फरहाद सूरी को MCD की कमान सोंप सकती है कांग्रेस

-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने शुरू कर रखी है बदलाव की कवायद

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 02 जुलाई।
लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को कड़ी टक्कर देने के बाद कांग्रेसी (Congress) कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं। भले ही कांग्रेस दिल्ली (Delhi) में अपने हिस्से में आई तीनों सीटों को हार गई हो परंतु आने वाले विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम में अपनी स्थिति में सुधार के लिए पार्टी नेतृत्व की कोशिशें लगातार जारी हैं। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में दिल्ली नगर निगम की कमान प्रभारी के तौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता फरहाद सूरी को सोंपी जा सकती है। फिलहाल यह जिम्मेदारी कांग्रेसी नेता जितेंद्र कोचर के पास है।
बता दें कि 250 सदस्यों वाले दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के केवल 9 सदस्य जीतकर आये हैं। जबकि 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका था। इसके साथ ही 2014 से दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से एक भी सीट पर कांग्रेस जीत दर्ज नहीं कर सकी है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव के पास दिल्ली में पार्टी को फिर से खड़़ा करने की बड़ी चुनौती है।
आने वाले नवंबर से फरबरी के बीच दिल्ली में एक बार फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस को अपने 9 निगम पार्षदों का ही सहारा है। अतः प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व नगर निगम में अपनी छवि को ठीक करने के लिए कुछ संगठनात्मक बदलाव कर सकता है। पार्टी से जुडे सूत्रों का कहना है कि फरहाद सूरी लंबे समय तक नगर निगम में पार्टी का प्रतिनधित्व करते रहे हैं। वह अनुभवी होने के साथ मेहनती भी हैं और पार्टी के निगम पार्षदों को अच्छे कामों के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
आप ने तोड़ा रिश्ता तो अकेली पड़ी कांग्रेस
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था और आप ने 4 व कांग्रेस ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था। परंतु लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही आप नेताओं ने गठंबधन को तो़ड़ दिया है। आप के दिल्ली प्रदेश प्रमुख गोपाल राय ने पहले ही घोषणा कर दी है कि आम आदमी पार्टी अकेले दम पर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके चलते कांग्रेस देश की राजधानी में अकेली पड़ गई है। ऐसे में दिल्ली की सियासत में कांग्रेस की वापसी का सपना फिलहाल धूमिल हो गया है।
न खुदा ही मिला न विसाले सनम
कांग्रेस नेतृत्व ने यह सोचकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव के लिए हाथ मिलाया था कि दोनों दलों के एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने से जीत हासिल की जा सकती है। परंतु दिल्ली वालों ने 2024 के आम चुनाव में दोनों ही दलों को पूरी तरह से नकार दिया। रही सही कमी आप नेताओं ने गठबंधन तोड़ने की घोषणा करके कर दी। ऐसे में जो कांग्रेस दिल्ली में जीत का सपना लेकर उतरी थी और अपने वरिष्ठ नेताओं की सलाह को भी दरकिनार कर दिया था। जिसकी वजह से कई बड़े नता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी या दूसरे दलों में चले गये। इसके बाद कांग्रेस के ऊपर यही शेर फिट बैठता है कि ‘‘ना खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम’’।