मरकज और देवबंद से जुड़े मौत के सौदागरों के तार

-दिल्ली पुलिस ने 752 मुकद्दमे दर्ज कर 1300 से ज्यादा लोगों को किया गिरफ्तार
-मरकज, देवबंद, पिंजरातोड़, पीएफआई सदस्यों के लगातार संपर्क में था फैसल फारूखी

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 से 26 फरवरी के बीच भीषण दंगे कराने वाले मौत के सौदागरों के तार दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित देवबंद से जुड़े पाए गए हैं। यह खुलासा दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने किया है। न्यू मुस्तफाबाद स्थित राजधानी पब्लिक स्कूल से मचाए गए कत्लेआम के मामले में दाखिल की गई चार्जशीट में यह सनसनीखेज बातें सामने आई हैं।

यह भी पढ़ेंः- बैकफुट पर केजरीवाल… सामने आए उपराज्यपाल

इससे पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), वुमेन स्टूडेंट ग्रुप- पिंजरा तोड़, इंडिया अगेंस्ट हेट, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, जामिया को-ऑर्डिनेशन कमिटी और जेएनयू के अलगाववादी छात्रों के साथ इस साजिश का लिंक सामने आया था। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने दंगों को लेकर 752 मुकदमे दर्ज कर 1300 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से क्राइम ब्रांच को 59 केसों की जांच का काम सोंपा गया है। इन्हीं में से पांच मामलों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है।

यह भी पढ़ेंः- दिल्ली बीजेपी… एक से मुक्ति… बाकी दो से छुटकारे का इंतजार!

दयालपुर थाना क्षेत्र के शिव विहार तिराहे पर स्थित न्यू मुस्तफाबाद के राजधानी पब्लिक स्कूल के मालिक फैसल फारूखी को इलाके में भीषण दंगे फैलाने का प्रमुख साजिशकर्ता करार दिया गया है। अपनी चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया है कि फैसल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगालने पर बहुत से सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। जांच में सामने आया है कि वह पीएफआई, पिंजरा तोड़, जामिया को-ऑर्डिनेशन कमिटी, हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज और देवबंद के प्रमुख सदस्यों के संपर्क में था। इलाके में फैले दंगों से ठीक एक दिन पहले फैसल 23 फरवरी को ही सहारनपुर स्थित देवबंद गया था।

यह भी पढ़ेंः- बैकफुट पर केजरीवाल… सामने आए उपराज्यपाल

जामिया से सुरू हुई थी चिंगारी
क्राइम ब्रांच ने कोर्ट में पेश की गई अपनी चार्जशीट में क्रॉनोलजी दी है। इसमें दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को संसद से पास किया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति ने अपनी सहमति की मुहर लगाई थी। इसके बाद से एक मजहब विशेष के लोगों ने पूरे देश में पूर्व निर्धारित साजिश के तहत धरने-प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। इसके लिए लोगों को एक योजना के तहत भड़काया गया था। हिंसा की शुरूआत 13 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी से हुई थी। 15 दिसंबर को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पीएफआई के लोगों के साथ ही जेएनयू के छात्र शरजील इमाम और पूर्व छात्र उमर खालिद ने भड़काऊ भाषण दिए थे।

यह भी पढ़ेंः- North DMC: बीजेपी को ध्वस्त करने की तैयारी… अफसरों ने शुरू की नेतागिरी!

सीएए के विरोध के नाम पर सात जगह कराए दंगे
शुरूआत में सीएए के विरोध के नाम पर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और जामिया यूनिवर्सिटी इलाके में दंगे और आगजनी की शुरूआत हुई थी। इसके बाद दयालपुर, सीमापुरी, नंद नगरी, सीलमपुर, जाफराबाद और दरियागंज इलाकों में लोगों ने सड़कों पर निकल कर उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। दिल्ली पुलिस का दावा है कि शाहीन बाग में 15 दिसंबर से 400-500 महिलाओं ने सड़क घेरकर धरना शुरू कर दिया था। इससे राजधानी में 7 जगह लोगों ने उपद्रव मचाया। इसके बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर, दयालपुर की बृजपुरी पुलिया, चांदबाग, वजीराबाद रोड, ज्योति नगर के कर्दमपुरी, खजूरी खास के श्रीराम कॉलोनी, भजनपुरा के नूर-ए-इलाही पट्रोल पंप और शास्त्री पार्क में 7 जगह अवैध धरने शुरू कर दिए गए थे।

यह भी पढ़ेंः- NORTH DMC का स्वास्थ्य विभागः दागदार दामन लेकिन अफसरों ने दिया बड़ा ओहदा

सफल रही दंगे भड़काने की साजिश
क्राइम ब्रांच का दावा है कि सीलमपुर में 66 फुटा रोड पर बैठे लोगों को मंच से भड़काने वालों में उमर खालिद, वकील महमूद पारचा, जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी और पिंजरा तोड़ व एनजीओ ‘दिशा’ के सदस्य शामिल थे। इन लोगों ने सरकार और धर्म विशेष विरोधी बातें करके धरनों में शामिल लोगों को भड़काया था। केवल यही नहीं दंगों की साजिशकर्ताओं ने सीएए को गलत तरीके से परिभाषित कर लोगों के मन में जहर घोला था। मौत के सौदागर अमेरिकी राष्ट्रपति के 24-25 फरवरी को भारत यात्रा के दौरान दंगे कराना चाहते थे, जो कि सफल रहे। इन दंगों के जरिए सजिशकर्ता भारत की छवि को धूमिल करना चाहते थे और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सीएए को बड़ा मुद्दा बनाना चाहते थे।