-कानून-व्यवस्था ध्वस्त करने की रची गई थी साजिश
-इमाम, खालिद, फैजान के खिलाफ पर्याप्त सबूतः कोर्ट
-साजिश में शामिल किये गए थे कई मस्जिदों के इमाम
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पुलिसिया जांच से खौफनाक व आश्चर्यजनक खुलासे हो रहे हैं। इससे जुड़े एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद और जेएनयू छात्र शरजील इमाम के खिलाफ दायर पूरक आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। अदालत ने उनके खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत अपराधों को लेकर आगे बढ़ने का फैसला किया है। राजद्रोह, आपराधिक साजिश और भारतीय दंड संहिता के तहत कुछ अन्य आरोपों पर अभी संज्ञान लेने के लिए आवश्यक मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है।
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पुलिस की ओर से बताया गया है कि जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को भड़काने के लिए लोगों को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों (जो कि अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं) को शामिल करने के लिए कहा था। विरोध-प्रदर्शन और दंगे भड़काने के लिए कई मस्जिदों के इमामों को भी साजिश में शमिल किया गया था। इमाम और खालिद पर रविवार को दायर आरोप पत्र में यूएपीए, भारतीय दंड संहिता, हथियार कानून और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत आरोप लगाया गया है।
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि आरोपियों शर्जील इमाम, उमर खालिद और फैजान खान के खिलाफ मामला आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सामग्री है। अदालत ने यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों), धारा 16 (आतंकवादी कानून), धारा 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), धारा 18 (साजिश) के तहत आरोपों का संज्ञान लिया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 और 148 (दंगा), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र होना), धारा 186 (लोक सेवक को निर्देश देना), धारा 201 (सबूतों को गायब करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
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हालांकि अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह), धारा 153-ए (धर्म, भाषा, जाति आदि के आधार पर कटुता को बढ़ावा देना), धारा 109 (घृणा) और धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोपों का संज्ञान नहीं लिया। इस संबंध में आवश्यक मंजूरी की अभी प्रतीक्षा है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि आरोप पत्र और संलग्न दस्तावेजों पर गौर करने के बाद आरोपियों शरजील इमाम, उमर खालिद, फैजान खान के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त सामग्री हैं। मामले में अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।
रची गई थी खौफनाक साजिश
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को भड़काने के लिए लोगों को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या अवैध अप्रवासियों को शामिल करने के लिए कहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ दायर पूरक आरोप पत्र में एक सुरक्षित गवाह को उद्धृत करते हुए यह आरोप लगाया है। आरोप पत्र में आगे कहा गया कि 2019 में खालिद और सह-अभियुक्त शरजील इमाम ने यह निर्णय लिया कि मस्जिदों को विरोध शुरू करने का केंद्र बिंदु होना चाहिए और चक्का जाम के लिए मस्जिदों के इमामों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
’खालिद ने प्रदर्शन में इन्हें लाने को कहा था’ः गवाह
सुरक्षित गवाहों में से एक के बयान के अनुसार, जो आरोप पत्र का हिस्सा है, खालिद ने कथित तौर पर दंगों को भड़काने के लिए सीएए के विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को लाने के लिए कहा था। पुलिस ने पूरक आरोप पत्र में कहा कि भारत सरकार के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगे होने की घटना से अधिक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति कुछ नहीं हो सकती थी।
भारतीय मुसलमानों के बजाय विदेशियों पर भरोसा
पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र के मुताबिक ’खालिद अपनी उच्च बौद्धिक क्षमता के कारण अच्छी तरह समझ रहा था कि भारतीय मुसलमानों का बहुत बड़ा वर्ग उसकी और उसके पिछलग्गू शरजील इमाम की ओर से तोड़ मरोड़कर पेश की जा रही इस्लाम की परिभाषा को कभी स्वीकार नहीं करेगा और न ही उसे यह समझाना आसान होगा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से उसकी राष्ट्रीयता पर सवाल खड़ा हो जाएगा। इसीलिए उसने उन लोगों को इकट्ठा करना शुरू किया जो उसकी हां में हां मिलाएं और उसके विचारों का प्रचार करें। जो कानूनी सीमा पार करने को ज्यादा उत्सुक थे, उनकी पहचान करने और उनमें सांप्रदायिकता का जहर भरने का काम चल रहा था।’