-दिल्ली नगर निगम, शाहदरा नॉर्थ जोन के डिवीजन प्रोजेक्ट-1 का मामला
-तत्कालीन जनसूचना अधिकारी पी.के. सिंह (ईई) ने धारा-8 (1) (D) में बताकर नहीं दी थी आरटीआई में मांगी गई सूचना
-अपील की सुनवाई में उपस्थित नहीं होने पर आयोग ने धमंडी इंजीनियर के खिलाफ जताई नाराजगी
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 16 अगस्त, 2023।
दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) के इंजीनियरिंग विभाग (Engineering Department) के कुछ अधिकारी नगर निगम (MCD) की छवि को लगातार दागदार बना रहे हैं। यही कुछ अधिकारी अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए कोई भी हथकंडा अपनाने को तैयार हैं। अब एक ताजा मामला शाहदरा नॉर्थ जोन (Shahdara North Zone) के तहत आने वाले प्रोजेक्ट डिवीजन (Project Division) पीआर-1 (PR-I) से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक आरटीआई (RTI) के मामले में सूचना नहीं देने पर केंद्रीय सूचना आयुक्त (Central Information Commissioner) ने इस डिवीजन के जनसूचना अधिकारी/ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (Executive Engineer) को कड़ी फटकार लगाते हुए आड़े हाथों लिया है। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने जनसूचना अधिकारी द्वारा मांगी गई सूचना नहीं दिये जाने को गंभीरता से लिया है।
दरअसल शाहदरा नॉर्थ जोन के तहत आने वाली दिलशाद कालोनी में मै. सुरिंदर एंड कंपनी द्वारा दिनांक 25.02.2022 को जारी वर्क ऑर्डर संख्या 04 के तहत कराये गये काम की सूचना अप्रैल 2022 में एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने निगम के प्रोजेक्ट डिवीजन पीआर-1 से मांगी थी। इस काम से एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पी.के. सिंह, असिस्टेंट इंजीनियर जैड काजिम और जूनियर इंजीनियर रोहित गुप्ता जुड़े हुए थे। लेकिन संबंधित जनसूचना अधिकारी/ तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजनियर पी.के. सिंह ने मांगी गई सूचना के बारे में भ्रमित करने वाले जवाब दिये थे। जब मामला प्रथम अपीलीय अधिकारी श्री हिमांशु शेखर सिंह के पास पहुंचा तो उन्होंने अपीलकर्ता के हक में फैसला सुनाते हुए जनसूचना अधिकारी को आदेश दिया कि वह 10 दिन में पूरी और सही सूचना उपलब्ध करायें। लेकिन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (पीआर-1) ने मनमानी करते हुए ज्यादातर सवालों के उत्तर में सूचना को कानून की धारा-8 (1) (डी) के तहत बताकर पल्ला झाड़ लिया।
इसके पश्चात आरटीआई एक्टिविस्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के सामने द्वितीय अपील लगाई और जनसूचना अधिकारी के द्वारा सूचना नहीं उपलब्ध कराने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। केंद्रीय सूचना आयुक्त ने अपील की सुनवाई के दौरान जनसूचना अधिकारी/ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (पीआर-1) के व्यवहार को आरटीआई एक्ट-2005 के प्रावधानों के विरूद्ध बताया। खास बात यह रही कि अपील की सुनवाई के दौरान डिवीजन का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। इस पर केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यक कृत्य सूचना का अधिकार कानून के विरूद्ध है।
केंद्रीय सूचना आयुक्त माननीय उदय माहूरकर ने अपने आदेश में कहा कि ‘‘मामले के तथ्यों और अपीलकर्ता द्वारा पेश की गई दलीलों और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों के अवलोकन को ध्यान में रखते हुए, आयोग का मानना है कि अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई सूचना ‘पब्लिक इंट्रेस्ट’ (सार्वजनिक हित) में है और पक्षपात, भाई-भतीजावाद या मनमानी को रोकने में मदद कर सकती है। आयोग का यह मानता है कि पारदर्शी प्रशासन स्थापित करने के लिए ऐसी जानकारी का खुलासा आवश्यक है। इसलिए आयोग सीपीआईओ/ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (पीआर-1) को निर्देश देता है कि वह आरटीआई अधिनियम 2005 में निहित पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना के अनुसार इस आदेश की प्राप्ति से 30 दिनों की अवधि के भीतर अपीलकर्ता को बिंदुवार, सही और पूरी सूचना निःशुल्क प्रदान करे। आदेश की पूर्ति की सूचना आयोग को साथ के साथ दी जाये।’’