-नॉर्थ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने नहीं दी तीन महीने से सेलरी
-कमिश्नर ने चुप्पी साधी, नेताओं को दिल्ली सरकार के पैसों का इंतजार
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
देश कोरोना महामारी से लड़ने में जुटा है। हर आम से खास इस महामारी से लड़ाई में अपना योगदान दे रहा है। लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डॉक्टर्स और अन्य स्वासथ्यकर्मी बिना सेलरी के यह लड़ाई लड़ रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि निगम आयुक्त ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। वहीं निगम के नेताओं को दिल्ली सरकार से पैसा आने का इंतजार है। बिना वेतन के आर्थिक परेशानियां झेल रहे डॉक्टर्स का गुस्सा मनमानी करने वाले निगम अधिकारियों के खिलाफ किसी भी दिन फूट सकता है।
उत्तरी दिल्ली के डॉक्टर्स और स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों में निगम के आला अधिकारियों के इस गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। शीर्ष अधिकारियों की मनमानी के चलते निगम की हालत खस्ता होती जा रही है। बता दें कि उत्तरी दिल्ली में पांच बड़े अस्पताल हैं और करीब 1150 डॉक्टर्स हैं। यहां के तीन बड़े अस्पतालों में कोरोना के लिए आइसोलेशन सेंटर्स बनाए गए हैं। आला अधिकारियों ने निगम के कुछ डॉक्टर्स को एयरपोर्ट पर कोरोना की ड्यूटी पर लगाया हुआ है।
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यह डॉक्टर्स और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की महामारी के बीच अपनी ड्यूटी पूरी तरह से निभा रहे हैं। लेकिन अपने निगम के आला अधिकारियों की बेरूखी के चलते मुश्किलों का सामना करने को मजबूर हैं। म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी के मुताबिक निगम आयुक्त ने एनसीआार के इलाकों से दिल्ली में आकर ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। इसके बावजूद डॉक्टस और दूसरा हेल्थ स्टाफ अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी के साथ कर रहा है।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक डॉक्टर्स को केवल जनवरी 2020 तक की सेलरी ही दी गई है। इसके बाद फरवरी, मार्च और अप्रैल के सेलरी बकाया है। साथ ही सी व डी श्रेणी के स्वास्थ्यर्मियों को फरवरी 2020 तक की सेलरी दी गई है। उनकी मार्च और अप्रैल महीनों की सेलरी बकाया है। अब आने वाले दिनों में भी जल्दी सेलरी मिलने की उम्मीद नहीं है।
अधिकारी के मुताबिक डॉक्टर्स तीन महीने से बिना सेलरी के कोरोना महामारी में ड्यूटी करने को मजबूर हैं। कई लोगों के सिर बहुत सी जिम्मेदारियां हैं। ऐसे में बिना सेलरी के उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यदि किसी कर्मचारी की ओर से सेलरी का मुद्दा उठाया जाता है तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम के ऐसी कमरों में बैठकर काम करने वाले आला अधिकारी उन्हें ताश के पत्तों की तरह फेंटकर इधर से उधर करते रहते हैं।
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दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में समय पर वेतन
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के प्रेस एवं सूचना निदेशक राधाकृष्ण ने बताया कि एसडीएमसी में सभी ए, बी, सी और डी श्रेणी के निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को समय से वेतन दिया जा रहा है। यहां किसी भी कर्मचारी का वेतन बकाया नहीं है। उन्होंने बताया कि अभी पिछले दिनों ही एसडीएमसी के कर्मियों ने अपना एक दिन का वेतन पीएम केयर फंड में दान दिया है।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भी नहीं है बकाया
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईडीएमसी ने अपने सभी श्रेणी के अधिकारियों और कर्मचारियों को मार्च 2020 तक के वेतन का भुगतान कर दिया है। अप्रैल का महीना अभी पूरा हुआ है। इडीएमसी में कर्मचारियों की सेलरी का कोई बैकलॉग नहीं है।
सबसे पीछे उत्तरी दिल्ली नगर निगम
दिल्ली के तीनों नगर निगमों में आर्थिक रूप से सबसे कमजोर पूर्वी दिल्ली नगर निगम को माना जाता है। कर्मचारियों के काम के दम पर निगम के शीर्ष अधिकारी उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की शाबाशी पाते हुए ट्वीट करके अपनी पीठ तो थपथपा रहे हैं। लेकिन कर्मचारियों के वेतन के मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम फिसड्डी साबित हो रहा है। यहां के डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी और सफाईकर्मी लॉकडाउन के दौरान बिना सेलरी के अपनी ड्यूटी करने को मजबूर हैं।
तुरंत इस्तीफा दें आयुक्तः आप
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि यह बड़े शर्म की बात है कि लोगों के लिए कोरोना से जूझ रहे डॉक्टर्स को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला। निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने अख्खड़ मिजाज की वजह से निगमकर्मियों में अपनी दहशत बना रखी है। आयुक्त को निगम कर्मियों से काम लेने का अधिकार है तो उनका वेतन दिलाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डॉक्टर कोरोना की महामारी में अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी के साथ निभा रहे हैं। लेकिन निगम आयुक्त केवल उनके काम की वाहवाही लेने के लिए बैठी हैं। निगम आयुक्त को या तो डॉक्टर्स और दूसरे स्वासथ्यकर्मियों के वेतन का तुरंत भुगतान कराना चाहिए, यदि वह ये जिम्मेदारी नहीं संभाल सकतीं तो उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर खुद ही कहीं दूसरी जगह ट्रांसफर करवाकर चले जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के नेता भी इस मामले में कम जिम्मेदार नहीं हैं।
संभाल नहीं पा रहीं आयुक्तः पंवार
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में प्रतिपक्ष के नेता सुरजीत सिंह पंवार ने कहा कि एक ओर दिल्ली सरकार डॉक्टर्स को कोरोना वॉरियर्स घोषित करके उन्हें सम्मान और अतिरिक्त वेतन दे रही है। दूसरी ओर नगर निगम के डॉक्टर्स को तीन तहीने से उनका मूल वेतन ही नहीं दिया जा रहा। आयुक्त वर्षा जोशी निगम का कामकाज संभाल नहीं पा रही हैं। कोरोना की स्थिति दिल्ली में इतनी गंभीर हो गई। लेकिन उन्होंने नगर निगम के अस्पतालों का दौरा करना तक उचित नहीं समझा। आयुक्त केवल अपने घर पर बैठकर नगर निगम को चला रही हैं। उन्हें निगम के कामकाज और यहां काम करने वाले कोरोना वॉरियर्स की कोई चिंता नहीं है। उन्हें तुरंत अपना पद छोड़ देना चाहिए।
तुरंत वेतन का भुगतान कराया जाएः गोयल
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकेश गोयल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि न तो वह स्थिति को संभाल पा रहे हैं और नाही निगम आयुक्त नगर निगम के कोरोना वॉरियर्स को वेतन दिला पा रहे हैं। डॉक्टर्स और स्वास्थ्य विभाग के दूसरे कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर लॉकडाउन के दौरान ड्यूटी कर रहे हैं। हेडक्वार्टर में बैठने वाले अधिकारी तो अपने घरों से भी नहीं निकल रहे। फिर भी कोरोना वॉरियर्स का वेतन तीन महीने से लटक रहा है। उन्होंने बताया कि हमने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर मांग की है कि डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ के वेतन का भुगतान तुरंत कराया जाए।
दिल्ली सरकार से पैसे मिलने का इंतजारः महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर अवतार सिंह ने माना कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में डॉक्टर्स की सेलरी तीन महीने से नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि हमने दिल्ली सरकार से निगम के हिस्से के पैसे की मांग की है। जैसे ही वहां से पैसा आएगा वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया सी व डी श्रेणी के कर्मियों का वेतन फरवरी तक का दिया जा चुका है। जबकि ए व बी श्रेणी के कर्मियों का वेतन जनवरी के बाद से नहीं दिया गया है।
निगम आयुक्त ने साधी चुप्पी
कोरोना महामारी के दौरान वॉरियर्स की ड्यूटी निभा रहे डॉक्टर्स की तीन महीने से रूकी हुई सेलरी के मामले में निगम आयुक्त ने चुप्पी साध रखी है। इस मामले में मैसेज के जरिए उनसे कई बार जानकारी मांगी गई लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।