-इंडी गठबंधन के संयोजक या फिर पीएम पद के उम्मीदवार पर किया फोकस
-राम मंदिर के उद्घाटन के बाद बिहार नापेंगे मोदी-शाह
हीरेन्द्र सिह राठौड़/ नई दिल्लीः 11 जनवरी।
14 जनवरी के बाद बिहार की सियासत एक बार फिर से गरमाने जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपना सियासी मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। 14 जरवरी के बाद वह कभी भी इंडी गठबंधन को बडा झटका दे सकते हैं। जिस तरह से ममता बनर्जी और शिवसेना (ठाकरे) गुट ने कांग्रेस को झटके देने शुरू किये हैं, उसके बाद नीतीश कुमार ने अपना फोकस पीएम पद के उम्मीदवार या फिर इंडी गठबंधन के संयोजक बनने पर कर दिया है। जेडीयू के द्वारा कराये गये सर्वे में भी आरजेडी के साथ चुनाव लड़ने पर नकारात्मक रिपोर्ट आई है।
जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़े वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने फैसला किया है कि या तो उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाये या फिर इंडी गठबंधन का संयोजक नियुक्त किया जाये। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) यानी कि एनडीए (NDA) के साथ हाथ मिला सकते है। सूत्रों का यह भी कहना है कि 14 जनवरी तक मलमास चल रहा है, इसकी वजह से नीतीश कोई ब़ड़ा कदम नहीं उठाना चाहते हैं। जेसे ही मलमास खत्म होगा, वह अपनी सियासत का ऐलान कर देंगे।
जेडीयू के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर एकमत निर्णय नहीं हो पा रहा है। पार्टी ने हाल ही में एक सर्वे कराया है और इसके मुताबिक यदि जेडीयू (JDU) लोकसभा चुनाव आरजेडी के साथ मिलकर लड़ती है तो बिहार के 27 फीसदी से ज्यादा मतदाता अभी आरजेडी पर भरोसा करने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में नीतीश को आने वाला लोकसभा चुनाव भारी पड़ सकता है।
मोदी-शाह की बिहार पर पैनी नजर
भारतीय जनता पार्टी ने भी बिहार पर विशेष फोकस कर रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और गृह मत्री अमित शाह अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर के उद्घाटन के बाद बिहार का रूख करेंगे। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी के पूर्वार्ध में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की धड़ाधड़ रैलियों की रूपरेखा बनाई जा रही है। बीजेपी अपने दम पर बिहार में लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा और पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं की ज्यादा से ज्यादा रैलियां कराने पर जोर दे रही है।