कई पदाधिकारियों पर गिरेगी शीर्ष नेतृत्व की गाज
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के कई पदाधिकारियों और नेताओं पर शीर्ष नेतृत्व की गाज गिर सकती है। मनमानी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लगे प्रदेश भाजपा के कई नेताओं को किनारे करने की तैयारी है। इनमें एक कई प्रदेश महामंत्री, मंत्री, सांसद और कई नेता शामिल हैं। पिछले दिनों बूथ सम्मेलन के मौके पर सामने आई कमियों के बाद प्रदेश नेतृत्व सहित पार्टी के कई शीर्ष नेता अपनी ही पार्टी के ऐसे नेताओं की गतिविधियों पर पैनी नजर नखे हुए हैं। सबसे पहले ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो पार्टी संगठन में बड़े-बड़े पद लेकर बैठे हैं लेकिन पार्टी को मजबूत करने के बजाय बड़े नेताओं की परिक्रमा और अपनी छवि चमकाने में लगे रहते हैं।
शाह की अदालत में पहुंचा मामला
बूथ सम्मेलन के दौरान सामने आई पार्टी नेताओं की मनमानी का मामला अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दरबार में पहुंच गया है। बूथ प्रबंधन विभाग के प्रमुख ने पार्टी संगठन में आई खामियों और प्रदेश पदाधिकारियों की शिकायत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से की है। दूसरे नेताओं की मेहनत का श्रेय लेने और वरिष्ठ नेताओं की गणेश परिक्रमा करने वाले पदाधिकारियों को उनके पदों से तुरंत हटाने की मांग की है। अमित शाह को लिखे पत्र में कहा गया है कि यदि पार्टी दिल्ली में 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है तो वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने वाले नेताओं को तुरंत किनारे करने की जरूरत है। पत्र में प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, प्रभारी श्याम जाजू, सह प्रभारी तरूण चुग और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता की तारीफ भी की गई है।
उठी कोर ग्रुप को भंग करने की मांग
प्रदेश भाजपा में अब कोर ग्रुप को भंग करने की मांग जोरों से उठने लगी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि कोर ग्रुप में शामिल नेता केवल अपने चहेतों को पार्टी में पद दिलाने, चुनाव के समय अपने चहेतों को टिकट दिलाने और कार्यक्रमों के दौरान केवल मंच पर बैठकर जगह घेरने में लगे रहते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को इस मामले में सबसे ज्यादा शिकायत पार्टी के सांसदों से है। दिल्ली में चल रही सीलिंग की समस्या पर पार्टी सांसदां की भूमिका नकारात्मक रही है। इसके चलते भाजपा और भाजपा की केंद्र सरकार के प्रति दिल्ली के उद्यमियों में नाराजगी तेजी से बढ़ी है। पिछले दिनों में कई सांसदों के साथ पार्टी के वरिष्ठ और मेहनती कार्यकर्ताओं के साथ बढ़ती दूरियां की घटनाएं सामने आई हैं।
नगर निगम में सत्ता का दुरूपयोग
पार्टी संगठन में अब पार्टी नेताओं के द्वारा तीनों नगर निगमों में सत्ता के दुरूपयोग के मामलों की चर्चा जोरों से उठने लगी है। दरअसल पार्टी के महामंत्रियों/पदाधिकारियों को तीनों नगर निगमों की जिम्मेदारी सोंपी गई है। बताया जा रहा है कि पार्टी के एक प्रदेश महामंत्री निगम में पार्टी की सत्ता का बहुत ज्यादा दुरूपयोग कर रहे हैं। उनके खिलाफ कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से शिकायत भी की है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से सिफारिश की गई है कि पदाधिकारियों/महामंत्रियों से निगमों की जिम्मेदारी वापस लेकर निगम के अनुभवी और वरिष्ठ नेताओं को नगर निगमों की छवि सुधारने की जिम्मेदारी सोंपी जानी चाहिए। दरअसल सीलिंग के मामले में तीनों निगमों की छवि बहुत ज्यादा खराब हुई है। लेकिन निगमों के प्रभारी पदाधिकारी/नेता ट्रांसफर-पोस्टिंग और कमाई के जुगाड़ में जुटे हुए हैं।
बूथ अध्यक्षों को महत्व देने की बात
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को लिखे पत्र में कहा गया है कि मतदान केंद्र/बूथ से जुड़े कार्यकर्ताओं की भूमिका चुनाव के दौरान सबसे महत्वपूर्ण होती है। लेकिन पार्टी के सांसद, विधायक और निगम पार्षद ज्यादातर बूथ अध्यक्षों को महत्व नहीं देते। सांसदों, विधायकों और पार्षदों को आदेश दिया जाए कि वह बूथ अध्यक्षों व शहरी केंद्र प्रमुखों को स्थानीय कार्यों और गतिविधियों में पूर्ण महत्व दें।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को मिले सरकारी जिम्मेदारी
अमित शाह से सिफारिश की गई है कि केंद्र सरकार की कमेटियों और सरकारी विभागों की जिम्मेदारी पार्टी के ऐसे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दी जाए, जो पार्टी के लंबं समय से काम कर रहे हैं लेकिन ना तो अब तक कोई चुनाव लड़े हैं और उनके आगे भी कोई चुनाव लड़ने की कोई संभावना नहीं है। इसके साथ ही ऐसे पदाधिकारियों और नेताओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की सिफारिश है जो अब तक अनुशासनहीनता करते रहे है या जिनके ऊपर अनुशासनहीनता के आरोप हैं।