-केंद्र से की केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली व राजस्थान से विशेष ट्रेन चलाने की मांग
-दूसरे राज्यों से छात्रों को भी गृहराज्य में लाने में विफल रही बिहार सरकार, नहीं कर पाई इंतजाम
टीम एटूजैड/ पटना
अपने लोगों को दूसरे राज्यों से वापस लाने में बिहार की नीतीश सरकार विफल रही है। कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन के चलते दूसरी राज्य सरकारें अपने छात्रों को वापस ले गईं, लेकिन बिहार सरकार बसों का इंतजाम करने में नाकाम साबित हुई। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मजदूरों और दूसरे तबके के लोगों को गृह वापसी की छूट दी है। लेकिन बिहार सरकार ने अब भी अपने लोगों को वापस लाने में हाथ खड़े कर दिए हैं।
बिहार के गृह और सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि कि लोगों को बाहर से लाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यदि लोग अपने खर्च और व्यवस्था के बलबूते पर यहां तक आ जाते हैं, तो बिहार राज्य की सीमाओं से सरकार उन्हें तमाम सुविधाएं मुहैया कराएगी। बिहार वापस आने वाले लोगों को 14 दिन तक क्वारंटाइन में रहना होगा।
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बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार से दूरदराज के सभी राज्यों में फंसे बिहार के लाखों लोगों को अपने घर तक पहुंचने के लिए विशेष नॉन स्टाप ट्रेनें चलाने की मांग की है। मोदी ने कहा कि केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों से लोग बसों से नहीं लाये जा सकते। इसमें महीनों लग जायेंगे। बिहार के लोगों को वापस लाने के लिए खाने-पीने की सुविधा के साथ विशेष ट्रेनें चलायी जाएं।
हालांकि बिहार सरकार ने लोगों को वापस लाने के लिए राजस्थान के कोटा सहित दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के लोगों को घर आने के लिए बिहार के सीमावर्ती जिलों में बसें तैनात की जा रही हैं। बिहार की सीमा में पहुंचने पर सभी छात्रों, मजदूरों व अन्य लोगों की प्रारंभिक स्क्रीनिंग की जायेग।. इसके बाद उन्हें बसों से गृह प्रखंड तक लाया जायेगा। एक अधिकारी के मुताबिक बिहार सरकार के पास इतनी बसों की व्यवस्था नहीं है कि लोगों को
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शारीरिक दूरी के साथ उनके घर वापस पहुंचाया जा सके। यही कारण है कि बिहार सरकार शुरू से ही अपने लोगों को दूसरे राज्यों से वापस लाने में आनाकानी करती आ रही है। यहां तक कि कोटा से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के छात्रों को वापस लाने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोध किया था।
अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी
हालांकि केंद्र की अधिसूचना आने के बाद बिहार सरकार ने दूसरे प्रदेशों से आने वाले लोगों की सुविधा के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को नोडल अधिकारी घोषित किया है। इसके बाद प्रत्यय अमृत ने भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा व बिहार प्रशासनिक सेवा के चुनिंदा 19 अधिकारियों को विभिन्न राज्यों से आने वाले लोगों की सहायता करने के लिए नोडल अफसर तैनात किया है। राज्यों के अनुसार सभी अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी कर दिए गए हैं। यही अधिकारी लोगों को बिहार वापस लाने में नियमानुसार मदद करेंगे।
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14 दिन तक रहना पड़ेगा क्वारंटाइन
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक जो लोग दूसरे राज्यों से बिहार की सीमा तक पहुंचेंगे, उन सभी की तत्काल स्क्रीनिंग की जायेगी। स्वस्थ पाये जाने पर उन्हें मेडिकल रिकॉर्ड के साथ गृह प्रखंड तक भेजा जायेगा। पहले जिला मुख्यालय और फिर वहां से गृह प्रखंड तक ले जाया जायेगा। सभी लोगों को उनके गृह प्रखंट में 14 दिन तक क्वारंटाइन रहना होगा। इस दौरान कोई भी व्यक्ति अपने परिवार या दूसरे लोगों से नहीं मिल सकेगा। इसके लिए अलग अलग प्रखंडों में एक हजार भवनों को क्वारंटाइन सेंटर्स के रूप में स्थापित किया गया है। बाहर फंसे हुए लोगों को यदि किसी तरह की समस्या होती है तो उनकी मदद के लिए पहले ही नोडल अधिकारियों की नियुक्त किया गया है।
लाखों की संख्या में फंसे हैं बिहार के लोग
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा है कि बिहार के बाहर बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। दूर-दराज के शहरों से बसों के जरिए लोगों को लाना संभव नहीं है। गुजरात के सूरत, पोरबंदर के अलावा महाराष्ट्र सहित अन्य दूर के स्थानों से आने में पांच-छह दिन लग जायेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से इन लोगों को लाने के लिए विशेष तौर पर नॉन स्टॉप स्पेशल ट्रेनें चलाने की मांग की है।
27 लाख प्रवासियों ने किया 1 हजार की योजना के लिए आवेदन
सुशील कुमार मोदी के मुताबिक दूसरे राज्यों में रहने वाले बिहार के 27 लाख लोगों ने बिहार सरकार की 1 हजार रूपये की योजना के लिए आवेदन किया है। इनमें सबसे ज्यादा दिल्ली से पांच लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है। महाराष्ट्र से 2 लाख 68 हजार, कर्नाटक से एक लाख और गुजरात से दो लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है। इससे बाहर फंसे लोगों की संख्या का भी पता चल गया है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार इन लोगों को दूसरे राज्यों से बिहार लाने के लिए ट्रेन चला देती है तो उन्हें क्वारंटाइन में रखने और फिर इसके बाद घर तक पहुंचाने की व्यवस्था राज्य सरकार कर लेगी।