-केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी किया आदेश, 22 से संभालेंगे निगमों की जिम्मेदारी
दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के साथ राजधानी दिल्ली की सियासत में नया ट्विस्ट शुरू हो गया है। मोदी सरकार ने दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पुराने ‘दुश्मन’ अश्विनी कुमार को दिल्ली नगर निगम के स्पेशल ऑफिसर का ‘ताज’ पहनाया है। वहीं अब तक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त का कार्यभार संभालते रहे ज्ञानेश भारती को पूरी दिल्ली का निगम आयुक्त बनाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को नगर निगम के दोनों शीर्ष अधिकारियों की नियुक्त का आदेश जारी कर दिया। आने वाले दिनों में दिल्ली के सियासी मैदान में केजरीवाल सरकार और आईएएस अधिकारियो के बीच जबरदस्त सियासी मैच देखने को मिल सकता है।
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22 मई 2022 से दिल्ली नगर निगम एक बार फिर से अस्तित्व में आ रहा है और राजधनी के इतिहास में अश्विनी कुमार पहली बार दिल्ली नगर निगम के स्पेशल ऑफिसर की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। आदेश में कहा गया है कि दोनों अधिकारी अपना कार्यभार 22 मई 2022 से संभालेंगे। फिलहाल अश्विनी कुमार अंडर पोस्टिंग चल रहे हैं और ज्ञानेश भारती के पास दिंक्षणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के निगम आयुक्त की जिम्मेदारी है।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम स्पेशल ऑफिसर बनाये गये अश्विनी कुमार 1992 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। अश्विनी कुमार नवंबर 2017 से मार्च 2022 तक पुड्डूचेरी के प्रशासक रहे हैं।
सीएम केजरीवाल से पुरानी ‘अदावत’
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पुरानी अदावत रही है। साल 2017 में मुख्यमंत्री के साथ उनका सीधे तौर पर विवाद हुआ था। 2016 और 2017 में अश्विनी कुमार दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी विभाग में प्रिंसिपल सैक्रेट्री रहे हैं। उस समय उनके पास डॉयरेक्टर विजीलेंस की जिम्मेदारी भी थी। लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ उनके सीधे विवाद के बढ़ने के चलते कुमार का ट्रांसफर करते हुए उन्हें नवंबर 2017 में पुड्डूचेरी का चीफ सैक्रेट्री बनाया दिया गया था।
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अश्विनी के खिलाफ दिल्ली डायलॉग कमीशन का उपयोग
दरअसल 1992 कैडर के आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार के ऊपर केजरीवाल सरकार ने पीडब्लूडी के नालों की डिसिल्टिंग और बारापुला फेज-3 के प्रोजेक्ट व यमुना में यमुना में साढ़े 8 एकड़ जमीन की एक्विजिशन में देरी करने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कहने पर दिल्ली डायलॉग कमीशन ने मुख्यमंत्री को सोंपी अपनी 14 पेज की रिपोर्ट में कहा था कि लैंड एक्वीजिशन में देरी के साथ अन्य प्रोजेक्ट में देरी और पीडब्लूडी के नालों की डिसिल्टिंग नहीं हो पाने के लिए विभाग के प्रिंसिपल सैक्रेट्री अश्विनी कुमार जिम्मेदार हैं। हालांकि दिल्ली सरकार में अपने कायकाल के दौरान अश्विनी कुमार ने कभी केजरीवाल सरकार के सामने घुटने नहीं टेके।
केजरीवाल सरकार ने की थी विशेषाधिकार उल्लंघन की कार्रवाई
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पीडब्लूडी विभाग के प्रिंसिपल सैक्रेट्री अश्विनी कुमार की अदावत इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि अरविंद केजरीवाल ने उनके खिलाफ कार्रवाई को कोई भी मौका नहीं छोड़ा था। मुख्यमंत्री हर हाल में कुमार को नीचा दिखाना चाहते थे। जून 2017 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को पत्र लिखकर अश्विनी कुमार के खिलाफ ‘कर्त्तव्य की उपेक्षा’ के लिए कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। मामला यहीं नहीं रूका था बल्कि दिल्ली विधानसभा के पैनल ने अश्विनी कुमार के खिलाफ ‘विशेषाधिकार उल्लंघन’ की कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। लेकिन इसी दौरान यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया था और कोर्ट ने इस कार्रवाई पर स्टे लगा दिया था।
दूसरी ओर पुनर्गठित दिल्ली नगर निगम के आयुक्त की जिम्मेदारी संभालने वाले ज्ञानेश भारती 1998 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें 10 सितंबर 2019 को दक्षिणी दिल्ली के निगम आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई थी। भारती इससे पहले भी दिल्ली नगर निगम को अपनी सेवाएं दे चुके हैं और उन्हें तीनों नगर निगम चलाने का अनुभव प्राप्त है। जब आम आदमी पार्टी ने उत्तरी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के बीच किराये के ढाई हजार करोड़ के मामले को उठाया था तब ज्ञानेश भारती ने सत्ताधारी बीजेपी की साख बचाने के लिए बहुत काम किया था। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास फंड नहीं होने के बावजूद तब अखबारों में लाखों रूपये के बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर स्पष्टीकरण दिलाया गया था। तभी से ज्ञानेश भारती बीजेपी के चहेते बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि भारती लंबे समय से पूरी दिल्ली का आयुक्त बनने के मंत्रालय में भी लॉबिंग कर रहे थे।