-विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन के साथ एटूजैड न्यूज ने की खास बातचीत
-बाजार में नहीं रहे दिये, आतिशबाजी की चीजें ढूंढ रहे लोग, दिवाली मनाने को बेकरारः वीएचपी
हीरेन्द्र सिंह राठौड/ नई दिल्ली
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर पूरा देश उत्साह में है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल के राम मंदिर आंदोलन का लक्ष्य पूरा हुआ है। लेकिन दोनों ही हिंदूवादी संगठनों ने फिलहाल काशी और मथुरा के मंदिरों के नाम पर चुप्पी साध ली है। वीएचपी नेता राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर यह तो कह रहे हैं कि 5 अगस्त से राम राज्य की शुरूआत हो गई है। लेकिन काशी और मथुरा के मुद्दों पर अभी चर्चा से पीछे हट रहे हैं।
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विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन से जब पूछा गया कि ’’अयोध्या में 1992 में ढांचे के टूटने के सथ ही ‘अयोध्या तो झांकी है… काशी, मथुरा बाकी हैं’ का नारा दिया गया था। अब उस नारे का क्या?’’ तो उन्होंने कहा कि ‘‘अभी हमारा सारा ध्यान राम मंदिर के निर्माण पर है।’’ उनसे यह भी पूछा गया कि ‘‘बजरंग दल के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार ने हाल ही में कहा था कि ‘अयोध्या पर फैसला आने के बाद काशी और मथुरा का रास्ता भी साफ हो गया है’, इस पर विश्व हिंदू परिषद की क्या सोच है?’’
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सुरेंद्र जैन ने कहा कि ‘‘यह उनका व्यक्तिगत विचार हो सकता है, हमारा पूरा ध्यान अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर है।’’ यानी विश्व हिंदू परिषद के नेता भी फिलहाल राम मंदिर निर्माण के रास्ते में कोई विवाद खड़ा होते देखना नहीं चाहते हैं। बता दें कि राम मंदिर आंदोलन में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, स्वर्गीय अशोक सिंघल और बजरंग दल के संस्थापक विनय कटियार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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हालांकि राम जन्मभूमि आंदोलन में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी, महंत रामकृष्ण परमहंस, महंत अवैद्यनाथ, राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, कल्याण सिंह व उमा भारती का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हालांकि वीएचपी की युवा शाखा बजरंग दल का नारा मथुरा और काशी को लेकर भी रहा है। लेकिन अभी यह दोनों धर्मस्थल विश्व हिंदू परिषद के एजेंडे में शामिल नहीं हैं।
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हालांकि सुरेंद्र जैन ने यह कहकर मुद्दे को दिलचस्प बना दिया है कि 5 अगस्त से राम राज्य की शुरूआत हो गई है। आने वाले दिनों में और भी बहुत से काम होंगे। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के कार्यक्रम में भागीदारी नहीं करने को लेकर उन्होंने कहा कि वह स्वास्थ्य कारणों की वजह से भूमि पूजन समारोह में नहीं जा पा रहे हैं।
अब कांग्रेस नेताओं के बयानों में भी झुकाव आ रहा है, प्रियंका गांधी ने अपने बयान में मंदिर निर्माण को महत्वपूर्ण बताया है, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंदिर निर्माण के लिए चांदी की ईंटें भेजने की घोषणा की है, इसके अलावा कई कांग्रेसी नेता हनुमान चालीसा का पाठ करवा रहे हैं। इसे किस तरह से देखते हैं?
इस सवाल के जवाब में सुरेंद्र जैन ने कहा कि कांग्रेस को सन्निपात हो गया है। कांग्रेस नेताओं को यह नहीं मालूम कि वह क्या कह रहे हैं? क्या कहना चाहते हैं और उनके मुंह से क्या निकल रहा है? अभी तक तो उनके नेता यह कह रहे थे के हमारे पास इस बात के सबूत भी नहीं हैं कि राम पैदा भी हुए थे। अल्लाह या पैगम्बर के बारे में ऐेसे शब्द बोलने की उनकी हिम्मत नहीं है। एक बार बोल दिया तो सब मालूम पड़ जाएगा, नानी-दादी याद आ जाएंगीं।
राम मंदिर निर्माण का विरोध करने की वजह से कांग्रेस को बहुत नुकसान हो रहा था, शायद इसीलिए डैमेज कंट्रोल के लिए प्रियंका गांधी और दूसरे कांग्रेसी नेता अब इस तरह के बयान दे रहे हैं। 1947 से लेकर अब तक कांग्रेस ने देश के गौरव को धूमिल करने का प्रयास किया है। यह अच्छी बात है कि दिल से राम भक्ति है तो अच्छी बात है, नहीं तो दिखावे के लिए तो लोग जनेऊ धारण कर लेते हैं और कहते हैं कि मंदिरों में तो लोग लड़कियां छेड़ने के लिए जाते हैं। उन लोगों ने कई नकली चेहरे अपने चेहरे पर डाल रखे हैं। पता ही नहीं पड़ता कौन सा असली है और कौनसा नकली?
एक सावाल के जवाब में सुरेंद्र जैन ने कहा कि हमने आगे का लक्ष्य भी तय कर लिया है, राम मंदिर तो चौखट है आगे और भी बहुंत काम होना है। आगे राम राज्य के सपने के कैसे साकार करना है, अब इस पर विचार होगा। कुछ विघ्न संतोषी लोग हैं जो बार बार इस कार्य में विघ्न डाल रहे हैं। बहुत से लोग आज भी बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। हम पूरे सजग हैं, बहुत बड़ा कार्य है, हमें दोबारा लोगों के पास जाना होगा। भारत में 10 करोड़ लोगों और 4 लाख गांवों तक पहुंचना है।