-पूरे देश में फैला नकली हॉलमार्किंग का जाल, लग रहे नकली ठप्पे
-कम कैरेट वाली ज्वैलरी पर हो रही ज्यादा कैरेट की मार्किंग
टीम एटूजैड/नई दिल्ली
यदि आप हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी खरीदने पर भरोसा करते हैं तो जरूरी नहीं कि वह उतने ही कैरेट की हो जितना कि उसके ऊपर छपा है। देश भर में हॉलमार्किंग सेंटर्स द्वारा धड़ल्ले से नकली हॉलमार्किंग की जा रही है। माना जा रहा है कि वर्तमान में 80 फीसदी से ज्यादा ज्वैलरी पर नकली हॉलमार्किंग हो रही है। खुद ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्डस के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में चार लाख से ज्यादा ज्वैलर्स हैं और अब तक महज 25 हजार के ने ही अपना पंजीकरण हॉलमार्किंग के लिए कराया है। देश भर में हॉल मार्क सेंटर्स की संख्या सवा पांच सौ के करीब है जो कि हॉलमार्किंग के लिए निर्धारित 35 रूपये के बजाय 5 रूपये से भी कम में हॉलमार्किंग कर रहे हैं। यानी कि कम पैसे लेकर आभूषणों पर नकली हॉलमार्किंग की जा रही है। खास बात है कि कम कैरेट वाली ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग के जरिए ज्यादा कैरेट का ठप्पा लगाया जा रहा है। इसके चलते ग्राहकों के साथ सीधे धोखाधड़ी हो रही है।
ज्वैलर्स एसोसिएशन ने उठाई आवाज
देष भर के बाजारों में हो रही नकली हॉलमार्किंग के खिलाफ खुद ज्वैलर्स एसोसिएशन ने ही आवाज उठाई है। दि बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन और इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन ने इस बात को अलग अलग मंचों पर उठाया है। इन एसोसिएशन ने पिछले दिनों दिल्ली के हॉलमार्किंग सेंटर्स के संचालकों की एक बैठक बुलाकर इस पर रोक लगाने की बात की थी। इस बैठक में यह भी तय हुआ कि कोई भी हॉलमार्क सेंटर नकली हॉलमार्किंग या कम कैरेट वाली ज्वैलरी पर ज्यादा कैरेट की हॉलमार्किंग नहीं करेगा। यदि कोई ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ व्यापारिक बहिस्कार किया जाएगा। बैठक में यह भी तय हुआ कि यदि कोई ज्वैलर किसी सेंटर पर नकली या वास्तविक शुद्धता से ज्यादा कैरेट की हॉलमार्किंग करने के लिए दबाव बनाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
तीन श्रेणियों में होती है हॉलमार्किंग
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने सोने की ज्वैलरी के लिए तीन श्रेणियों में हॉलमार्किंग तय की है। बीआईएस द्वारा पंजीकृत हॉलमार्किंग सेंटर्स 14, 18 और 22 कैरेट सोने की ज्वैलरी की हॉलमार्किंग करते हैं। लेकिन सरकार की सही निगरानी नहीं होने और कुछ ज्वैलर्स की मिलीभगत के जरिए हॉलमार्किंग सेंटर्स कम कैरेट वाली ज्वैलरी पर ज्यादा कैरेट का ठप्पा लगाकर दे रहे हैं।
हो रही फर्जी हॉलमार्किंग
बहुत से हॉलमार्किंग सेंटर्स के द्वारा ज्वैलरी पर केवल बीआईएस और कैरेट का ठप्पा लगाया जा रहा है। अपने सेंटर के असली ठप्पे के बजाय कोई दूसरा ठप्पा लगाकर ज्वैलरी को हॉलमार्क किया जा रहा है। दरअसल किसी भी ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग के लिए चार तरह के ठप्पे यानी मुहर (लोगो) लगाए जाते हैं। इनमें से एक बीआईएस, दूसरो ज्वैलरी के कैरेट, तीसरा जिस दुकानदार के द्वारा हॉलमार्किंग कराई गई और चौथा हॉलमार्किंग के रजिस्ट्रेशन का ठप्पा होता है। लेकिन फर्जी हॉलमार्किंग में बीआईएस के अलावा कोई भी मार्का असली नहीं लगाया जाता।
हॉलमार्किंग के लिए जरूरी पंजीकरण
दरअसल किसी भी ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग के लिए उसे बनाने या बेचने वाले व्यापारी और हॉलमार्क सेंटर का पंजीकृत होना जरूरी है। देश भर में 4 लाख से ज्यादा ज्वैलर्स हैं, लेकिन अब तक महज 25 हजार कारोबारियों ने ही बीआईएस/हॉलमार्किंग में अपना पंजीकरण कराया है। इसके चलते हर कोई व्यापारी या ज्वैलर अपनी ज्वैलरी की हॉलमार्किंग नहीं करा सकता। इसी का फायदा उठाकर कुछ बेईमान ज्वैलर्स और हॉलमार्किंग सेंटर्स हॉलमार्किंग के नाम पर फर्जी मार्किंग करवाकर धड़ल्ले से ग्राहकों को ठग रहे हैं।
35 रूपये के बजाय 3 रूपये में हो रही मार्किंग
ब्यूरो ऑफ इंडिया स्टेंडर्डस (बीआईएस) ने किसी भी ज्वैलरी की हॉलमार्किंग कराने के लिए 35 रूपये षुल्क निर्धारित किया है। लेकिन बाजार में 3 रूपये प्रति पीस में धड़ल्ले से हॉलमार्किंग के नाम पर मार्किंग की जा रही है। गौरतलब है कि सामान्य तौर पर कोई भी गैरकानूनी काम कराने के लिए लोगों को ज्यादा पैसा देना होता है। लेकिन हॉलमार्किंग के मामले में इससे ठीक उलट है। यहां निर्धारित शुल्क के बजाय उससे 10 गुना कम में धड़ल्ले से नकली हॉलमार्किंग की जा रही है।
फर्जीवाड़े के खिलाफ होगी कार्रवाई
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और दि बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रधान योगेश सिंघल ने कहा कि यदि हमारे पास किसी हॉलमार्किंग सेंटर या ज्वैलर की शिकायत आएगी तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ उसका व्यापारिक बहिष्कार किया जाएगा। एसोसिएशन ने कई बैठकें की हैं और यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा।