खतरे में त्रिवेंद्र की कुर्सी, उत्तराखंड बीजेपी में उठा सियासी बवाल

-सत्ता परिवर्तन की चर्चा के बीच सीएम पद की रेस में आये दो नाम

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ जारी असंतोष की खबरों के बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन की चर्चा को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हई है। यहां तक कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रेस में तीन नामों की चर्चा भी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि पार्टी के 13 विधायक मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे हैं। 18 मार्च को उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के 4 साल पूरे हो रहे हैं।

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पार्टी के संसदीय बोर्ड ने शनिवार को देहरादून में कोर ग्रुप की बैठक बुलाई थी। पार्टी उपाध्यक्ष रमन सिंह को भेजकर स्थिति की जानकारी भी ली गई है। इस पूरी प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि स्थिति बेहद गंभीर है और हालात संभालने के लिए सभी विकल्प खुले हैं। सूत्रों की मानें तो शनिवार को हुई पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में कई सांसदों, विधायकों और मंत्रियों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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पर्यवेक्षक भेजने और कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर राय जानने का फैसला अचानक हुआ था। राज्य के कई नेताओं को दिल्ली से फोन कर बैठक के लिए पहुंचने के लिए कहा गया। दो दर्जन विधायकों को दो-तीन हेलिकॉप्टर के जरिए गैरसैंण से देहरादून एयरलिफ्ट किया गया। निशंक लखनऊ से, दिल्ली आ रहे अजय भट्ट को रास्ते से ही देहरादून, जबकि विजय बहुगुणा को दिल्ली से भेजा गया। इस बैठक के लिए गैरसैंण में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान बजट को भी आनन फानन  पारित कराया गया। हालात संभालने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाए जाने की चर्चा भी जोरों पर है। सूत्रों का कहना है कि अगर विधायक दल की बैठक हुई तो इसका सीधा अर्थ है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।

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बता दें कि पार्टी में उत्तराखंड के अगले सीएम की रेस में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सतपाल महाराज के नाम प्रमुख रूप से लिये जा रहे हैं। पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि मौके का फायदा उठाने के लिए कुछ लोगों ने सांसद अनिल बलूनी का नाम भी सीएम की रेस में बताना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में बगावत होने की आशंका थी। इसलिए आनन फानन पर्यवेक्षक भेजकर स्थिति संभालने की कोशिश की गई। सूत्रों के मुताबिक कोर ग्रुप की बैठक के बाद शनिवार को ही पार्टी के कई विधायक दिल्ली रवाना हो गए थे। रविवार को कई और विधायकों के भी दिल्ली पहुंचने की चर्चा चलती रही।

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केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर देहरादून भेजे गए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से अलग से मंत्रणा हुई। निशंक को भी भाजपा कोर कमेटी की बैठक में भाग लेना था। लेकिन फ्लाइट लेट होने के कारण वह लखनऊ से देहरादून समय पर नहीं पहुंच सके। केंद्रीय पर्यवेक्षक जब दिल्ली लौटने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे तो वहां डॉ. निशंक की उनसे भेंट हुई। एयरपोर्ट के ही लॉज में रमन सिंह, दुष्यंत गौतम और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत के साथ निशंक से चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेताओं के बीच यह चर्चा करीब 20 मिनट हुई। एयरपोर्ट पर ही शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और सुरेश राठौर ने भी रमन सिंह से भेंट की।

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सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह के साथ कोर कमेटी की बैठक नहीं हुई, बल्कि उन्होंने कोर कमेटी के सदस्यों से वन टू वन बातचीत की। कुछेक वरिष्ठ विधायकों को छोड़कर उनकी विधायकों से कोई बात नहीं हुई। वह तिलक रोड स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने संघ नेताओं से एक-एक करके फीड बैक भी लिया।कोर कमेटी की बैठक खत्म होने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत ने चेहरा बदलने की अटकलों पर विराम लगाया। 13 विधायकों की नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का एक विधायक भी नाराज नहीं है। ये सारी बातें मनगढ़ंत हैं। उनके मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक 18 मार्च को सरकार के चार साल पूरे होने की तैयारियों का जायजा लेने आए थे। उन्होंने कहा कि ये सारी चर्चाएं मीडिया की उपज है।
बदलाव के पक्ष में नहीं आलाकमान
पार्टी के पर्यवेक्षकों का दावा है कि पार्टी हाईकमान फिलहाल बदलाव के पक्ष में नहीं है। पार्टी आलाकमान को जल्द ही सीएम रावत को नई दिल्ली बुलाने की संभावना है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारा मानना है कि आलाकमान द्वारा कोई भावी निर्णय लेने से पहले ही रावत पार्टी हाईकमान के साथ विचार-विमर्श के लिए नई दिल्ली की यात्रा कर सकते हैं। इसी संदर्भ में रमन सिंह को एक स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में देहरादून भेजा गया था। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में दुष्यंत कुमार गौतम, जो राज्य में पार्टी मामलों के प्रभारी हैं, खुद इस तरह की बैठकें आयोजित करने के लिए सक्षम हैं। लेकिन रमन सिंह को भेजकर आलाकमान ने यह बताने की कोशिश की कि यह राज्य के राजनीतिक मामलों के लिए बहुत गंभीर बात है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंसीधर भगत ने कहा कि कोर कमेटी की बैठक में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन से संबंधित किसी भी चीज पर चर्चा नहीं हुई है। मैंने पहले भी स्पष्ट कर दिया है कि नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई. भगत ने कहा कि 18 मार्च को सीएम रावत चार साल पूरे करेंगे और इसे सेलिब्रेट करने के लिए राज्य में भव्य आयोजन किया जाएगा।