पार्षदों की सदस्यता पर संकट के बादल… 23 फरवरी तक नहीं हुआ मेयर का चुनाव तो भंग हो सकती है MCD

-MCD एक्ट की धारा 32 की उपधारा (1) की वजह से फंस सकता है कानूनी पेंच

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली: 7 फरवरी, 2023।
एक ओर दिल्ली के मेयर का चुनाव लगातार टलता जा रहा है और दूसरी ओर दिल्ली नगर निगम के निर्वाचित पार्षदों की सदस्यता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यदि 23 फरवरी तक मेयर का चुनाव नहीं होता है तो नगर निगम के भंग होने की स्थिति भी आ सकती है। कारण है कि पार्षदों की शपथ के बाद मेयर का चुनाव नहीं होने से दिल्ली नगर निगम अधिनियम (MCD Act) की कुछ धाराओं की वजह से तकनीकी पेंच फंस सकता है।
दरअसल दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन एक्ट की धारा 32 की उपधारा (1) के तहत सभी पार्षदों को सदन में शपथ ग्रहण करने के बाद एक माह के अंदर अपनी संपत्तियों का व्योरा मेयर को सौंपना होता है। यदि कोई पार्षद ऐसा नहीं करता है तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।
इस बार 24 जनवरी 2023 को नवनिर्वाचित पार्षदों ने शपथ ली थी, इसके अनुसार एक महीने की अवधि 23 फरवरी को पूरी हो रही है। ऐसे में अब बीजेपी, आप और कांग्रेस सहित निर्दलीय पार्षदों के पास 23 फरवरी तक का ही समय बचा है। इस दौरान मेयर के चुनाव के लिए अगले 10-12 दिनों में एक बैठक और बुलाई जा सकती है। यदि उस बैठक में भी मेयर का चुनाव नहीं होता है तो नगर निगम के सामने तकनीकी पेंच फंस सकता है और निगम को भंग करने का रास्ता भी खुल सकता है।
एमसीडी एक्ट में नहीं मेयर का चुनाव नहीं होने पर कोई स्पस्टीकरण
एमसीडी एक्ट 1957 में इस मामले में कोई व्यवस्था नहीं है कि यदि मेयर का चुनाव नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में पार्षद अपनी संपत्रियों का व्योरा किसे दें। दूसरी ओर जब तक मेयर का चुनाव नहीं हो जाता तब तक नगर नियम के गठन को पूरा नहीं माना जा सकता।
उपराज्यपाल को करना होगा हस्तक्षेप
शपथ के बाद 30 दिन के अंदर अपनी संपत्तियों का व्योरा देने का मामले में भले ही तकनीकी पेंच फंस गया हो, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में उपराज्यपाल कोई आदेश निकालकर इसका समाधान निकाल सकते हैं। कारण है कि उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासक हैं और केंद्र सरकार की शक्तियां उनके अधिकार क्षेत्र में हैं, तभी पार्षदों की सदस्यता कायम रहा सकती है।