-भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर लहराया परचम
पूनम सिंह/नई दिल्ली
इंद्रप्रस्थ के सिंहासन पर एक बार फिर कमल खिला है। लोकसभा चुनाव मे भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा जमा लिया है। खास बात है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली में खाता तक नहीं खोल पाईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर दूसरे स्थान पर रही आम आदमी पार्टी छह सीटों पर खिसक कर तीसरे स्थान पर पहुंच गई। कांग्रेस ने इस चुनाव में कुछ सीटों पर दम दिखाया लेकिन फिर भी इसका कोई भी उम्मीदवार जीत के आंकडे़ के आस पास भी नहीं पहुंच सका।
लोकसभा चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट सबसे ज्यादा हॉट रही। इस सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और आम आदमी पार्टी के प्रदेश के मुखिया दिलीप पांडे अपनी किस्मत आजमा रहे थे। लेकिन इस सीट पर भाजपा ने बाजी मारी।
चांदनी चौकः
इस सीट पर भाजपा के डॉ हर्षवर्धन को 5,19,055 वोट मिले। जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल को 2,90,910 वोट ही मिल सके। आम आदमी पार्टी के पंकज गुप्ता को महज 1,44,551 वोट ही हासिल हुए। यहां बहुजन समाज पार्टी को महज 9,026 वोट ही मिले। भाजपा ने यह सीट 2,28,145 वोट से जीती। इस सीट पर भाजपा ने 52.94 फीसदी, कांग्रेस ने 29.67 फीसदी और आम आदमी पार्टी ने कुल 14.74 फीसदी वोट हासिल किए।
उत्तर पूर्वी दिल्लीः
तीनों ही राजनीतिक दलों के लिए नाक का सवाल रही उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर भाजपा के मनोज तिवारी को 7,87,799 वोट हासिल हुए। जबकि कांग्रेस की शीला दीक्षित 4,21,697 वोट ही हासिल कर पाईं। आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडे यहां 1,90,856 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। बहुजन समाज पार्टी के राजवीर सिंह महज 37,831 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे। भाजपा ने यह सीट 3,66,102 वोट के अंतर से जीती। इस सीट पर भाजपा को 53.9 फीसदी, कांग्रेस पार्टी को 28.85 फीसदी और आम आदमी पार्टी को 13.06 फीसदी वोट हासिल हुए।
उत्तर पश्चिमी दिल्लीः
एससी जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा ने सूफी गायक हंसराज हंस को चुनाव मैदान में उतारा था। हंस को 8,48,663 वोट मिले। जबकि कांग्रेस के राजेश लिलोठिया 2,36,882 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। आम आदमी पार्टी के गुगन सिंह ने 2,94,766 वोट हासिल कर अपनी पार्टी का दूसरा स्थान कायम रखा। भाजपा ने यह सीट 5,53,897 वोट के अंतर से जीती। भाजपा को इस सीट पर 60.49 फीसदी, आम आदमी पार्टी को 21.01 फीसदी और कांग्रेस को 16.88 फीसदी वोट हासिल हुए।
दक्षिणी दिल्लीः
दक्षिणी दिल्ली सीट पर भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने 6,87,014 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा 3,19,971 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। जबकि कांग्रेस के मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने तीसरे स्थान पर रहते हुए 1,64,394 वोट तो हासिल किए लेकिन वह अपनी जमानत नहीं बचा सके। बसपा के सिद्धांत गौतम 14,721 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे। भाजपा ने इस सीट पर 3,67,043 वोट से जीती दर्ज की। भाजपा को 56.58 फीसदी, आम आदमी पार्टी को 26.35 फीसदी और कांग्रेस को 13.56 फीसदी वोट हासिल हुए।
पश्चिमी दिल्लीः
पश्चिमी दिल्ली सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा ने राजधानी में सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की। उन्हें 8,65,648 वोट हासिल हुए। कांग्रेस के महाबल मिश्रा 2,87,162 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। जबकि आम आदमी पार्टी के बलबीर िंसह जाखड़ 2,51,873 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। बहुजन समाज पार्टी के सीता सरन सेन को यहां 13,202 वोट ही मिल सके। भाजपा ने यह सीट 5,78,486 वोट के अंतर से जीती। भाजपा 60.05 फीसदी, कांग्रेस को 19.92 फीसदी और आम आदमी पार्टी को 17.47 फीसदी वोट हासिल हुए।
नई दिल्लीः
नई दिल्ली की वीआईपी सीट पर एक बार फिर भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कब्जा कर लिया। उन्हें कुल 5,04,206 वोट हासिल हुए। कांग्रेस के अजय माकन 2,47,702 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। जबकि आम आदमी पार्टी के बृजेश गोयल 1,50,203 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने यहां 2,56,504 मतों के अंतर से जीत हासिल की। भाजपा को इस सीट पर 54.77 फीसदी, कांग्रेस को 26.91 फीसदी और आम आदमी पार्टी को कुल 16.33 फीसदी वोट हासिल हुए।
पूर्वी दिल्ली
पूर्वी दिल्ली सीट पर क्रिकेटर से नेता बने भाजपा के गौतम गंभीर ने 6,96,156 वोट हासिल करके जीत दर्ज की। गंभीर ने कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को हराया। लवली को कुल 3,04,934 वोट मिले। आम आदमी पार्टी की आतिशी मारलेना 2,19,328 वोट लेकर तीसेर स्थान पर रहीं। भाजपा ने यह सीट 3,91,222 वोट से जीती। बता दें कि इस सीट पर भाजपा को 55.35 फीसदी, कांग्रेस को 24.24 फीसदी और आम आदमी पार्टी को 17.44 फीसदी वोट हासिल हुए। 2014 के चुनाव में भाजपा के महेश गिरी ने यह सीट आम आदमी पार्टी को हराकर जीती थी। कांग्रेस के संदीप दीक्षित तब तीसरे स्थान पर रहे थे।
आप के तीन उम्मीदवार… जमानत की दरकार!
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका दिया है। 2014 के चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी के चार सांसद जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे। चारों ही पंजाब से थे। वहीं अब आप के केवल एक सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं। वह भी पंजाब से यानी भगवंत मान ने दोबारा जीत हासिल की है। लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पिछली बार जहां पार्टी के सभी उम्मीदवार सातों सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं इस बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी के तीन और कांग्रेस का एक उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया।
आम आदमी पार्टी के उत्तर पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार दिलीप पांडे, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और नई दिल्ली से ब्रजेश गोयल की जमानत तक जब्त हो गई है। दूसरी ओर कांग्रेस के दक्षिणी दिल्ली से उम्मीदवार बॉक्सर विजेंद्र सिंह भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए।
बता दें कि नियमानुसार जिस उम्मीदवार को कुल पड़े मतों का छठा हिस्सा नहीं मिलता, उसकी जमानत जब्त मानी जाती है। दिल्ली में चुनाव लड़ने वाले 164 में से कुल 147 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। जमानत राशि के तौर पर उम्मीदवारों को अपने नामांकन के साथ 25 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।
शीला को सबकः
लोकसभा चुनाव के नतीजो ने प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के माध्यम से कांग्रेस आलाकमान को सबक दिया है। शीला दीक्षित ने चुनाव से पहले दावा किया था कि लोकसभा उम्मीदवार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच से ही होंगे। लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने मुक्केबाज बिजेंद्र सिंह को उतार दिया। नतीजों में सामने आया कि जब पार्टी मुश्किल में हो तो पैराशूट उम्मीदवार काम नहीं आते। खास बात है कि कांग्रेस के पास इस सीट पर कई पुराने नेता मजबूत दाबेदारी कर रहे थे।
मनोज तिवारी… सब पर भारी
-लोकसभा चुनाव में जीत के साथ बढ़ा सियासी कद
-केजरीवाल के लिए अब विधानसभा चुनाव की चुनौती
लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने क्लीन स्वीप किया है। मोदी नाम की सुनामी में षीला चक्रव्यूह और केजरीवाल का किला ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। इस जीत के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी सियासी कद अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया है। खास बात है कि मनोज तिवारी अब विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। माना जा रहा है कि मनोज तिवारी को पार्टी जल्दी ही कुछ और बड़ी जिम्मेदारियां दे सकती है।
दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिस तरह से आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का साथ छोड़कर जा रहे हैं। उससे आम आदमी पार्टी लगातार कमजोर हो रही है। ऐसे में केजरीवाल के सामने मनोज तिवारी बहुत बड़ी चुनौती बन गए हैं।
मनोज तिवारी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और आप प्रदेष प्रमुख दिलीप पांडे को भारी मतों से शिकस्त दी है। ऐसे में पार्टी में भी मनोज तिवारी का कद बढ़ गया है।
जनता को नहीं भाया पूर्ण राज्य का मुद्दाः
राजधानी वासियों को आम आदमी पार्टी का पूर्ण राज्य का दावा बिलकुल पसंद नहीं आया। मतदाताओं ने केजरीवाल के पूर्ण राज्य के दावे को पूरी तरह से नकार दिया। यही कारण रहा कि आप के तीन उम्मीदवारों को अपनी जमानत गंवानी पड़ी। दरअसल पूर्ण राज्य के मुद्दे को पहले भाजपा और कांग्रेस भी उठा चुकी हैं। लेकिन राजधानी होने की वजह से यह संभव नहीं हो सका। इसके चलते दोनों ही दलों ने इसे बहुत पहले छोड़ दिया था। जबकि आम आदमी पार्टी ने अपने कामों के बजाय महत्वहीन हो चुके मुद्दे पर चुनाव लड़ा और मुंह की खाई।