तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल बरी… 8 साल से चल रहा था यौन उत्पीड़न का केस

-गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला, सभी आरोपों से हुए बरी

एसएस ब्यूरो/ पणजी
समाचार पत्रिका (News Magazine) तहलका (Tahlka) के पूर्व प्रधान संपादक (Editor in Chief) तरुण तेजपाल (Tarun Tezpal) गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) ने यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार 21 मई 2021 को अपना फैसला सुनाते हुए तरुण तेजपाल को बड़ी राहत दी। तरूण तेजपाल पर 2013 में गोवा (Gova) के एक लग्जरी होटल में लिफ्ट के भीतर एक महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। एक सहकर्मी ने उनके ऊपर आरोप लगाया था कि गोवा में एक कार्यक्रम के समय रात को होटल में वह एक मेहमान को उसके कमरे तक छोड़ने गई थी, तभी अपने कमरे में वापस जाते समय तेजपाल ने उसके साथ होटल की लिफ्ट में यौन शोषण किया था।

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तरूण तेजपाल पर आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकने), 342 (गलत तरीके से रोककर रखना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से प्रताड़ना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 354 बी (महिला पर हमला या आपराधिक रूप से बल का इस्तेमाल), 376 (2) (एफ) (महिला से ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (के) (ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चलाया गया था। शुक्रवार 21 मई को कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है।

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अडिशनल सेशन कोर्ट ने तहलका के संस्थापक तरुण तेजपाल को गोवा के एक होटल में अपनी सहकर्मी से यौन उत्पीड़न के कथित मामले में बरी कर दिया है। कोर्ट से बरी होने के आदेश के बाद तरुण तेजपाल ने कहा कि ’नवंबर 2013 में उन्हें एक महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाया था और आज गोवा में अडिशनल सेशन जज की ट्रायल कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया।’ दरअसल 7-8 नवंबर 2013 को एक महिला ने नॉर्थ गोवा स्थित होटल में तहलका की ओर से आयोजित इवेंट के दौरान तरुण तेजपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।

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इस मामले में 22 नवंबर 2013 को गोवा पुलिस ने मामले में संज्ञान लेते हुए तरुण तेजपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और तेजपाल 28 नवंबर को गोवा वापस लौटे और अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद 30 नवंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 19 मई 2014 को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए तेजपाल अंतरिम जमानत पर बाहर आए थे और तब से वह बाहर ही थे। जुलाई 2014 में उन्हें जमानत मिल गई थी। सितंबर 2017 में मापुसा कोर्ट ने तेजपाल के खिलाफ जूनियर सहकर्मी के साथ उत्पीड़न के मामले में आरोप तय किए थे। तेजपाल ने खुद को निर्दोष बताया और मामले की सुनवाई शुरू हुई।
21 अक्टूबर 2019 से मामले में पीड़िता से जिरह शुरू हुई। इससे पहले तेजपाल ने एक आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन के माध्यम से अडिशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशंस कोर्ट की ओर से तय आरोपों को चुनौती दी थी। 20 दिसंबर 2019 को गोवा में बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच ने तेजपाल की याचिका खारिज कर दी थी। इस मामले में पहले 27 अप्रैल और फिर 19 मई को फैसला सुनाया जाना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण फैसले की तारीख आगे बढ़ाकर 21 मई कर दी गई थी।