विजय प्रकाश जैन बने व्यापार मंडल के अध्यक्ष… बालकिशन को कार्यकारी अध्यक्ष पद

-दक्षिण भारत को प्रतिनिधित्व देने के लिए एक और प्रमुख महासचिव पद का सृजन
-विधान में संशोधन कराये बिना कागजी आदेश ही रहेगा कार्यकारी अध्यक्ष का पद

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
लंबी उठापटक और लॉबिंग के बाद भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) के खाली पदों पर पदाधिकारियों का मनोनयन कर दिया गया है। अध्यक्ष पद पर वरिष्ठ महामंत्री विजय प्रकाशजैन को मनोनीत कर दिया गया है। जबकि वरिष्ठ महामंत्री पद पर उत्तर प्रदेश से मुकुंद मिश्रा को मनोनीत किया गया है। संगठन के चेयरमैन पद जयपुर के बाबूलाल गुप्ता को दिया गया है, जबकि दो नये पदों का सृजन किया गया है। इनमें से एक पद कार्यकारी अध्यक्ष का है, जिस पर अब तक उपाध्यक्ष रहे बाल किशन अग्रवाल को मनोनीत किया गया है। जबकि दक्षिण भारत को प्रतिनिधित्व देने के लिए एक और वरिष्ठ महामंत्री का पद सृजित किया गया है, इस पद पर तमिलनाडु से स्वामी तेजानंद को मनोनीत किया गया है।

यह घोषणा 21 सदस्यीय कमेटी के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता द्वारा गठित मोहन गुरूनानी, तारक नाथ त्रिवेदी और प्रहलाद खंडेलवाल की तीन सदस्यों वाली कमेटी ने की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अध्यक्ष पद के लिए विजय प्रकाश जैन के पक्ष में 16 सदस्यों ने हामी भरी है, जबकि इसी पद के लिए केवल 4 सदस्यों ने समर्थन किया है। हालांकि कमेटी के 8 सदस्यों ने नया पद सृजित करते हुए बालकिशन अग्रवाल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की बात कही है। वरिष्ठ महामंत्री पद के लिए मुकुंद मिश्रा के नाम का 14 सदस्यों ने समर्थन किया है।
कागजी ही रहेगा कार्यकारी अध्यक्ष का पद
21 सदस्यों वाली संचालन समिति के चेयरमैन द्वारा गठित तीन सदस्यों वाली समिति ने भले ही कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ महामंत्री का एक पद सृजित करके इन पदों पर पदाधिकारियों की घोषणा कर दी हो, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष का पद फिलहाल कागजी ही रहेगा। कारण है कि सोसायटीज एक्ट और ट्रेड यूनियन एक्ट दोनों के ही तहत पहले कोई भी पद बढ़ाने या घटाने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय से मंजूरी लेनी होती है। इसके लिए पहले पदाधिकारी मंडल, कार्यकारिणी समिति और आम सदस्यों की मंजूरी ली जाती है। इसके पश्चात रजिस्ट्रार कार्यालय से मंजूरी मिलने के पश्चात ही किसी नये पद पर किसी पदाधिकारी का चुनाव या मनोनयन किया जा सकता है।
बहुमत नहीं जुटा सके अग्रवाल
तीन सदस्यों वाली समिति ने भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर बाल किशन अग्रवाल के मनोनयन की घोषणा की है। एक ओर यह घोषणा फिलहाल असंवैधानिक है वहीं दूसरी ओर बाल किशन अग्रवाल इस पद के लिए बहुमत भी नहीं जुटा सके हैं। तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के लिए बालकिशन अग्रवाल के पक्ष में केवल 8 लोगों ने हामी भरी है। जबकि यदि चुनाव कराया जाता तो 21 सदस्यों में से कम से कम उनके पक्ष में 11 लोग होने चाहिए थे। यदि चेयरमैन को वीटो पावर के साथ अलग रखा जाये, तब भी 20 सदस्यों में से 11 सदस्यों की जरूरत होती। यदि 21 में से समिति के तीन सदस्यों को भी अलग कर दिया जाये, तब भी 17 सदस्य बचते हैं। अतः 17 में से कम से कम 9 लोगों का समर्थन बालकिशन अग्रवाल को मिलना चाहिए था, जो कि नहीं मिला। अब तक संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे बालकिशन अग्रवाल ने बार-बार कहा है कि जब तक सभी 21 सदस्यों की सहमति नहीं होगी, तब तक वह कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेंगे। ऐसे में अब उन्हें ही यह तय करना है कि वह 8 सदस्यों के समर्थन पर ही कार्यकारी अध्यक्ष का पद लेंगे या नहीं।
अव्यवहारिक हैं वरिष्ठ महामंत्री के दो पद
जिस तरह से किसी एक संगठन में दो अध्यक्ष नहीं हो सकते, वैसे ही दो वरिष्ठ महामंत्री जैसे पद भी अव्यवहारिक हैं। लेकिन तीन सदस्यों वाली समिति ने वरिष्ठ महामंत्री का एक नया पद सृजित करने की बात कही है और इस पद पर एक व्यापारी नेता का मनोनयन भी कर दिया गया है। लेकिन केवल दक्षिण भारत को प्रतिनिधित्व देने के लिए वरिष्ठ महामंत्री का पद सृजित करने ने पूर्वोत्तर भारत, पश्चिमी भारत और मध्य भारत के लिए भी इसी तरह का प्रतिनिधित्व देने की मांग भी उठ सकती है। जबकि महामंत्री के पद पहले से ही पूरी संख्या में हैं। हालांकि अध्यक्ष के अलावा किसी भी पद की संख्या में बढ़ोतरी करना संगठन के लोगो/ कार्यकारिणी या संचालन समिति के विवेक पर निर्भर करता है। बस इसके लिए रजिस्ट्रार कार्यालय से पहले से अनुमति लिया जाना आवश्यक होता है।