-रामलीला कमेटियों के पदाधिकारियों ने जताया विरोध
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 23 सितंबर।
राजधानी दिल्ली में रामलीलाओं के आयोजन की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। दर्शकों की सुरक्षा और सुविधाओं को देखते हुए शासन और प्रशासन ने रामलीला कमेटियों के ऊपर दिल्ली पुलिस, फायर सहित कई विभागों से एनओसी और अनुज्ञा प्राप्त करने की जिम्मेदारी डाल रखी है। परंतु दिल्ली की कई रामलीला कमेटियों के पदाधिकारियों ने आम आदमी पार्टी द्वारा शासित दिल्ली नगर निगम की नीति पर निशाना साधते हुए कड़ी आपत्ति जताई है।
गौरतलब है कि रामलीला कमेटियों को रामलीला महोत्सव के आयोजन के लिए जिन विभागों से अनापतित प्रमाण पत्र अथवा अनुज्ञा (परमीशन) लेनी है, उनमें सभी विभाग यह काम निःशुल्क कर रहे हैं। परंतु दिल्ली नगर निगम इसकी एनओसी/ अनुज्ञा प्रदान करने के लिए रामलीला मंचन के आयोजकों यानी कि रामलीला कमेटियों से 25 हजार रूपये का शुल्क वसूल रहा है। हालांकि नगर निगम सहित सभी विभागों की पहली शर्त यह है कि सफाई सहित सभी प्रकार के कार्यों के लिए रामलीला कमेटियां अपने खर्चे पर स्वयं उत्तरदायी होंगे।
‘बुद्ध विहार आर्टस क्लब’ रामलीला कमेटी के अध्यक्ष शंभू शर्मा ने बताया कि पूरी दिल्ली में ज्यादातर रामलीला कमेटियां अपने यहां मेले-झूले या बड़े बड़े स्टॉल्स नहीं लगवाते हैं। खास बात यह है कि नगर निगम रामलीला के आयोजन में कोई सहयोग भी नहीं देता है। फिर भी दिल्ली पुलिस के द्वारा नगर निगम की एनओसी जरूरी कर दी गई है। इसी का फायदा उठाते हुए एमसीडी के द्वारा एनओसी देने के लिए 25 हजार रूपये का ड्राफ्ट मांगा जा रहा है। शंभू शर्मा ने कहा कि हम एमसीडी की नीति का पुरजोर विरोध करते हैं और हमारी कमेटी यह शुल्क जमा नहीं करायेगी।
बता दें कि इस वर्ष 3 अक्टूबर से 13 अक्टूबर के बीच रामलीलाओं का मंचन किया जाना है। इसके लिए पहले ही डीडीए और डूसिब की ओर से कई तरह की अड़चनें लगाई जा चुकी हैं। रामलीलाओं के आयोजन के लिए एसटीपी लगाने और चाट-पकौड़ी के स्टॉल्स के लिए अलग से लाइसेंस की शर्त भी लगाई गई है। संबंधित विभाग का कहना है कि रामलीलाओं के आयोजन के दौरान निकलने वाले गंदे पानी को साफ कराने के लिए रामलीला कमेटियों को एसटीपी लगाना जरूरी है। हालांकि रामलीला कमेटियों के पदाधिकारियों ने संबंधित अधिकारियों से मिलकर इन समस्याओं को खत्म करने की मांग की है।