में किये गये इस प्रयोग के नतीजे आने बाकी हैं।