भ्रष्टाचारी पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई में भी पिछड़ी BJP… 24 घंटों के बाद भी जारी नहीं हुआ अधिकारिक बयान

-‘आप’ ने शुक्रवार को ही निष्कासित कर दिये थे भ्रष्टाचार के आरोपी पार्षद

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 16 अप्रैल, 2022
नगर निगम के फंड को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ हर रोज नये-नये हथकंडे अपनाने वाली दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अपने भ्रष्टाचारी निगम पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई में भी पिछड़ गई है। स्टिंग ऑपरेशन के खुलासे के 24 घंटे बाद तक पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर मीडिया को कोई लिखित बयान जारी नहीं किया गया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने एक खबरिया चैनल द्वारा स्टिंग ऑपरेशन दिखाने के बाद ही शुक्रवार को अपने तीनों पार्षदों को पार्टी से निकालने का फरमान जारी कर दिया था। हालांकि अब बीजेपी की ओर से भी कुछ लोगों को निष्कासन पत्र जारी किये गये हैं, लेकिन उनके ऊपर तारीख 15 अप्रैल की ही डाली गई है।

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बीजेपी के जो पदाधिकारी और प्रवक्ता शुक्रवार को देर रात तक पार्टी नेतृत्व की ओर से निर्णय लिये जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे, वह शनिवार को कहते नजर आये कि भ्रष्टाचारी भाजपाई पार्षदों को उसी दिन पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि पार्टी की ओर से इस बारे में कोई अधिकारिक बयान क्यों नहीं जारी किया गया तो वह कहते हुए नजर आये कि ‘‘अखबारों में तो पार्टी की प्रतिक्रया छपी है न’’।

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बता दें कि एक खबरिया चैनल ने शुक्रवार 15 अप्रैल को एक स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ी खबर दिखाई थी। इस खबर में भारतीय जनता पार्टी के 4 और आम आदमी पार्टी के 3 निगम पार्षद लोगों के काम कराने के लिए लाखों रूपये की रिश्वत मांगते हुए नजर आये हैं। सभी पार्षदों ने इस स्टिंग ऑपरेशन में कहा कि नगर निगम के खाते में जाने वाले राजस्व को जमा कराने की जरूरत नहीं है। वह सारे काम ऐसे ही करवा देंगे, बस उन्हें काम कराने वाली एजेंसी की ओर से लाखों रूपये देने होंगे।

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इस निजी खबरिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में भारतीय जनता पार्टी की उत्तरी दिल्ली के मंगोलपुरी से निगम पार्षद राधा के पति राजू राणा, तिमारपुर से बीजेपी पार्षद अमरलता सांगवान, पूर्वी दिल्ली नगर निगम की पार्षद सरोज सिंह के पति शेर सिंह और कोंडली से बीजेपी निगम पार्षद अतुल गुप्ता फंस गये हैं। इनमें से कैमरे के सामने किसी ने 20 लाख तो किसी ने लाख रूपये की मांग की है।
केवल यही नहीं, इस स्टिंग ऑपरेशन में आम आदमी पार्टी के नीमणी से निगम पार्षद नीतू आजाद के पति अभिषेक आजाद, मॉडल टाउन इलाके के संगम पार्क वार्ड से पार्षद रिंकू माथुर और नरेला वार्ड समिति के चेयरमैन रामनारायण भारद्वाज भी फंस गये हैं। अभिषेक आजाद के ऊपर स्टिंग ऑपरेशन में 32 लाख रूपये मांगने का आरोप है। रिंकू माथुर 25 लाख रूपये मांगते नजर आ रहे हैं तो लाखों रूपये के कमीशन के साथ अरबों रूपये के ठेके मेंं कमीशन बतौर करोड़ों रूपये मांगते नजर आ रहे हैं। ?
बीजेपी से नहीं जारी हुआ आधिकारिक बयान
खबरिया चैनल की ओर से स्टिंग ऑपरेशन दिखाने के बाद दिल्ली बीजेपी की ओर से सांय 7ः43 बजे रामबीर विधूड़ी का बयान, 7ः57 बजे निगम महापौरों का बयान, 8ः07 बजे आप नेता आतिशी की प्रेस कांफ्रेंस पर प्रतिक्रिया, इस बीच रात्रि 10ः02 बजे प्रदेश अध्यक्ष की ट्विटर पर प्रतिक्रिया, 10ः16 बजे शनिवार के कुलजीत सिंह चहल की प्रेस कांफ्रेंस के कार्यक्रम की सूचना और 10ः44 बजे 16 अप्रैल के रामबीर सिंह बिधूड़ी के 12ः30 बजे की प्रेस कांफें्रस की सूचनाएं तो दी गईं, लेकिन भ्रष्टाचारी पार्षदों को पार्टी से निकालने की सूचना शनिवार को भी जारी नहीं की गई।
निगम की कमजोरी के लिए पार्षद जिम्मेदार
निजी खबरिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों में से कोई भी नहीं चाहता कि नगर निगम आर्थिक रूप से मजबूत बन सके। यही कारण है कि स्टिंग ऑपरेशन में शामिल सत्ता पक्ष और विपक्ष के एक भी निगम पार्षद ने नगर निगम के नियम के अनुसार निजी कंपनी को राजस्व जमा करने की हिमायत नहीं की। सभी भ्रष्टाचारियों ने केवल अपने लिए लाखों और करोड़ों रूपये की रिश्वत की मांग तो की लेकिन सभी ने यह भी कहा कि नगर निगम की कोई फीस नहीं भरनी है और सारे काम वह खुद अपने दम पर करवाएंगे।
अब सत्ताधारी बीजेपी को देना होगा रोड कटिंग की जमा राशि का पूरा ब्यौरा
स्टिंग ऑपरेशन ने साबित कर दिया है कि सत्ताधारी और विपक्ष का एक भी पार्षद नहीं चाहता कि नगर निगम को कोई भी शुल्क मिले या राजस्व मिले। सभी पार्षद यही चाहते हैं कि उन्हें नगर निगम के काम के बदले मोटा पैसा मिले। ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली की स्थिति खुलकर सभी के सामने आ गई है।
जेई हैं पार्षदों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार की असली जड़
निजी खबरिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार की असली जड़े जूनियर इंजीनियर यानी कि जेई हैं। वह चाहे किसी भी विभाग के हों। क्यों कि जेई के ऊपर ही सभी तरह की परियोजनाओं की जिम्मेदारी होती है। इस स्टिंग ऑपरेशन में एक जेई महोदय भी फंस गये हैं। अब देखना यह है कि आगे क्या होता है?