पार्किंग माफिया व अधिकारियों की मिलीभगत से सफदरजंग हॉस्पिटल को 60 लाख का चूना

-बीते 4 महीनों से अस्पताल को उठाना पड़ रहा 15 लाख रूपये प्रति माह का नुकसान
-दो महीने की देरी से खोली गई फाइनेंशियल बिड, 29 दिसंबर से अब तक जारी नहीं एलओआई

नई दिल्ली/ 13 जनवरी, 2023।
राजधानी दिल्ली में पार्किंग माफिया के दबाव में देश के प्रतिष्ठित सफदरजंग अस्पताल को हर महीने करीब 15 लाख रूपये का चूना लगाया जा रहा है। यह नुकसान अब तक बढ़कर करीब 60 लाख रूपये तक पहुंच गया है। आरोप है कि ऐसा पार्किंग माफिया और कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। कुछ बड़े अधिकारी यहां लंबे समय से जमे पार्किंग माफिया को शह दे रहे हैं, जिसकी वजह से जो पैसा राजस्व के रूप में अस्पताल के खाते में आना चाहिए वह पार्किंग ठेकेदार और कुछ ‘खास’ अधिकारियों की जेब में जा रहा है।
इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को की गई है। शिकायत में कहा गया है कि सफदरजंग अस्पताल में आने वालों के दो पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए साल 2022 में टैंडर किया गया था। यह टेंडर सितंबर 2022 में खोला गया था। इसमें सबसे ज्यादा बोली 18 लाख रूपये प्रति माह मासिक शुल्क की लगाई गई थी। लेकिन आला अधिकारियों ने अब तक नये पार्किंग ठेकेदार को पजेशन देने के बजाय पुराने पार्किंग ठेकेदार से पार्किंग का संचालन कराया जा रहा है। बताया जा रहा है कि फाइनेंशियल बिड को करीब दो महीने की देरी से 29 दिसंबर को खोला गया था और अब तक नये ठेकेदार को एलओआई नहीं जारी किया गया।
बताया जा रहा है कि इससे पहले इस पार्किंग का टेंडर साल 2011 में दो साल के लिए करीब 3.50 (साढ़े तीन) लाख रूपये प्रति माह के मासिक शुल्क पर हुआ था। उस समय पूरे दिन के लिए चार पाहिया वाहन से 10 रूपये और दो पहिया वाहन से 5 रूपये वसूले जाते थे। इस दौरान साल 2017 में प्रति एंट्री शुल्क को बढ़ाकर 10 रूपये से 20 रूपये कर दिया गया। लेकिन पार्किंग का मासिक शुल्क नहीं बढ़ाया गया। आश्चर्य की बात है कि सफदरजंग अस्पताल प्रशासन के आला अधिकारियों ने इतने वर्षों में इस पार्किंग का दोबारा टेंडर ही नहीं किया।
अब करीब 10-11 साल बाद 2022 में जब इसका टेंडर किया गया तो पुराने ठेकेदार ने भी इसमें भाग लिया लेकिन सबसे ज्यादा बोली किसी अन्य ठेकेदार ने लगाई तो नियमानुसार नये ठेकेदार को इसका ठेका दे दिया जाना चाहिए था, लेकिन सितंबर 2022 से ऐसा नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि पार्किंग माफिया के दबाव में अस्पताला प्रशासन से जुड़े आला अधिकारी अब इस टेंडर को ही निरस्त करने जा रहे हैं। जिससे कि लंबे समय से यहां जमे पार्किंग माफिया को करोड़ों का फायदा पहुंचाकर सफदरजंग अस्पताल को नुकसान पहुंचाया जा सके।
पहले 2 घंटे के लिए 20 रूपये और बाद में हर घंटे के लिए 20 रूपये शुल्क

फिलहाल सफदरजंग अस्पताल में आने वाले चार पहिया वाहनों के लिए पहले 2 घंटे के लिए 20 रूपये शुल्क है। इसके पश्चात प्रत्येक घंटे के लिए 20 रूपये वसूले जा रहे हैं। इसी तरह दो पहिया वाहनों के लिए पहले 2 घंटे के लिए 10 रूपये और प्रत्येक घंटे के लिए 10 रूपये अतिरिक्त वसूले जाते हैं। यही पार्किंग शुल्क नये ठेकेदार ने वसूलना है, लेकिन सफदरजंग अस्पताल को इससे हर महीने करीब 18 लाख रूपये मिलेंगे जबकि अभी केवल 3.5 लाख रूपये ही मिल रहे हैं।
प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं अधिकारी
इस मामले में प्रतिक्रिया जानने के लिए अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ बी.एल. शेरवाल के कार्यालय में फोन किया गया तो वह फोन लाइन पर नहीं आये और उनके कार्यालय से बताया गया कि यह मामला डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) अमित कुमार देख रहे हैं। जब एस्टेट ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाल रहे डिप्टी डायरेक्टर अमित कुमार के कार्यालय में फोन किया गया तो उनके कार्यालय से बताया गया कि वह फोन पर उपलब्ध नहीं हैं, साथ उनके कार्यालय से अमित कुमार को मोबाइल नंबर देने से भी मना कर दिया गया।
टेंडर रद्द कराने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहा पार्किंग माफिया
बता दें कि बीते एक दशक से ज्यादा समय से सफदरजंग अस्पताल में जमा पार्किंग माफिया नया टेंडर रद्द करवाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। पिछले दिनों एक गुमनाम पार्टी के एक नेता के जरिये उसने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को ज्ञापन दिलवाया था, जिसमें नये टेंडर में 2 घंटे के बाद हर घंटे 20 रूपये वसूले जाने का विरोध किया था। लेकिन वास्तविकता यह है कि वर्तमान में भी पुराने पार्किंग ठेकेदार के द्वारा भी पहले 2 घंटे के बाद हर घंटे 20 रूपये ही वसूले जा रहे हैं।
टेंडर रद्द किया गया तो होगा करोड़ों रूपये का नुकसान
यदि पार्किंग माफिया ने कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से पार्किंग के टेंडर को रद्द करा दिया तो सफदरजंग अस्पताल को करोड़ों रूपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। कारण है कि नई टेंडर प्रक्रिया में कम से कम छह महीने का वक्त लग सकता है और तब तक पुरानी दरों (साढ़े तीन लाख रूपये प्रति माह) पर पुराने ठेकेदार को ही पार्किंग चलाने का मौका मिल जायेगा और इस तरह से अस्पताल को करीब एक करोड़ रूपये का अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ेगा।