-सीएम केजरीवाल के साथ टकराव के बावजूद मुख्य सचिव पद पर जमे रहेंगे नरेश कुमार
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 29 नवंबर, 2023।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार (Aam Aadmi Party Government) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) से बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को ‘नापसंद’ अधिकारी को ‘सेवा विस्तार’ मिल गया है। केजरीवाल सरकार ने भरपूर जोर लगाया था कि दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार (Chief Secretary Naresh Kumar) को सेवा विस्तार नहीं मिल सके। इसके लिए आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। खास बात है कि पिछले दिनों सरकार के मंत्रियों और नेताओं ने मुख्य सचिव के ऊपर जमकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। परंतु आम आदमी पार्टी सरकार का कोई भी टोटका फिलहाल सुप्रीम कोर्ट (SC) में काम नहीं आया और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नरेश कुमार को 6 माह का सेवा विस्तार मिल गया है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से उठाये गये सवालों के जवाब में कहा कि उसके पास इस तरह के अधिकारियों को सेवा विस्तार देने का अधिकार है। इससे पहले 57 बार मुख्य सचिवों को सेवा विस्तार दिया जा चुका है। वहीं दिल्ली सरकार ने हाल ही में मुख्य सचिव के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल को एक रिपोर्ट भेजकर नरेश कुमार को तुरंत मुख्य सचिव के पद से हटाने की मांग की थी।
गौरतलब है कि नरेश कुमार का कार्यकाल 30 नवंबर 2023 को खत्म हो रहा है और लंबे समय से मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच टकराव चला आ रहा है। आम आदमी पार्टी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके नये मुख्य सचिव की नियुक्ति में उसकी सहमति लेने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) दलील दी कि ‘दिल्ली देश की राजधानी है और केंद्र सरकार (Central Government) का विचार है कि नरेश कुमार को ही अगले 6 महीने तक बनाए रखा जाये।’ मेहता ने स्पष्ट किया कि नरेश कुमार अगले 6 महीने तक ही मुख्य सचिव रहेंगे, क्योंकि नियमानुसार किसी भी अधिकारी को इससे ज्यादा विस्तार नहीं दिया जा सकता।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud), न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice J B Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र (Justice Manoj Mishra) की पीठ ने कहा कि नरेश कुमार के कार्यकाल का विस्तार प्रथम दृष्टया वैध है। मुख्य सचिव की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। मुख्य सचिव की भूमिका पूरी सरकार पर प्रशासनिक नियंत्रण तक फैली हुई है। दिल्ली सरकार का पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था पर नियंत्रण नहीं है। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले को कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।