शनिवार को मनाया जायेगा भैया दूज का पर्व… जानें शुभ मुहूर्त, कथा व महत्व

-सूर्य पुत्र यम एवं पुत्री यमुना (भाई-बहन) के साथ जुड़ी है कथा

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
भाई बहन के अटूट प्रेम के रूप में भैया दूज का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस पर्व की पौराणिक कथा सूर्य पुत्र यम व पुत्री यमुना के साथ जुड़ी है।

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इस दिन भाई के द्वारा अपनी शादी-शुदा बहनों के घर जाकर उनसे तिलक करवाने का विधान है। इस बार भाई दूज का त्योहार शनिवार 6 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी आयु, उन्नति व बेहतर भविष्य की कामना करती हैं। भाई भी बहन के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन का संकल्प लेते हैं।
भाई दूज का शुभ मुहूर्तः
भाई दूज का पर्व शनिवार 6 नवंबर 2021 को मनाया जायेगा। इस दिन भाईदूज पर तिलक का समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शाम 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। तिलक करने की अवधि कुल 2 घंटा 11 मिनट की रहेगी। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शुक्रवार 5 नवंबर 2021 को रात 11 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर शनिवार 6 नवंबर 2021 को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
भाई दूज तिलक की विधिः
भाई दूज के लिए थाली तैयार करें। उसमें रोली, अक्षत, गोला और मिष्ठान्न रखें। सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान पूजन करें। अब घर की उत्तर-पूर्व दिशा में चौक बनाएं और फिर लकड़ी की पटरी पर भाई को बैठाकर तिलक करें और गोला देकर मिष्ठान्न खिलाएं। इसके बाद प्रेम पूर्वक भाई को भोजन करवाना चाहिए।
ध्यान रखें यह बातेंः
गौरतलब है कि रक्षा बंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर आती हैं। लेकिन भाई दूज पर भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं। क्योंकि इस दिन यम अपनी बहन यमुना के घर गए थे। इसलिए जिनकी बहनों की शादी हो चुकी है, उन भाइयों को अपनी बहन के घर जाना चाहिए। जिनकी शादी नहीं हुई है वे अपने घर पर ही तिलक कर सकती हैं। इस दिन बहनों को अपने भाई को आमंत्रित कर, उनके मनपसंद भोज्य पदार्थ बनाकर खिलाने चाहिए और उनका तिलक करके उन्हें पान खिलाना चाहिए। तिलक करवाने के बाद भाई को भी अपनी बहन का आशीर्वाद लेना चाहिए व उन्हें भेंट में कुछ देना चाहिए। इस दिन यमुना स्नान का विशेष महत्व माना गया है यदि आप सक्षम हैं तो यमुना में जाकर स्नान कर सकते हैं। माना जाता है कि यम द्वितीया के दिन जो भाई बहन यमुना में स्नान करते हैं उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह पर्व भाई बहन के प्रेम व मजबूत रिश्ते का प्रतीक है इसलिए भाई बहन को इस दिन एक दूसरे से किसी प्रकार का झगड़ा या अपशब्द नहीं कहने चाहिए। भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक करना चाहिए व भोजन करवाना चाहिए।
कई नामें से जाना जाता है भाई दूज का त्योहारः
भाई दूज को कई नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में इसे आमतौर पर ’भैया दूज’ के नाम से मनाया जाता है। इसे दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। नेपाल में इसे ’भाई टीका’ कहा जाता है, जबकि इसे पश्चिम बंगाल में ’भाई फोंटा’ के नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में जहां इसे ’यम द्वितीया’ के रूप में मनाया जाता है। इसे ’भाई बीज’ ’भतरु द्वितीया’, ’भृत्य दैत्य’ या ’भोगिनी हस्त भोजमुम’ के नाम से जाना जाता है।
भाई दूज की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर उससे मिलने आए। यमुना ने कई बार यमराज को बुलाया था लेकिन वह उन्हें दर्शन देने में असमर्थ थे। एक बार जब यमराज ने यमुना के घर का दौरा किया, तो उनका बहुत प्यार और सम्मान के साथ स्वागत किया गया। यमुना ने उनके माथे पर तिलक भी लगाया। इतना प्यार पाने के बाद यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। उसकी बहन ने यमराज को हर साल एक दिन चिन्हित करने के लिए कहा जहां वह उसे देखने जाएंगे।
भाईदूज की कथा का वर्णन वैदिक ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस दिन बहन यमुना ने अपने भाई यम से वर मांगा था कि जो भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करेगा उसको मृत्यु का भय नही रहेगा। भगवान सूर्य देव की पत्नी का नाम छाया था। यमराज और यमुना उनके पुत्र और पुत्री थे। यमुना हमेशा अपने भाई यमराज को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी, लेकिन व्यस्तता का हवाला देते हुए यमराज हमेशा उनके निवेदन को विनम्रतापूर्वक टाल देते थे। एक दिन देवी यमुना ने भाई यम को भोजन के लिए राजी कर लिया।
बहन यमुना के आमंत्रण पर भाई यम ने सोचा कि मैं लोगों के प्राण लेने वाला हूं इसलिए मुझे कोई भी अपने घर आमंत्रित नहीं करता है। मेरी बहन मुझे बड़े आदरभाव से आमंत्रित कर रही हैं इसलिए मुझे बहन के घर भोजन करने के लिए जाना चाहिए। यमराज ने बहन यमुना के घर रवाना होने से पहले उन्होंने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। जैसे ही यमराज बहन यमुना के घर पहुंचे यमुना बहुत खुश हुई। यमुना ने स्नान कर भाई यमराज को भोजन परोसा। बहन यमुना के आदर-सत्कार और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने उससे वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा कि इस दिन जो बहन अपने भाई को अपने घर पर भोजन करवाए और सत्कार करे, उसको आपका भय ना रहे। यमराज ने तथास्तु कहा। इस तरह उस दिन से भाईदूज के पर्व की शुरूआत हुई।