-पूर्वी और उत्तरी दिल्ली को मिले अनुसूचित जाति से उप-महापौर
-बीजेपी का वाल्मीकि समाज पर जोर, खटीक-कोली समाज के नेता नाराज
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में उठा तूफान लगातार घहराता जा रहा है। अनुसूचित जाति से दो उपमहापौर देने के बावजूद पार्टी के दलित नेताओं में भारी नाराजगी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि दलित वोट बैंक पहले से ही बीजेपी के साथ नहीं है, इसके बावजूद पार्टी नेतृत्व की नासमझी की वजह से रहा-सहा मतदाता भी पार्टी से दूरी बनाता जा रहा है। अगले साल दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने हैं, इसके बावजूद पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है।
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बता दें कि उत्तरी दिल्ली में अर्चना दिलीप और पूर्वी दिल्ली में किरण वैध को बीजेपी ने उप-महापौर बनाने का ऐलान किया है। यह दोनों ही निगम पार्षदा वाल्मीकि समाज से आती हैं। इसी तरह दिल्ली इकाई का गठन करते समय भी वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों को ज्यादा महत्व दिया गया था। जबकि दिल्ली में खटीक, जाटव और कोली समाज के लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है। अतः दलित वर्ग में से अन्य समाज के पार्षदों को भी मौका दिया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं करके पार्टी नेतृत्व ने दलित समाज के अन्य वर्गों के लोगों की नाराजगी मुफ्त में ले ली है।
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दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पूर्वी दिल्ली में खटीक समाज और जाटव समाज के मतदाताओं की अच्छी तादाद है। जबकि पार्टी ने यहां से भी वाल्मीकि समाज से उपमहापौर का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को इतनी भी समझ नहीं है कि अब वाल्मीकि और जाटव समाज आम आदमी पार्टी के साथ जा चुका है। दिल्ली में खटीक समाज अब भी बीजेपी के साथ है। इसी तरह कोली समाज के लोगों की संख्या भी अच्छी है, लेकिन बीजेपी नेतृत्व इन समाजों में से लोगों को आगे बढ़ने का मौका नहीं दे रहा है। आने वाले निगम चुनाव के समय फिर से सभी समाजों की अलग अलग बैठकें बुलाकर दिखावा किया जायेगा। लेकिन तब तक बहुत देर हो जायेगी।
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बता दें कि दिल्ली में 12 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। जबकि 272 वार्डस में से 46 वार्ड अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आरक्षित हैं। इन 46 में से भी 24 सीट अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 12 में एक भी आरक्षित सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। इसी साल नगर निगम की 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी की हालत बहुत ज्यादा खराब रही। पूर्वी दिल्ली नगर निगम की तीन में से दो रिजर्व सीटों पर बीजेपी 2017 से भी ज्यादा अंतर से हारी थी। जबकि उत्तरी दिल्ली निगम की रोहिणी-सी की सामान्य सीट पर भी आम आदमी पार्टी के दलित नेता ने बीजेपी को बहुत बड़े अंतर से हराया था। ऐसे में बीजेपी प्रदेश नेतृत्व के निर्णय पर सवाल उठने लाजिमी हैं।