-प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से लेकर राष्ट्रीय सचिव आरपी सिंह की दावेदारी
-राजेश भाटिया, राजेश गोयल, राजन तिवारी टिकट की दौड़ में शामिल
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 26 मई, 2022
भारत निर्वाचन आयोग ने देश के छह राज्यों की 3 लोकसभा और 7 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव कराने की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने बुधवार देर शाम को एक आधिकारिक शेड्यूल जारी कर इन तारीखों की घोषणा की गई है। लोकसभा और विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव के लिए 23 जून, बृहस्पतविर को वोट डाले जायेंगे और चुनाव परणिम 26 जून, रविवार को आएंगे। इसमें दिल्ली की राजेंद्र नगर विधानसभा सीट के साथ उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ एवं पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट भी शामिल हैं। पंजाब की संगरूर सीट सीएम भगवंत मान के विधायक बनने के बाद खाली हुई है। इनके अलावा त्रिपुरा की चार विधानसभा सीटें अगरतला टाउन बोरडोवाली, सुरमा और जुबराजनगर, आंध्र प्रदेश की आत्मकोर और झारखंड की मंदर विधानसभा सीटों पर भी 23 जून को उप-चुनाव कराए जाएंगे।
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दिल्ली में केवल राजेंद्र नगर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है। यही कारण है कि बीजेपी के कई नेताओं ने अपने-अपने लिए संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं। उम्मीदवारी की अनिश्चित दौड़ में पार्टी के करीब आधा दर्जन से ज्यादा नेता शामिल हो गये हैं।
राजेंद्र नगर विधानसभा सीट से भविष्य में होने वाले उपचुनाव के लिए दावेदारी करने वालों में प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के साथ ही उपाध्यक्ष राजन तिवारी, पूर्व विधायक सरदार आरपी सिंह, पूर्व पार्षद एवं पूर्व प्रदेश महामंत्री राजेश भाटिया और जिला अध्यक्ष राजेश गोयल के नाम बताये जा रहे हैं। इनके अलावा करीब आधा दर्जन और ऐसे लोग हैं जो राजेंद्र नगर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि अभी नेता तो कुछ नहीं कह रहे लेकिन उनके समर्थकों ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है।
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राजेंद्र नगर सीट पर साल 2015 से ही खींचताल चली आ रही है। इस सीट पर सिख कम्युनिटी के प्रतिनिधित्व की दावेदारी करने वाले सरदार आरपी सिंह दो बार इसी सीट से हारने के बाद चौथी बार (पांचवीं बार) दावेदारी के मूड में हैं। सरदार आरपी सिंह 1993, 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें से वह केवल 2013 का विधानसभा चुनाव ही जीत सके थे, बाकी तीनों पर उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। 1993 के विधानसभा चुनाव में तो उनके विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी के दो पदाधिकारियों में इतना बड़ा झगड़ा हुआ था कि पूरे चुनाव के दौरन एक अस्पताल में तो दूसरा जेल में था। ऐसे में उनकी दावेदारी को ज्यादा गंभीर नहीं माना जा रहा है। फिलहाल वह पार्टी के राष्ट्रीय सचिव होने के साथ ही प्रवक्ता भी हैं।
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पंजाबी कम्युनिटी से पुराने और मजबूत दावेदार के रूप में राजेश भाटिया को माना जा रहा है, हालांकि अब एक और नया नाम प्रदेश उपाध्यक्ष राजन तिवारी का जुड़ गया है। राजेश भाटिया 2012 से 2017 तक पार्षद रहते हुए नगर निगम के कई पदों पर रह चुके हैं। वह आदेश गुप्ता से पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे मनोज तिवारी के साथ प्रदेश महामंत्री भी रहे हैं और उनके काम को बेहतर आंका गया था। पंजाबी कम्युनिटी से दूसरे दावेदार राजन तिवारी अब तक दिल्ली केंट से टिकट मांगते रहे हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि अब वह राजेंद्र नगर से दावेदारी करेंगे। वह अपने आपको अब पंजाबी साबित करने में जुट गये हैं। हालांकि राजन तिवारी का व्यवहार पार्टी नेताओं के साथ विवादास्पद रहा है। पार्टी में कार्यभार संभालने के साथ ही कई पूर्व विधायकों, निगम पार्षदों और कई दूसरे नेताओं के साथ सार्वजनिक तौर पर उनका झगड़ा होना आम बात है। हाल ही में पार्टी के एक नेता के साथ उनका झगड़े ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
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बताया जा रहा है कि नगर निगम भंग होने की स्थिति में प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता राजेंद्र नगर सीट से दावेदारी पर विचार कर रहे हैं, यदि सिख और पंजाबी का झगड़ा ज्यादा बढ़ता है तो पार्टी के पास आदेश गुप्ता इस सीट पर उम्मीदवारी के लिए विकल्प हो सकते हैं। जिस तरह उन्होंने प्रदेश की बागडोर संभाल कर सभी को चोंका दिया था, उसी तरह से वह विधानसभा उपचुनाव का टिकट भी ला सकते हैं। हालांकि यह सीट बनिया बहुल सीट नहीं मानी जाती है। इसके बावजूद करोलाबाग जिला अध्यक्ष राजेश गोयल भी राजेंद्र नगर सीट से विधानसभा में घूसपैठ के सपने देखने में जुट गये हैं। जिला अध्यक्ष होने की वजह से वह चाहते हैं कि इस सीट से उन्हें टिकट दिया जाये। बता दें कि उन्होंने 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिये जाने पर बीजेपी के साथ बगावत करते हुए दिल्ली कैंट सीट से बागी के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया था। खास बात यह है कि दिल्ली बीजेपी से जुड़ कुछ नेता राजेंद्र नगर सीट पर बीजेपी की ओर से आश्चर्यजनक नाम वाला व्यक्ति उतारे जाने की बात भी कह रहे हैं।