-एमसीडी में आप का खेल बिगाड़ने जा रही आईवीपी?
-केजरीवाल के लिए ‘दूर होती जा रही दिल्ली’
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 20 मई, 2025।
पहले दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) में सत्ता गंवाई, फिर दिल्ली नगर निगम (MCD) में मेयर का पद (सत्ता) गंवाई और अब इंद्रप्रस्थ के सियासी मैदान में आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। शनिवार को पार्टी के 15 पार्षदों ने आप नेतृत्व को तग़ड़ा झटका देते हुए प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर नई ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ (IVP) बना ली थी। मंगलवार को आप के एक और निगम पार्षद बॉबी किन्नर ने केजरीवाल को करारा झटका देकर पार्टी छोड़ दी और आईवीपी का दामन थाम लिया। अब आप नेतृत्व के सामने जोन्स (वार्ड समितियों) में अपनी इज्जत बचाना भारी पड़ सकता है। नवगठित वीआईपी दल अब एमसीडी में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Former CM Arvind Kejriwal) का खेल बिगाड़ने जा रहा है।
एमसीडी की सबसे पॉवरफुल मानी जाने वाली स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव और इससे भी पहले होने जा रहे वार्ड समितियों के चुनाव से ठीक पहले आप पार्टी में हुई इस बड़ी टूट से अरविंद केजरीवाल की पार्टी को बड़ा नुकसान होने जा रहा है। हाल ही में बने इस तीसरे मोर्चे की वजह से रोहिणी, दक्षिण और पश्चिम क्षेत्रों की वार्ड समितियों में आप पार्टी का खेल बिगड़ सकता है। अब स्पष्ट हो गया है कि स्टेंडिंग कमेटी पर बीजेपी का कब्जा होगा।
गौरतलब है कि जिन 16 निगम पार्षदों ने आम आदमी पार्टी छोड़कर तीसरा मोर्चा बनाया है उनमें से चार पश्चिम क्षेत्र, तीन दक्षिण क्षेत्र, दो नरेला क्षेत्र, दो राहिणी क्षेत्र और एक-एक शाहदरा साउथ क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, करोलबाग क्षेत्र, सिटी- सदर पहाड़गंज क्षेत्र और सिविल लाइंस क्षेत्र से हैं।
फिलहाल 2 जून को वार्ड समतियों (जोन) के चुनाव होने हैं। ऐसे में हाल ही में बना तीसरा मोर्चा दक्षिण क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र के साथ ही सेंट्रल जोन में आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ सकता है। जबकि 7 जोन में पहले ही बीजेपी अपने दम पर मजबूत है और सितंबर 204 में बीजेपी ने 12 में से सात जोन में जीत हासिल की थी। ऐसे में स्थायी समिति के लिए दक्षिण क्षेत्र और सिटी-सदर पहाड़गंज जोन से स्टेंडिंग कमेटी के लिए भी एक-एक सदस्य का चुनाव होना है। तीसरे मोर्चे यानी कि इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के नेता मुकेश गोयल का कहना है कि अभी आम आदमी पार्टी के कुछ और पार्षद उनके संपर्क में हैं और जल्दी ही वह तीसरे मोर्चे में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी को अपने पार्षदों की यह टूट भारी पड़ सकती है।
12 में से दो जोन में ही रह गया आप का वर्चस्व
दिल्ली नगर निगम चुनाव जीतने के साथ आम आदमी पार्टी 7 जोन में बहुमत थी। 10 एल्डरमैन सदस्यों के मनोनयन के साथ बीजेपी और आम आदमी पार्टी सात-पांच के औसत से जोन में बहुमत में हो गये थे। परंतु दिल्ली विधानसभा और दिल्ली नगर निगम में सत्ता गंवाने के बाद आप पार्टी अब 12 में से केवल दो जोन में ही अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर जीत पाने में थोड़ी सहज रह गई है। यदि फिर से पार्षदों में कोई टूट हो जाती है तो यहां भी अरविंद केजरीवाल की पार्टी को लेने के देने पड़ सकते हैं।