इस बार BJP के सभी पार्षद नहीं होंगे पुराने 500-1000 के नोट… जिताऊ को मिलेगा पार्टी का टिकट

इस बार बीजेपी के सभी पार्षद नहीं होंगे पुराने 500-1000 के नोट… जिताऊ को मिलेगा पार्टी का टिकट
-नहीं कटेंगे सारे मौजूदा पार्षदों के टिकट!
-2017 तक के पार्षदों के लिए फिर से मिलेगा मौका

हीरेंद्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 25 अक्टूबर, 2022।
साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीते ज्यादातर पार्षदों के लिए अच्छी खबर है। उन सभी पार्षदों का हाल पुराने 500 और 1000 के नोट के जैसा नहीं होगा। जिताऊ उम्मीदवारों को पार्टी फिर से टिकट देगी। लेकिन शर्त सिर्फ इतनी सी है कि उनके इलाके में उनके चाहने वालों की कमी नहीं होनी चाहिये। बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक पार्टी ऐसे निवर्तमान पार्षदों को टिकट देने पर विचार कर रही है जो एक बार फिर से जीतकर आ सकते हैं। बता दें कि साल 2016 में मोदी सरकार ने 500 और 1000 रूपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था और साल 2017 में दिल्ली के तत्कालीन मौजूदा पार्षदों को चलन से बाहर कर दिया था।
दिल्ली बीजेपी की चुनाव समिति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने इस बारे में कहा कि बीजेपी के लिए नगर निगम चुनाव में केवल जीत ही मुख्य उद्देश्य रहेगा। साल 2014 वाले फार्मूले पर विचार नहीं किया जा रहा है। पार्टी नेताओं का विचार है कि ऐसे सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाना चाहिए, जो पार्टी को चुनाव जिता सकते हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद बहुत से पार्षदों ने अपने-अपने इलाके में काम कराये हैं। ऐसे में उन निवर्तमान पार्षदों का टिकट नहीं काटा जा सकता।
बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी अपने पुराने पार्षदों में से अधिकतर को टिकट देने पर विचार कर रही है। जिन पार्षदों का टिकट 2017 में काटा गया था, उनमें से कम से कम 30 फीसदी लोगों को इस बार फिर से टिकट मिल सकता है। इनके अलावा करीब 30 फीसदी नये लोगों को भी टिकट दिया जायेगा। भले ही 2017 के मुकाबले इस बार 22 वार्ड कम हो गये हैं। लेकिन वार्डों की सीमाएं बदलने के साथ करीब 30 फीसदी नये कार्यकर्ताओं को टिकट मिलने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।
2017 में बीजेपी ने काट दिये थे सभी पार्षदों के टिकट
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत 2017 के नगर निगम चुनाव मे अपने सभी मौजूदा पार्षदों के टिकट काट दिये थे। पार्टी ने ऐसा पिछले 10 साल की एंटी इनकंबेंसी की खत्म करने के लिए किया था। इसका नतीजा रहा कि बीजेपी 2012 के मुकाबले 2017 में और ज्यादा सीटों पर चुनाव जीती थी। कुछ चुनावी रणनीतिकार इस बार भी बीजेपी से इसी तरह की उम्मीद कर रहे हैं।
फैसले के बावजूद कई वार्ड में देने पड़े थे पुराने पार्षदों के रिश्तेदारों को टिकट
बता दें कि 2017 के निगम चुनाव के समय बीजेपी ने फैसला किया था कि वह अपने सभी वर्तमान पार्षदों और उनके रिश्तेदारों को टिकट नहीं देगी। अपने सभी पार्षदों के टिकट काटने और उनके रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने के फैसले के बावजूद करीब आधा दर्जन ऐसे वार्ड हैं, जहां तत्कालीन पार्षदों के नजदीकी रिश्तेदारों को टिकट दिये गये थे। वजीरपुर, नागलोई और अशोक विहार वार्ड इसके उदाहरण हैं।