-12 मार्च को होने वाली बीजेपी आलाकमान की बैठक पर टिकीं निगम पार्षदों की निगाहें
-तीनों नगर निगम एक हुए तो राज्य निर्वाचन आयोग को दोबारा करना होगा वार्ड-रोटेशन
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 3 मार्च, 2022
राजधानी दिल्ली में होने वाले तीनों नगर निगमों के चुनाव टलने की चर्चाओं से सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों आम आदमी पार्टी और कांग्रेसी पार्षदों के चेहरे खिले-खिले नजर आने लगे हैं। जब से निगम चुनाव छह महीने टलने और तीनों नगर निगमों को एक किये जाने की चर्चा शुरू हुई है, पार्षदों को अपने वार्ड रोटेशन की भेंट चढ़ने से बचने की उम्मीदें भी होने लगी हैं। निगम पार्षदों की सारी उम्मीदें अब 12 मार्च को होने वाली बीजेपी आलाकमान की बैठक से जुड़ गई हैं।
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दिल्ली के सियासी मैदान में निगम चुनाव 6 महीने के लिए टलने की चर्चाएं लगातार जोर पकड़ रही हैं। चर्चा यह भी है कि चुनाव टालकर तीनों नगर निगमों को फिर से एक किया जा सकता है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग को फिर से नये सिरे से वार्डों का रोटेशन करना होगा। वैसी स्थिति में वार्डों के महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की स्थिति एक बार फिर से बदल जायेगी। तब कुछ वार्ड पुरानी स्थिति में फिर से आ सकते हैं और कुछ वार्डों की स्थिति वर्तमान स्थिति से अलग हो सकती है। ऐसे में कुछ मौजूदा निगम पार्षदों के लिए अपने पुराने वार्ड से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो सकता है।
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इसी उम्मीद में बीजेपी, आप और कांग्रेस के निगम पार्षदों के चेहरे एक बार फिर से खिले हुए हैं। निगम पार्षदों को उम्मीद है कि नये सिरे से दोबारा रोटेशन होने पर उन्हें वार्ड जंपिंग और आरक्षण की मार का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऐसा ही कुछ नजारा बुधवार को हुई पूर्वी दिल्ली नगर निगम और गुरूवार को हुई उत्तरी दिल्ली नगर निगम की एक बैठक में देखने को मिला। ज्यादातर पार्षदों को उम्मीद है कि चुनाव टल जायेंगे और उन्हें छह महीने और पार्षद होने का गौरव हासिल रहेगा।
एकीकृत नगर निगम होने पर दोबारा करना होगा रोटेशन
बताया जा रहा है कि यदि दिल्ली के तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक किया जाता है तो राज्य निर्वाचन आयोग को दोबारा सभी वार्डों का रोटेशन करना पड़ेगा। कारण है कि अभी जो रोटेशन प्रक्रिया अपनाई गई है वह उत्तरी दिल्ली के 104, दक्षिणी दिल्ली के 104 और पूर्वी दिल्ली के 64 वार्ड के लिए तीन जगह अलग अलग अपनाई गई है। जबकि यदि तीनों निगम एक हो जाते हैं तो यह प्रक्रिया 270 वार्ड्स के लिए 1 से 272 तक के लिए अपनाई जायेगी। जिसमें ज्यादातर निगम वार्डों की स्थिति अभी के मुकाबले बदलने की पूरी उम्मीद है। जिससे वर्तमान निगम पार्षदों को अपने वार्ड्स से टिकट मांगने का मौका मिल सकता है।
बीजेपी को हार का डर, जीत पर नजर
बताया जा रहा है कि निगम चुनाव टालने की चर्चाएं इसलिए शुरू हो गई हैं कि भारतीय जनता पार्टी को नगर निगम चुनाव में अपनी हार का डर सता रहा है। दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चाओं के मुताबिक आम आदमी पार्टी फिलहाल निगम चुनाव के मामले में बीजेपी से बहुत ज्यादा दमदार नजर आ रही है। ऐसे में यदि समय से निगम चुनाव कराये जाते हैं तो यह बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। अतः बीजेपी नेता चाहते हैं कि चुनाव टालकर तीनों निगमों को एक करके चुनाव कराये जायें।
12 मार्च को होनी है बीजेपी आलाकमान की बैठक
बताया जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने के बाद 12 मार्च को भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान में शामिल नेताओं की बैठक होनी है। हालांकि इस बैठक का एजेंडा अभी तय नहीं है कि इसमें किन मुद्दों पर विचार किया जायेगा। लेकिन वर्तमान पार्षदों और बीजेपी के नेताओं को पूरी उम्मीद है कि इस बैठक में दिल्ली के नगर निगम चुनाव को लेकर कुछ निर्णय लिये जा सकते हैं। जिनमें तीनों नगर निगमों को एक करने और निगम चुनाव को छह महीने टालने जैसे निर्णय भी शामिल हैं।
बीजेपी को भारी पड़ा था 2014 में विधानसभा चुनाव टालना
बता दें कि जिस तरह से निगम चुनाव टालने की बात कही जा रही है, उसी तरह से भारतीय जनता पार्टी को 2013 में 49 दिन की आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद विधानसभा चुनाव टालना भारी पड़ा था। बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन लगाकर 2015 में विधानसभा चुनाव कराये थे, जबकि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के साथ यह चुनाव कराये जा सकते थे। ज्यादा समय मिलने पर आम आदमी पार्टी ने अपने आपको और मजबूत कर लिया था और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस को क्लीन स्वीप करते हुए इतिहास रच दिया था।