-महापौर ने विपक्ष को नहीं दिया विभागीय बजट निर्धारण संशोधन लाने का मौकाः कपूर
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 26 मार्च।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर (Praveen Shankar Kapoor) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के ऊपर आरोप लगाया है कि वह दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) को भी दिल्ली विधानसभा की तरह मनमानी के साथ चलाना चाहती है। उन्होंनं दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय (Mayor Shelly Oberoy) के ऊपर आरोप लगाया है कि उन्होंने विपक्ष को विभागीय बजट में संशोधन लाने का मौका ही नहीं दिया है।
प्रवीण शंकर कपूर की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गय है कि इस वर्ष चुना हुआ सदन ना होने से लगभग 3 माह का जो नगर निगम का बजट सत्र होता है, वह इस वर्ष नही हो पाया। निगम अधिकारियों ने ही बजट पारित किया। उसी बीच निगम चुनाव हो गया, फिर भी महापौर एवं स्थाई समिति चुनाव टलते रहे।
नगर निगम की 22 फरवरी की बैठक में आम आदमी पार्टी की महापौर शैली ओबरॉय चुनी गई थीं। उन्हें उसी दिन से मालूम था कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा पारित बजट के विभागीय बजट प्रस्तावों पर चर्चा की जानी है। उसे स्वीकृत करना है, पर महापौर ने इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। बजाये जनहित में बजट आवंटनों की बैठक बुलाने के महापौर स्थाई समिति चुनाव टालने, एल्डरमैन नियुक्ति को रद्द करवाने और अपनी पार्टी के भ्रष्ट नेताओं के समर्थन में व्यस्त रहीं।
अंततः विपक्ष एवं निगम एक्ट के दबाव में महापौर ने कल मनमाने तरीके से पार्षदों को मात्र तीन दिन के नोटिस पर निगम बैठक बुलाने का नोटिस भेज दिया। दिल्ली नगर निगम के बजट सत्र कार्य प्रणाली दिशा निर्देशों के अनुसार इस बजट सभा के लिए पूर्व में दो सप्ताह का समय दिया जाता रहा है ताकि निगम आयुक्त द्वारा लाये विभागीय बजट आवंटन प्रस्तावों पर पक्ष एवं विपक्ष दोनों अपने संशोधन ला सकें।
प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि खेद पूर्ण है कि महापौर ने नगर निगम के पार्षदों को मात्र 72 घंटे के नोटिस पर बजट निर्धारित-स्वीकृत करने की बैठक बुला ली। इससे स्पष्ट है कि सत्ताधारी आम आदमी पार्टी विपक्ष को लिखित बजट संशोधन लाने का मौका ही नहीं देना चाहती और इसीलिए बजट सत्र दिशा निर्देश अनुसार समय काट दिया गया।
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारियों द्वारा बनाये गये 2023-24 के बजट में बहुत सारे शुल्क बढ़ाये गये हैं, अधिकांश बजट आवंटन जनहित से ज्यादा रेवन्यू हितों को ध्यान में रख कर किए गए हैं और जिस तरह आम आदमी पार्टी विपक्ष को समय देने से बच रही है उससे साफ है कि वह अधिकारियों के लाये बजट को अक्षरशः पारित करवाना चाहती है।