-राजस्थान-महाराष्ट्र में भी ठाकुरों की नाराजगी की वजह से हारी बीजेपी
जतन किशोर शुक्ला/ लखनऊ-नई दिल्लीः 02 जुलाई।
लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में उत्तर प्रदेश (UP), राजस्थान (Rajasthan) व महाराष्ट्र (maharashtra) जैसे राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की हार का सबसे बड़ा कारण क्षत्रिय-ठाकुर मतदाताओं (Thakur Voters) की नाराजगी और उम्मीदवारों के चयन में राष्ट्रीय नेतृत्व की मनमानी सामने आई है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद बीजेपी के द्वारा समीक्षा बैठकों के बाद तैयार की गई रिपोर्ट बता रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा, जहां 2019 में अकेले 62 सीटें जीतने वाली पार्टी महज 33 सीटों पर सिमट गई। बीजेपी ने यूपी में मिली हार के बाद समीक्षा की है। इसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उपरोक्त दोनों कारणों के बाद पेपर लीक समेत कुल 12 वजहें यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र में बीजेपी की हार का कारण बनी हैं।
बीजेपी की ओर से यूपी को लेकर जिस समीक्षा रिपोर्ट को तैयार किया गया है वह कुल 15 पेज की है। इसमें हार के 12 कारण बताए गए हैं। शिकस्त की समीक्षा के लिए पार्टी की तरफ से 40 टीमों ने 78 लोकसभा सीटों पर जाकर जानकारी इकट्ठा की है। एक लोकसभा में करीब 500 कार्यकर्ताओं से बात की गई है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए करीब 40,000 कार्यकर्ताओं से बात की हुई है। अब इस रिपोर्ट को बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में रखा जाएगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोटों में गिरावट देखने को मिली है। वोट शेयर में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसमें बताया गया है कि ब्रज क्षेत्र, पश्चिमी यूपी, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में 2019 के मुकाबले सीटें कम हुईं। समाजवादी पार्टी को पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के वोट मिले हैं। गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव एससी का वोट सपा के पक्ष में पड़ा है। संविधान संशोधन के बयानों ने पिछड़ी जाति को बीजेपी से दूर किया।
रिपोर्ट में संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी, विपक्ष का ’आरक्षण हटा देंगे’ का नैरेटिव बना देना, प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक, सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग, बीजेपी कार्यकर्ताओं में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष, बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाना, टिकट वितरण में जल्दबाजी से बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं के उत्साह में कमी, राज्य सरकार के प्रति थाने और तहसीलों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी जैसे मुद्दों को भी बीजेपी की हार का कारण बाया गया है।