विपक्ष का जवाब देने को भाजपा ने उतारा किसान मोर्चा अध्यक्ष
टीम एटूजैड/नई दिल्ली
पिछले दिनों रामलीला मैदान में हुए किसानों के जमावड़े और विपक्ष की एकजुटता के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने किसान मोर्चा अध्यक्ष को मैदान में उतार दिया है। गुरूवार को भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त ने विपक्ष को ललकारते हुए देश भर के किसान संगठनों को चेताया कि उन्हें विपक्षी दलों ने गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी किसान संगठन के नेता उनके साथ कभी भी बात कर सकते हैं। यदि उनके पास किसानों की हालत सुधारने के लिए कोई सार्थक सुझाव हैं तो वह केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से उन विचारों पर अमल का भरोसा दिलाएंगे। भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दिनों रामलीला मैदान में जुटे किसान संगठनां की मेहनत का फायदा कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने उठाया है। विपक्षी दलों ने किसानों के मंच पर अपना कब्जा कर लिया और उनकी बातों को सही ढंग से सामने नहीं आने दिया। बल्कि किसानों के मंच का उपयोग विपक्षी दलों ने अपने चुनाव प्रचार के लिए किया और बिना किसी ठोस नतीजे के यह आंदोलन खत्म हो गया।
सरकार से सीधे बात करें किसान संगठन
वीरेद्र सिंह मस्त ने कहा कि किसान संगठनों के नेताओं को केंद्र सरकार से सीधे बात करनी चाहिए। पिछले दिनों रामलीला मैदान में जुटे किसानों के मंच का फायदा विपक्षी दलों ने उठाया लेकिन सरकार के साथ सीधे बात नहीं होने दी गई। जब तक सरकार के प्रतिनिधियों के साथ किसी की सीधे बात नहीं होगी तब तक किसी समस्या का समाधान नहीं निकल सकता। यदि किसी किसान संगठन के पास देश के किसानों की हालत सुधारने के लिए कोई ठोस सुझाव है तो वह कभी भी उनके साथ बात करने के लिए तैयार हैं।
कर्जमाफी नहीं किसानों की समस्या का समाधान
भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष वीरेंद्र सिंंह मस्त ने कहा कि कर्जमाफी किसानों की समस्या का समाधान नहीं है। कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि किसानों को कर्ज लेने की नौबत ही नहीं आए। अब तक किसानों की हालत सुधारने के नाम पर कर्जमाफी की बात की जाती रही है, लेकिन इससे किसानों की हालत नहीं सुधरी। क्योंकि किसानों को सीधे तौर पर कोई लाभ नहीं हुआ। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लागत मूल्य का लाभकारी मूल्य देने की कोशिश की है। सरकार की योजना में फसलों के समर्थन मूल्य में पर्याप्त बढ़ोतरी की गई है। हालांकि अब भी बहुत कोशिश की जानी बाकी है। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या कोई एक-दो साल की नहीं है इसलिए इसे ठीक करने में भी लंबा समय लगेगा।
कर्जमाफी से हुआ बैंको को फायदा
भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में 57 हजार करोड़ रूपये की कर्जमाफी की। लेकिन वह पैसा किसी किसान को सीधे तौर पर नहीं मिला। सारा पैसा बैंकों के एनपीए की भरपाई में चला गया और किसान वैसे ही फटेहाल रह गया। कोशिश ऐसी की जानी चाहिए थी जिसका सीधा लाभ किसान को मिलता। यदि किसान की उपल की कीमत का पूरा लाभ उसे मिल जाए तो समस्या का समाधान निकल सकता है।
पूर्ण नहीं स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट
वीरेंद्र सिंह मसत ने कहा कि जिस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की बात कही जा रही है या जिस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को अपने कार्यकाल में कांग्रेस सरकार ने लागू नहीं किया, वह रिपोर्ट अपने आप में पूर्ण नहीं है। किसानों की फसल का लागत मूल्य किसी एक राज्य के आधार पर तय नहीं किया जा सकता। देश के अलग अलग राज्यों में परिस्थिततियां अलग हैं। ऐसे में एक जिंस की फसल का लागत मूल्य भी हर राज्य में एक जैसा नहीं हो सकता। अतः आयोग की रिपोर्ट में भी बहुत सी विसंगतियां हैं। अतः किसानों को राहत देने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।