-‘ऊपर’ के आदेश के सामने लाचार नजर आ रहे बीजेपी नेता, अधिकारियों से नहीं मिल रहा सहयोग
-जिस स्टेंडिंग कमेटी के गठन को मुद्दा बना रही थी बीजेपी, उसी की बैठक नहीं होने दे रहे ‘ऊपर वाले’!
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 25 सितंबर, 2025।
दिल्ली नगर निगम (MCD) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भले ही आम आदमी पार्टी (AAP) के हाथ से सत्ता छीन ली हो, परंतु अलग अलग पदों पर बैठे नेता अधिकारियों के सामने लाचार नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ‘ऊपर’ के आदेश के चलते एमसीडी अधिकारी निगम के बीजेपी नेताओं को ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं। खास बात तो यह है कि आप के शासन में जिस स्टेंडिंग कमेटी के गठन को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था, उसी स्टेंडिंग कमेटी की बैठक हुए एक महीना गुजर गया है और उसकी बैठक तक नहीं हो पाई है। सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि दिल्ली प्रदेश के ‘ऊपर’ वालों के द्वारा एमसीडी के कई ‘नीचे’ वालों को तवज्जो नहीं दिये जाने की वजह से एमसीडी में बीजेपी कई धड़ों में बंट गई है।
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि एमसीडी में स्टेंडिंग कमेटी की सीट प्रदेश के कुछ नेताओं की आंख का कांटा बनी हुई है। कारण है कि स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव से पहले अध्यक्ष का नाम दिल्ली प्रदेश के ‘ऊपर’ वालों के बजाय और ज्यादा ऊपर से आया था। जिसकी वजह से प्रदेश बीजेपी की ओर से स्टेंडिंग कमेटी को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि स्टेंडिंग कमेटी की बैठकों पर अघोषित रोक लगाई गई है और इसे बाईपास करते हुए आर्थिक मामलों से जुडे़ कुछ विषय सीधे हाउस को भिजवाये जा रहे हैं।
एमसीडी में बीजेपी नेताओं के बीच चल रही आपसी खींचतान और आला अधिकारियों को ‘ऊपर’ से मिल रहे दिशानिर्देशों की वजह से निगम अधिकारी कई बीजेपी के निगम के नेताओं को ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं। विभिन्न मामलों में एमसीडी के द्वारा उठाये जा रहे कदमों की जानकारी निगम अधिकारियों द्वारा एमसीडी के जिम्मेदार नेताओं को नहीं दी जा रही है। पिछले दिनों में ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जो कि बीजेपी के एमसीडी के नेताओं की जानकारी में ही नहीं थे।
नहीं दी गई ड्रोन के जरिये दवाओं के छिड़काव की जानकारी
एमसीडी अधिकारियों के हौसले इतने ज्यादा बढ़े हुए हैं कि वह कोई भी जानकारी सीधे मीडिया में तो भेज देते हैं, परंतु उसकी जानकारी बीजेपी नेताओं को नहीं देते। पिछले दिनों एमसीडी की ओर से मीडिया को एक प्रेस रिलीज जारी की गई थी कि ड्रोन के द्वारा विभिन्न इलाकों में दवाओं का छिड़काव किया जायेगा। यह खबरें छपने के बाद अगले दिन जब एमसीडी में विभिन्न पदों पर बैठे बीजेपी नेताओं से से इस बाबत पूछा गया तो उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं थी।
‘शेयर होल्डर’ व ‘ब्लैक मेलर’ मामले के बाद नहीं हो सकी स्टेंडिंग कमेटी की बैठक
बता दें कि एमसीडी के तीन हिस्सों में बंटने के दौरान और इससे पहले स्टेंडिंग कमेटी की बैठक अमूमन हर सप्ताह होती थी। परंतु एमसीडी के एकीकरण के पश्चात आम आदमी पार्टी शासन में आ गई थी और करीब ढाई वर्ष तक स्टेंडिंग कमेटी का गठन ही नहीं हो सका। इसके पश्चात आप के अल्पमत में आने के बाद बीजेपी सत्ता में आई और स्टेंडिंग कमेटी का गठन हुआ। स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के बाद इसकी पहली बैठक मीडिया कर्मियों के प्रवेश को लेकर हंगामेदार रही। इसके पश्चात तीसरी बैठक में बीजेपी निगम पार्षद पंकज लूथरा के द्वारा अवैध निर्माण का मुद्दा उठाये जाने और शाहदरा दक्षिण क्षेत्र के उपायुक्त पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाने से बैठक हंगामेदार हो गई। इसके पश्चात निगम उपायुक्त ने ‘शेयर होल्डर’ और निगम आयुक्त के द्वारा ऐसे लोगों को ‘ब्लैक मेलर’ कहे जाने पर मामला और ज्यादा गरमा गया था।
मामला उछलते ही बैक फुट पर आये प्रदेश बीजेपी के नेता
शाहदरा दक्षिण क्षेत्र के उपायुक्त एवं निगम आयुक्त के द्वारा बीजेपी पार्षद पंकज लूथरा के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दिये जाने से पूरी दिल्ली बीजेपी बैक फुट पर आ गई थी। अगले दिन जब हाउस की बैठक में आप ने बीजेपी पार्षद को भ्रष्टाचार में ‘शेयर होल्डर’ और ‘ब्लैक मेलर’ कहे जाने का मुद्दा उठाया तो बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे पर कोई चर्चा ही नहीं होने दी। बैठक खत्म होने के बाद जब मीडिया ने बीजेपी नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाये तो उन्होंने जल्दी ही अधिकारियों को इसका नतीजा भुगतने की बात कही थी। परंतु एक महीना बीत जाने के बाद भी ऐसा कुछ नजर नहीं आया है।
बीजेपी के बैक फुट पर आने के बाद बढ़े अफसरों के हौसले?
दिल्ली बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता का कहना है कि स्टेंडिंग कमेटी की पिछली बैठक में हुए बवाल पर प्रदेश बीजेपी नेताओं के बैक फुट पर जाने के बाद से निगम अधिकारियों के हौसले ब़ढ़े हुए हैं। अब ज्यादातर एमसीडी अधिकारी एमसीडी के नेताओं को पूरी जानकारी देना जरूरी नहीं समझते हैं। उन्होंने बताया कि जब प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेता सीधे आला अधिकारियों से बात करेंगे तो वह दूसरे लोगों को महत्व क्यों देंगे। एमसीडी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘‘नेतृत्व के द्वारा हमें जिस मामले में जो कहा जाता है, हम वही कर देते हैं। हम उनसे यह भी नहीं पूछते कि ऐसा करना किसलिए जरूरी है?’’