-शुक्रवार 6 अगस्त को पड़ रहा पावन शिवरात्रि का पर्व
-कन्याओं के लिए है शिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व
आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में भगवान भोलेनाथ को प्रिय सावन के महीने में शिवरात्रि के दिन व्रत-पूजन का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे महीने ही महीने भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सावन में भोलेनाथ की आराधना करने से जातकों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस महीने पड़ने वाली शिवरात्रि भी विशेष होती है। सावन शिवरात्रि का पर्व 6 अगस्त 2021 को शुक्रवार को पड़ रहा है। हर वर्ष सावन शिवरात्रि श्रावण माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है।
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धार्मिक मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि के दिन व्रत रखने वालों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। व्यक्ति का दांपत्य जीवन प्रेम और सुख-शांति के साथ व्यतीत होता है। मान्यता है कि सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लोभ से मुक्ति मिलती है। सावन शिवरात्रि का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है। यह व्रत करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। वहीं जिन कन्याओं के विवाह में समस्याएं आ रही हैं उन्हें सावन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। शिव पूजा से सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है। जीवन में खुशियां आती हैं और धन धान्य की वृद्धि होती है।
सावन शिवरात्रि की पूजा विधि
सावन शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं। यदि आपके घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें। गंगा जल नहीं हो तो आप साफ पानी से भी भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जा सकता है। यदि आपके घर में शिवलिंग नहीं तो आप मन ही मन बाबा बर्फानी का ध्यान करें। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। इसके पश्चात इच्छानुसार भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं। ध्यान रखें कि भगवान को सात्विक आहार का ही भोग लगाया जाता है। भोग में मिष्ठान अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
पूजा के दौरान भोलेनाथ को यह करें समर्पित
भगवान भोलेनाथ को दही, घृत और शहद बेहद पसंद हैं। अतः सावन शिवरात्रि के दिन दही, शहद और घृत से अलग अलग अभिषेक किया जाना चाहिए। दूध और गंगाजल से भी अभिषेक किया जा सकता है। इन सभी पदार्थों को आप एक साथ मिलाकर भी भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते हैं। प्रसाद के तौर पर भोलेनाथ को गन्ना अर्पित करें। घी, शक्कर और गेहूं के आटे से बना प्रसाद का भी भोग लगाया जा सकता है। पूजा के दौरान भोलेनाथ को चंदन, अक्षत, बेल पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि में से जो भी वस्तुएं उपलब्ध हों, वह समर्पित की जानी चाहिए।
बरतें यह सावधानियां
सावन शिवरात्रि के दिन काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। इस दिन खट्टी वस्तुओं का सेवन करना चाहिए। पूरे दिन व्रत करने के साथ शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और आरती करें। धूप-दीप करने बाद व्रत खोलें। इस दिन अपने घर में मांस-मदिरा व तामसी वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
शिवरात्रि पूजा का मुहूर्त
सावन शिवरात्रि यानी कि चतुर्दशी तिथि शुक्रवार 6 अगस्त 2021 को 6 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी और शनिवार 7 अगस्त 2021 को शाम 7 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शुक्रवार 6 व शनिवार 7 अगस्त की रात्रि के बीच रात्रि 12 बजकर 6 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। सावन शिवरात्रि के व्रत का पारायण शनिवार 7 अगस्त को प्रातः 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 47 मिनट तक किया जा सकता है।
(यह आलेख भारतीय सनातन परंपरा एवं ज्योतिषीय सिद्धांतों पर आधारित है और जनरूचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसके लिए कोई विशेष दावा नहीं है। अपने समाचार, लेख एवं विज्ञापन छपवाने हेतु संपर्क करेंः- ईमेलः newsa2z786@gmail.com मोबाइलः 7982558960)