अमित शाह करेंगे कार्यकर्ताओं को संबोधित
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली में बीते 20 साल से सत्ता का बनवास झेल रही भाजपा अब अपने बूथ प्रबंधन पर जोर दे रही है। आने वाले 23 दिसंबर को दिल्ली भाजपा के कार्यकर्ता इंदिरा गांधी स्टेडियम में जुटेंगे। इसके लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। भाजपा के गठन से लेकर अब तक यह बूथ सम्मेलन दिल्ली में अब तक अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। इसकी जिम्मेदारी वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मवीर सिंह को सोंपी गई है।
धर्मवीर सिंह ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला ऐसा सम्मेलन है। दिल्ली में करीब 14 हजार मतदान केंद्र हैं, जिन्हें बूथ कहा जाता है। इन सभी मतदान केंद्रों के अनुसार पार्टी ने अपने विशेष कार्यकर्ताओं को बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी सोंपी है। पिछले करीब डेढ़ साल से बूथ प्रबंधन पर काम चल रहा है। इससे पहले विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र स्तर की बूथ प्रबंधन के कार्यकर्ताओं की बैठकें हो चुकी हैं। अब इंदिरा गांधी स्टेडियम में पूरी दिल्ली के बूथ प्रबंधन कार्यकर्ताओं का सम्मेलन बुलाया गया है।
बारकोड से होगी हाजिरी
प्रदेश भाजपा ने अपने बूथ सम्मेलन में आने वाले बूथ अध्यक्षों और प्रमुख लोगों की हाजिरी लगाने के लिए बारकोर्डिंग की व्यवस्था की है। इससे एक ओर पार्टी को यह अंदाजा लगाने में आसानी होगी कि उसके बूथों की जिम्मेदारी संभालने वाले कितने गंभीर हैं और दूसरी ओर सम्मेलन में आने वालों की सही गिनती की जानकारी होगी। माना जा रहा है कि करीब 18 हजार लोग बूथ सम्मेलन में शामिल होंगे। हालांकि 25 हजार लोगों को इस कार्यक्रम में लाने का लक्ष्य रखा गाय है।
बूथ जीता, चुनाव जीता
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले दिनों नारा दिया था कि ‘बूथ जीता, चुनाव जीता’। इसी पैटर्न पर 23 दिसंबर को होने वाले इस बूथ सम्मेलन में आने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संबोधित करेंगे। हाल ही में हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन राज्यों में अपनी सरकार खो दी है। अब दिल्ली प्रदेश भाजपा 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तैयारियों में जुट गई है। इसी बूथ प्रबंधन के जरिए पार्टी ने लोकसभा चुनाव और 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
1998 से सत्ता से दूर
दिल्ली में 1993 से 1998 तक भाजपा की सरकार रही थी। तब भाजपा ने दिल्ली वालों को मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज के रूप में तीन मुख्यमंत्री दिए थे। 1998 में प्याज के दाम आसमान छूने के बाद जनता में आक्रोश की वजह से भाजपा की सरकार चली गई थी। इसके बाद 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। 2013 में त्रिशंकु विधानसभा रही और किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका। इसके चलते आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई। लेकिन बेमेल गठबंधन की यह सरकार केवल 49 दिन ही चल सकी। 2015 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए और आम आदमी पार्टी ने 67 सीट जीतकर दिल्ली में सरकार बनाई। इस चुनाव में भाजपा के महज 3 उम्मीदवार ही जीत हासिल कर सके। जबकि कांग्रेस दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी।